नए अध्यादेश का असर: लखनऊ पुलिस ने रोकी ऐसी शादी, जिसमें धर्म परिवर्तन होना ही नहीं है

लखनऊ पुलिस ने जिनकी शादी रोकी उनका कहना है कि हम एक-दूसरे को उसके अलग धर्म के साथ ही क़बूल करते हैं, किसी के धर्म बदलने का तो ख़्याल भी नहीं आया, नया क़ानून बनने से काफ़ी पहले तय हुई थी शादी

Updated: Dec 05, 2020, 07:51 PM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश का नया धर्म परिवर्तन विरोधी अध्यादेश लोगों की निजी ज़िंदगी में किस तरह बेवजह की दखलंदाज़ी करता है, उसकी मिसाल लखनऊ की वो शादी है, जिसे पुलिस बीच में ही रुकवा चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि शादी को जिस अध्यादेश का हवाला देकर रुकवाया गया, उसमें धर्म परिवर्तन करने वाले जोड़ों के लिए शादी से दो महीने पहले जिलाधिकारी के पास एप्लीकेशन देकर इजाजत लेने को कहा गया है। लेकिन लखनऊ पुलिस ने जिस शादी को रुकवा दिया, उसमें दूल्हा-दुल्हन में से किसी का भी अपना धर्म बदलने का कोई इरादा नहीं है। फिर भी उसमें पुलिस ने नए कानून के नाम पर अड़ंगा फंसा दिया। 

बुधवार को रोकी गई इस शादी में लड़की हिन्दू है और लड़का मुसलमान। अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक दोनों परिवारों की रज़ामंदी से हो रही यह शादी दो महीने पहले ही तय हो गई थी। दूल्हे का कहना है कि उनकी शादी में किसी के भी धर्म परिवर्तन का कोई सवाल ही नहीं उठता। आदिल का कहना है  कि वे दोनों आपस में प्यार करते हैं और एक दूसरे को उसकी धार्मिक पहचान के साथ जीवनसाथी के रूप में कबूल करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। 

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लड़के का कहना है कि उसने लड़की की मां से उसका हाथ करीब एक साल पहले ही मांग लिया था और परिवार के खिलाफ जाकर शादी करने का उसका कभी कोई इरादा नहीं था। उसका कहना है कि भले दोनों आपस में एक-दूसरे को पसंद करते हों लेकिन उनकी शादी दरअसर अरेंज मैरेज की तरह ही हो रही है। उन्होंने दोनों धर्मों के रीति-रिवाजों के हिसाब से शादी करने की योजना बनाई थी। लेकिन पुलिस के शादी रोकने के बाद अब जो भी कानूनी प्रावधान होंगे उनके हिसाब से शादी की जाएगी। 

दूल्हे का कहना है कि जब उनकी शादी तय हुई थी तो ऐसा कोई कानून नहीं था, जिसके तहत अब उनकी शादी रोकी गई है। लेकिन अब अगर उन्हें शादी के लिए डीएम की इजाजत लेना ज़रूरी है तो वे ऐसा करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए जितना भी इंतज़ार करना होगा वो करेंगे। उन्हें वकीलों की सलाह के मुताबिक स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत शादी करने में भी कोई एतराज़ नहीं है, जिसमें अलग-अलग धर्मों के लड़के-लड़की की शादी का प्रावधान पहले से मौजूद है।

दुल्हन का भी कहना है कि जब पुलिस ने उनकी शादी में कानून का सवाल उठा दिया है तो वे जो भी ज़रूरी प्रक्रिया होगी, उसे पूरा करने के लिए तैयार हैं। दूल्हे की तरह ही दुल्हन को भी स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत शादी करने में भी कोई परेशानी नहीं है। गौरतलब है कि 22 साल की दुल्हन केमेस्ट्री में पोस्ट ग्रैजुएट है, जबकि 24 साल का दूल्हा फार्मासिस्ट का काम करता है। लड़की की मां घरों में खाना बनाने का काम करती हैं, जबकि पिता ड्राइवर हैं। लड़के के पिता रिक्शा चलाते रहे हैं, लेकिन अब वे बेहद बुजुर्ग हो चुके हैं। 

दुल्हन की मां का कहना है कि उन्होंने अपनी खुशी से बेटी की शादी तय की है। उनका कहना है कि हम ऐसे इलाके में रहते हैं जहां मुस्लिम परिवारों से हमारे अच्छे रिश्ते रहे हैं। फिर भला मेरी बेटी किसी मुस्लिम से शादी क्यों नहीं कर सकती? उसकी शादी में रुकावट डालने का किसी को क्या हक है? दोनों परिवारों को इस शादी पर कोई एतराज़ नहीं है। ऐसे में वो इस बात से हैरान हैं कि उनकी बेटी की शादी किससे हो, इसमें किसी और को दखल देने का क्या अधिकार हो सकता है। बहरहाल, उनका कहना है कि अगर नया कानून इस शादी के लिए कोई शर्त लगाता है तो वे उसे पूरा करने के लिए डीएम की इजाजत का इंतज़ार करेंगे। लड़की की मां ने कहा कि हम बहुत साधारण लोग हैं और किसी तरह का झंझट नहीं चाहते। 

लखनऊ पुलिस का कहना है कि भले ही शादी दोनों परिवारों का रजामंदी से हो रही हो और कोई धर्म परिवर्तन नहीं हुआ हो, लेकिन भविष्य में धर्म परिवर्तन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसीलिए पुलिस ने दोनों परिवारों को नए कानून का पालन करने को कहा है। बहरहाल, लखनऊ के इस प्रकरण ने साफ कर दिया है कि यूपी का नया अध्यादेश अपना जीवन साथी चुनने के भारतीय नागरिकों के मूलभूत अधिकार पर बड़ा हमला है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर समेत संविधान के कई बड़े जानकार इसे भारतीय संविधान में दिए गए व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ बता रहे हैं।