राज्यसभा से भी पास हुआ महिला आरक्षण बिल, राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही बन जाएगा कानून

संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। लोकसभा में यह बिल बुधवार को पास हो गया था। अब बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

Updated: Sep 22, 2023, 08:45 AM IST

नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है। राज्यसभा में गुरुवार को दिन भर की बहस के बाद हुई वोटिंग में बिल के पक्ष में सदन में मौजूद 215 सांसदों ने वोट दिया। जबकि इसके विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। लोकसभा में यह बिल बुधवार को पास हो गया था।

संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन राज्यसभा में बिल पास होने के बाद अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही विधेयक कानून बन जाएगा। इस कानून के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा।

हालांकि, दोनों सदनों से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बावजूद महिलाओं के अभी आरक्षण के लिए लंबा इंतजार करना होगा। इस विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक इस बिल के कानून बन जाने के बाद होने वाली पहली जनगणना और फिर उस जनगणना के बाद होने वाले परिसीमन के बाद ही इस कानून को लागू किया जा सकेगा। मोटे तौर पर इस कानून को लागू होने में कई बरस लग सकते हैं।

इन्हीं प्रावधानों को लेकर विपक्ष ने आपत्ति उठाई थी। विपक्षी दलों ने मांग की थी कि इन प्रावधानों को हटाकर इसे तुरंत लागू किया जाए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा था कि सरकार इसे आज ही लागू करे। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने राज्यसभा में यही मुद्दा उठाया। लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण बिल पर बहस में हिस्सा लेते हुए कहा था कि, "महिला आरक्षण बिल में ओबीसी के लिए भी आरक्षण नहीं है। आप इसमें संशोधन कर सकते हैं, ओबीसी को आरक्षण दे सकते हैं। आप ओबीसी महिलाओं को पीछे क्यों छोड़ रहे हैं। क्या आप उन्हें साथ नहीं लेना चाहते? आप यह भी साफ कीजिए कि कब लागू करने वाले हैं, हमें तारीख और साल बताइए।"

खड़गे ने आगे कहा कि इस बिल के लागू होने के लिए दो अनिवार्य शर्तें रख दी गई हैं, जनगणना और परिसीमन। उन्होंने पूछा कि आखिर महिला आरक्षण को इससे जोड़ने की क्या जरूरत है। खड़गे ने कहा कि जब हम पंचायतों में और नगर निकायों में आरक्षण दे सकते हैं तो इसके लिए जनगणना और परिसीमन की शर्त क्यों लगाई गई है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था। मगर यह सेशन एक दिन पहले यानी 21 सितंबर को ही खत्म हो गया। यह स्पेशल सेशन पूरी तरह से महिला आरक्षण बिल और नई संसद के नाम रहा। 18 सितंबर को सत्र की शुरुआत पुरानी संसद से हुई। 19 सितंबर को सत्र की कार्यवाही नई संसद में शिफ्ट हो गई। इसी दिन लोकसभा में महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया। लोकसभा में 7 घंटे की चर्चा के बाद यह बिल पास हो गया। इसके पक्ष में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े। 21 सितंबर को बिल राज्यसभा में पेश हुआ। सदन में मौजूद सभी 214 सांसदों ने बिल का समर्थन किया और बिल पास हो गया।