दफ्तर दरबारी: 27 दिनों से बेकार हैं वे आईएएस जो आदमी थे बड़े काम के

MP News: प्रदेश में ऐसे अफसरों की संख्‍या बढ़ती जा रही हैं जिनके सितारे अचानक गर्दिश में चले गए। जिनकी शिवराज सरकार में तूती बोलती थी। वे ही सर्वेसर्वा थे। मुखिया क्‍या बदले उनकी भूमिका भी बदल गई। जो सबसे ज्‍यादा काम वाले थे वे आज बेकार हैं। दूसरे अफसरों को भी अब सजा और मलाई का इंतजार है। 

Updated: Jan 13, 2024, 04:10 PM IST

शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव थे आईएएस मनीष रस्‍तोगी
शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव थे आईएएस मनीष रस्‍तोगी

मुख्‍यमंत्री मोहन यादव को शपथ लिए 13 जनवरी को एक माह हो गया है। उनके खाते में कई तरह की उपलब्धियां हैं लेकिन एक खास तरह का आरोप भी उनके हिस्‍से आया है। उन पर शिवराज के सबसे पसंदीदा अफसरों को बेकाम रखने का आरोप है। मुख्‍यमंत्री मोहन यादव ने पद संभालते ही सबसे पहले 16 दिसंबर को अपने प्रमुख सचिव के रूप में उच्‍च शिक्षा विभाग में कभी प्रमुख सचिव रहे आईएएस राघवेंद्र सिंह को नियुक्‍त किया। इस तरह मुख्‍यमंत्री सचिवालय से शिवराज सिंह चौहान के प्रिय अफसर आईएएस मनीष रस्‍तोगी की विदाई हुई। 

इस परिवर्तन में कोई विशेष बात नहीं है। हर मुखिया अपनी तरह से जमावट करता है लेकिन यहां हुई कार्रवाई बदले जैसी दिखाई दे रही है। शिवराज के जाने के बाद उनके प्रमुख सचिव सहित अन्‍य अफसरों को हटाया जरूर गया लेकिन उन्‍हें काम नहीं दिया गया। इन अफसरों में दो माह पहले तक सबसे ताकतवर गिने जाने वाले आईएएस मनीष रस्‍तोगी, जनसंपर्क आयुक्‍त मनीष सिंह, मुख्‍यमंत्री के सचिव नीरज वशिष्‍ठ शामिल हैं। ये तीनों पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भरोसे के अफसर थे। इनमें से किसी को नया  काम नहीं दिया गया है। तबादलों के बाद बिना विभाग और बिना कक्ष वाले अधिकारियों की संख्‍या बढ़ती जा रही है। ये ‘बेकार’ अधिकारी ‘बुरा वक्‍त’ गुजर जाने का इंतजार कर रहे हैं। 

शिवराज की जमावट और आईएएस को निपटाने की मोहन स्‍टाइल 

आमतौर पर नया मुखिया अपनी रणनीति के अनुसार जमावट करने के लिए प्रशासनिक सर्जरी करता है। लेकिन इस बार मध्‍यप्रदेश में मुख्‍यमंत्री मोहन यादव आईएएस को निपटाने के लिए तबादले कर रहे हैं। अब तक हुए अधिकांश तबादले शिकायतों पर और नाराजगी से किए गए हैं। इसतरह सख्‍ती का संदेश दिया जा रहा है। वाहन चालकों की हड़ताल के दौरान शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल ने बैठक्‍ में एक ड्राइवर ‘औकात’ दिखाई तो मामला उजागर होते ही मुख्‍यमंत्री मोहन यादव ने तुरंत उन्‍हें हटा दिया। ऐसे ही कार्रवाई परिवहन विभाग और खाद्य विभाग में भी की गई। इरादा यही संदेश देने का है कि नए मुख्‍यमंत्री के शासन में अफसरशाही हावी नहीं होगी। 

इस एक्‍शन से ब्‍यूरोक्रेसी के हावी नहीं होने का संदेश तो जा ही रहा है लेकिन वे अधिकारी निराश हैं जो मुख्‍यमंत्री, मुख्‍यसचिव और मुख्‍यमंत्री के प्रमुख सचिव के बदले जाने से अपनी पोस्टिंग बदल जाने का इंतजार कर रहे थे। उनका इंतजार लोकसभा चुनाव तक बढ़ गया है। असल में, मंत्रालय और विभाग प्रमुख के तबादले तो संभव है लेकिन चुनाव प्रक्रिया आरंभ होने के कारण कलेक्‍टरों तथा राज्‍य प्रशासनिक सेवा के तबादले चुनाव आयोग की अनुमति के बिना नहीं हो सकते हैं। मतलब तय किया गया है कि लोकसभा चुनाव में मैदानी अफसरों की जमावट वहीं होगी जो शिवराज ने तय की थी। इन अधिकारियों को अब नए मुखिया मोहन यादव के ‘गेम’ पर काम करना होगा।

परिवहन ही नहीं खाद्य विभाग में पूरा दफ्तर बदल डाला 

अपने पूर्ववर्ती मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लंबी रेखा खींचने के उद्देश्‍य से मुख्‍यमंत्री मोहन यादव लोकप्रिय और सख्‍त संदेश देने वाले फैसले ले रहे हैं। गुना में बस दुर्घटना के बाद परिवहन विभाग में ऊपर से नीचे तक के सभी अधिकारी बदल दिए थे। इसे फिल्‍म ‘नायक’ के किरदार की तरह योगी स्‍टाइल का फैसला कहा गया। 

लेकिन परिवहन विभाग और अफसर बदलने के अलावा मुख्‍यमंत्री मोहन यादव ने खाद्य विभाग में भी ऐसा ही फैसला किया। धान खरीदी में घोटालों की शिकायत के बाद न केवल फूड कंट्रोलर सस्पेंड किए गए बल्कि एक अन्‍य शिकायत पर ताकतवर आईएएस खाद्य प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव भी हटा दिए गए। विभाग के प्रमुख सचिव सहित मैदानी अमले को हटाने के बाद भी जब किसान संघ संतुष्‍ट नहीं हुआ और उसने आंदोलन की धमकी दी तो जबलपुर के कलेक्‍टर को भी हटा दिया गया। नए कलेक्‍टर के रूप में खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के संचालक दीपक सक्‍सेना हो ही जबलपुर भेजा गया है। 

अब कलेक्‍टर बनने के बाद धान घोटाले पर क्‍या कार्रवाई होगी यह तो अलग बात है लेकिन ‘बिल्‍ली के भाग्‍य से छींका टूटने’ वाली कहावत जरूर सिद्ध हुई है। हुआ यूं कि जबलपुर में कैबिनेट मीटिंग के पहले कलेक्‍टर बना कर भेजे गए आईएएस दीपक सक्‍सेना सरकार के फैसले को सही साबित करने में जुटे थे कि मैदानी अमले ने उन्‍हें संवेदना दिखाने का मौका दे दिया। अतिक्रमण हटाने के दौरान अमले ने एक समोसा दुकानदार के ठेले को भी तोड़ दिया जबकि ऐसे मामलों में ठेले जब्‍त किए जाते हैं। गरीब की रोजी छिन जाने की यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस अमानवीय घटना पर कलेक्‍टर ने तुरंत एक्‍शन लेते हुए गरीब दुकानदार को नया ठेला देने की पहल कर दी। आमतौर पर कलेक्‍टर ऐसे नवाचार की पब्लिसिटी करवाते हैं लेकिन दीपक सक्‍सेना को बैठे ठाले मौका मिल गया। 

कहीं ये वो तो नहीं... 

तबादलों और नई पदस्‍थापना के इस दौर में यदि सबसे ज्‍यादा किसी की पोस्टिंग का इंतजार है तो वह है प्रदेश का नया मुख्‍य सचिव। विधानसभा चुनाव के दौरान नवंबर अंत में आईएएस इकबाल सिंह बैंस रिटायर हुए। उनकी जगह वरिष्‍ठता के आधार पर आईएएस वीरा राणा सीएस बनाई गई। वीरा राणा का कार्यकाल मार्च 2024 अंत तक है। उसके बाद नया सीएस नियुक्‍त होगा। इसबीच आचार संहिता लगने के पहले सरकार भी अपनी पसंद का अधिकारी सीएस बना सकती है। 

इसी कारण प्रशासनिक जगत में नए सीएस को लेकर चर्चाओं का बाजार पिछले नवंबर से गर्म है। कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर नई सुगबुगाहट होती है। जब भी कोई दावेदार अफसर दिल्‍ली से भोपाल आता है या सीएम के दिल्‍ली प्रवास के दौरान कोई अफसर सक्रिय होता है तो यही अंदाजा लगाया जाता है कि कहीं यही तो अगला सीएस नहीं है। 

8 जनवरी को जब सबसे सीनियर आईएएस 1988 बैच के संजय बंधोपाध्‍याय की प्रतिनियुक्ति अचानक खत्‍म करने आदेश हुए तो यही माना गया कि वे ही अगले सीएस हैं। इसके पहले एक अन्‍य दावेदार केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर बड़ी जिम्‍मेदारी निभा रहे आईएएस अनुराग जैन जब आधिकारिक यात्रा पर भोपाल आए तो कयास लगाया गया कि वे ही अगले सीएस हैं। हालांकि, संभावित नामों में 1990 बैच के आईएएस अधिकारियों की भी चर्चा है। माना जा रहा है कि दिल्‍ली में पदस्‍थ कोई अधिकारी ही सीएस बना कर भेजा जाएगा ताकि समन्‍वय में परेशानी न हो। फिलहाल, इस निर्णय पर कोहरा है और जरा सी आहट पर यही सोचा जाता है कि कहीं यह वह तो नहीं...।