दफ्तर दरबारी: सीएम शिवराज सिंह के सामने नारे, एमपी पुलिस का यह कैसा वर्क कल्चर
MP Police: वे अब तक बेरोजगार थे। उन्हें सरकारी नौकरी मिल रही थी और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन्हें नियुक्ति प्रमाण पत्र दे रहे थे। मगर अचानक ऐसा क्या हुआ कि भर्ती हुए आरक्षक जिंदाबाद कहने की जगह आक्रोश में नारे लगाने लगे? खुद सीएम भी इन नारों से असहज हो गए। युवा ही नहीं कर्मचारियों को खुश करने के जतन भी विफल होते दिखे जब डीए बढ़ने पर कर्मचारी संगठनों ने भेदभाव के आरोप लगाए।
नौकरी का प्रमाण पत्र देने के लिए इवेंट आयोजित किया जाए। स्वयं मुख्यमंत्री उसमें शामिल हो कर नियुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान करें और इस मौके पर खुशी जताने की बजाए नव नियुक्त युवा नारे लगाने लगे तो इसे क्या कहा जाएगा? नौकरी तो मिली लेकिन फिर भी युवाओं नाराजगी है। वे वेतन कम कमी को लेकर नाराज हैं और असंतोष इतना कि आयोजन की गरिमा का ताक पर रखने से भी गुरेज नहीं किया।
बात शुक्रवार की है। भोपाल में नवनियुक्त आरक्षकों को नियुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान करने का मौका था। 2023 के चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे को खत्म करने के लिए बीजेपी सरकार ने बड़े पैमान पर सरकारी भर्तियां शुरू की हैं। इनमें पुलिस भर्ती भी है। पुलिस आरक्षकों की भर्ती के बाद उन्हें नियुक्ति पत्र देने की बारी आई तो यह काम मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं किया। आमतौर पर यह काम जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक करते हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नव आरक्षकों को कई तरह के टिप्स दिए साथ ही सीख दी कि यह वर्दी देश की रक्षा के लिए है,समाज की सुरक्षा के लिए है अपराधियों पर कहर बनकर टूट पड़ने के लिए है।
जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आरक्षकों को पुलिस वर्दी के महत्व को बताते हुए उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास दिलवा रहे थे तब एक मौका ऐसा भी आया तब नए आरक्षकों ने नारे लगा दिए। ये नारे खुशी में जिंदाबाद के नहीं थे नहीं बल्कि आक्रोश में लगाए गए थे। नव आरक्षक अपनी वेतन विसंगति से नाराज थे।
असल में गृह विभाग ने तय किया है कि नव आरक्षकों को पहले साल 80 फीसदी, दूसरे साल 90 फीसदी तथा तीसरे साल 100 फीसदी वेतन मिलेगा। नव आरक्षक इससे नाराज है। जब नव आरक्षकों ने नारे लगाए तो मुख्यमंत्री चौहान थोड़े असहज हो गए।
मुख्यमंत्री ही नहीं गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को भी भाषण के दौरान ऐसे ही आक्रोश का सामना करना पड़ा। इवेंट रच रहे अधिकारियों को जरा भी इल्म नहीं था कि नव आरक्षक इस तरह का व्यवहार कर जाएंगे अन्यथा उन्हें सीख दे दी जाती। मगर सांप गुजर गया, अब लाठी पीटने से क्या लाभ? विरोध प्रदर्शन को देख यह संकेत जरूर मिला कि जिस भर्ती का राजनीतिक लाभ लेने के जतन किए गए थे, वह दांव कहीं उल्टा न पड़ जाए।
भत्ता बढ़ाया फिर भी कर्मचारी तो नाराज ही रहे
जैसा की हमने पिछले कॉलम में जिक्र किया था मध्य प्रदेश सरकार ने चुनावी लाभ की दृष्टि से प्रदेश के करीब 5 लाख कर्मचारियों का 4 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाया है। उम्मीद की जा रही थी कि इससे कर्मचारी खुश हो जाएंगे मगर कर्मचारी संगठनों ने ने इसे कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा बताया है।
अभी केंद्रीय कर्मचारियों को 38 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। जबकि राज्य के कर्मचारियों को 34 प्रतिशत मिल रहा था। वहीं पेंशनरों को 33 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, जो केंद्र सरकार के पेंशनरों की तुलना में पांच प्रतिशत कम है।
शिवराज सरकार ने अगस्त 2022 में तीन प्रतिशत भत्ता बढ़ाकर केंद्रीय कर्मचारियों के समान 34 प्रतिशत किया था। सितंबर 2022 में केंद्रीय कैबिनेट ने अपने कर्मचारियों का भत्ता बढ़ाकर 38 प्रतिशत कर दिया। राज्य के कर्मचारी महंगाई भत्ते के मामले में फिर केंद्रीय कर्मियों से पीछे चल रहे थे।
कर्मचारी संगठनों की मांग पर सरकार ने महंगाई भत्ता बढ़ा दिया है। मगर इस बार भी जुलाई 2022 से मिलने वाला महंगाई भत्ता जनवरी 2023 से प्रदान किया जा रहा है। कर्मचारी संगठनों ने इस पर ही नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि आईएएस और आईपीएस को आर्थिक नुकसान नहीं हुआ लेकिन सरकार के इस निर्णय से प्रत्येक कर्मचारी को 6 महीने का आर्थिक नुकसान हुआ है। कर्मचारियों नाराज है कि सरकार हर बार उनके राहत देने में छह माह की देरी करती है।
बढ़ती महंगाई में अफसरों को राहत और कर्मचारियों का नुकसान देने के इस तरीके पर कर्मचारी संगठन अपना आक्रोश सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर जता रहे हैं।
सीएस इकबाल सिंह बैंस को छवि की चिंता इसलिए अपनों से दूरी
कोरोना महामारी के कारण टली आईएएस मीट तीन साल भोपाल में आयोजित हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मीट का उद्घाटन किया लेकिन तीन दिनों के आयोजन से मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की दूरी चर्चा में बनी हुई है।
मीट का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने प्रमुख सचिव सहित कई आईएएस अफसरों की तारीफ की मगर प्रशासनिक मुखिया इकबाल सिंह बैंस का नाम तक नहीं मिला। कार्यक्रम में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस उपस्थित भी नहीं थे। उद्घाटन कार्यक्रम की नहीं मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने तो पूरे तीन दिन आईएएस मीट से दूरी बना कर रखी।
जब मुख्यमंत्री चौहान के कार्यक्रम में भी सीएस इकबाल सिंह बैंस के नहीं आने पर सवाल उठे तो बैंस के भरोसेमंद अफसरों ने तर्क दिया कि अपनी सख्त छवि को बनाए रखने के लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस आईएएस मीट में शामिल नहीं हुए हैं। अगर में मीट में आते तो उन्हें जूनियर आईएएस के साथ भी घुलना मिलना पड़ता। यह उनकी अनुशासन पसंद छवि के विपरित होता। मुख्यमंत्री चौहान चुनाव को देखते हुए अभी सख्त प्रशासक चाहते हैं इसकारण वे भी सीएस बैंस के पक्ष में आए तर्क से संतुष्ट हो गए हैं।
मुखिया भले ही संतुष्ट हो गए हों लेकिन मातहत अधिकारी अचरज में हैं कि रिटायर होने के समय जो सीएस इकबाल सिंह चौहान सबसे हंस कर मिल रहे थे लेकिन छह माह का सर्विस एक्सटेंशन मिलते ही वे पुराने तेवर में लौट आए हैं। यानी पांच माह बाद विदाई के क्षणों में एक बार फिर सीएम बैंस के स्वभाग में परिवर्तन दिखाई देगा।
ठुमकों वाली एमपी पुलिस, कोई हुआ फेमस, किसी की आलोचना
इन दिनों मध्य प्रदेश पुलिस के ठुमके वायरल हो रहे हैं। एडीजी डीसी सागर इन दिनों शहडोल के आईजी हैं। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के दौरान का उनका एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वे शिव के गानों पर नृत्य कर रहे हैं। वीडियो वायरल हुआ तो 2018 की आईपीएस मीट में किए गए के फोटो सामने आ गए हैं। इस मीट में उन्होंने शिव तांडव नृत्य किया था।
दूसरी तरफ, शुक्रवार केा मध्य प्रदेश के दो पुलिसकर्मी भी अपने डांस के कारण चर्चा में आ गए। मक्सी थाने पर गणतंत्र दिवस समारोह के बाद उपनिरीक्षक जितेंद्र दुबे और प्रधान आरक्षक नीलेश पटेल के 'जलवा तेरा जलवा' गाने पर डांस किया था। उनके इस डांस का वीडियो भी वायरल हो रहा है।
डांस करने वाले पुलिसवाले भी खुश हैं कि वीडियो वायरल होने के बाद कई फोन आए हैं। वे भी फेमस हो गए हैं जबकि एडीजी डीसी सागर का डांस करते हुए वीडियो वायरल हुआ तो सोशल मीडिया पर एक जूनयिर पुलिस अधिकारी ने एडीजी के नृत्य करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने टिप्पणी की है कि पुलिस अधिकारी को ऐसे डांस करना शोभा नहीं देता है।