तेल का दाम घटता नही, क्योंकि नियत में खोट है -एक्सरसाइज ड्यूटी

2014 में जब भाजपा सत्ता में आई तब अन्तराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार कमी आ रही थी। इसका सीधा असर सरकार के कमाई पर पड़ने लगा क्योंकि तेल सस्ता हो रहा था और सरकार को जिस टेक्स से कमाई हो रहा था उसी अनुपात से कम मिल रहा था। सरकार ने कमाई में कमी को पूरा करने के लिए एक्सरसाइज ड्यूटी बढ़ा दी,और यह सिलसिला बदस्तूर जारी रखा है।

Publish: May 27, 2019, 10:11 AM IST

2014 में जब भाजपा सत्ता में आई तब अन्तराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार कमी आ रही थी। इसका सीधा असर सरकार के कमाई पर पड़ने लगा क्योंकि तेल सस्ता हो रहा था और सरकार को जिस टेक्स से कमाई हो रहा था उसी अनुपात से कम मिल रहा था। सरकार ने कमाई में कमी को पूरा करने के लिए एक्सरसाइज ड्यूटी बढ़ा दी,और यह सिलसिला बदस्तूर जारी रखा है।

क्या है टेक्स का खेल

2014 में भाजपा सरकार के आने से पहले डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपये थी और पेट्रोल पर 9.48 रुपये। इसके बाद पिछले तीन साल में 11 बार रेट रिवाइज किए गए। डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 17 रुपये 33 पैसे (380%) बढ़ी, जबकि पेट्रोल पर 21.48 रुपये (120%) बढ़ी। कुल मिलाकर तेल का दाम गिरा तो बोझ जनता पर डाल कर सरकार अपनी कमाई में लगातार इजाफा करती रही।

पेट्रोल-डीजल पर सिर्फ केंद्र सरकार ने ही एक्साइज ड्यूटी नहीं बढ़ाई, बल्कि पिछले 3 सालों में राज्यों ने भी वैट/सेल्स टैक्स बढ़ाया है। अप्रैल 2014 में डीजल पर 10 राज्यों में 20% से ज्यादा वैट था। सबसे ज्यादा 25% छत्तीसगढ़ में था। वहीं अब तक मार्च 2017 में डीजल पर 16 राज्यों में 20% से ज्यादा वैट रहा और सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 31.31% है।

पेट्रोल की बात करे, तो अप्रैल 2014 में 17 राज्यों में कम से कम 25% वैट था।इसमें सबसे ज्यादा 33.06% पंजाब में था। अब भी कम से कम 25% वैट अलग अलग राज्यों में है और सबसे ज्यादा वैट मध्य प्रदेश में 39.75% है।

आज जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही है, तो सरकार खुद को को जनता का हितैषी बताते हुए, टैक्स वापस लेने की बात कह रही है। और सियासी ड्रामा करते हुए,महज दो बार मामूली कमी की, इसके बाद चुप्पी साध लिए। जब तेल अन्तराष्ट्रीय बाजार में सस्ता हुआ था तब सरकार अपनी कमाई के लिए बोझ जनता पर डाल दिया और और जब आज अन्तराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ रहा है तब भी सरकार जनता को राहत देने के बजाय राजनीति कर रही है। यह एक तरह से आम जनता के साथ विश्वासघात है।

यह बेहद अज़ीब बात है कि केन्द्र और राज्य सरकार दोनों ही लुक्का छुप्पी का खेल जनता से खेलते हुए ढीठ रवैया अपनाए हुए हैं। केन्द्र राज्य सरकारों से टैक्स कम करने जैसा सार्वजनिक बयान तो देता है, लेकिन राज्यों से सीधे बात नहीं कर रहा।यह भी दिलचस्प बात है कि केन्द्र सीधे-सीधे राज्यों से नहीं कह रहा कि वो टैक्स कम करें, ज्यादातर सरकारें या तो भाजपा की हैं या भाजपा के गठबंधन की, मोदी अगर कहें तो भला कौन टाल सकता है। यही तो असल राजनीति है, बयानबाज़ी करते रहिए,आम जनता के भावनाओं से खेलते रहिए, यानी हर कीमत पर बस छवि बची रहे।

कितना है डीलर का कमीशन और कम्पनी की कमाई ।

एक लीटर पेट्रोल पर रिलायंस, अडानी और एस्सार जैसी कंपनियां तीन रुपये 52 पैसे की कमाई करती हैं। डीलर का कमीशन भी तीन रुपये बासठ पैसे और दो रुपये बावन पैसे हैं।

बेलाग लपेट – बयानों और सोशल मीडिया के जांबाज़ अफवाहबाजों  के जरिए बहाने और झूठ गढ़ने के बजाय आम जनता के हित को प्रमुखता दे दे तो तेल क्या बहुत कुछ का दाम घट जाए,लेकिन क्या कीजिएगा जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार, जनता से ईमानदार,राष्ट्रभक्त और उसूल पसंद बना रहे यह तो चाहती है लेकिन सरकारें स्वंय अपने राजनैतिक आचरण पर पुनर्विचार करना ही नही  चाहती।