बांधवगढ़ नेशनल पार्क में गूंजी किलकारी, गायत्री की मां बनी अनारकली

उमरिया के बांधवगढ़ राष्ट्रीय पार्क की हथिनी ने अपनी 8वीं संतान को दिया जन्म, हथिनियों को देखने पर्यटकों का लगा तांता, पार्क के गस्ती दल और रेस्क्यू टीम की सदस्य है अनारकली, देखभाल में जुटा पार्क प्रबंधन

Updated: Oct 04, 2021, 11:22 AM IST

Photo Courtesy: Free press journal
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उमरिया। बांधवगढ़ नेशनल पार्क में जिस हाथी पर बैठकर सैलानी बाघों और अन्य जंगली जानवरों के दीदार करते थे, इनदिनों वही हाथी लोगों के कौतूहल का विषय बना हुआ है। यहां की एक उम्र दराज हथिनी ने मादा हथिनी को जन्म दिया है। मां अनारकली की बेटी का नाम गायत्री रखा गया है। मां-बेटी इनदिनों जंगल में साथ-साथ घूमती नजर आती हैं। गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर को अनारकली ने प्रसव पीड़ा के बाद मादा हथिनी को जन्म दिया था। बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन का कहना है कि अनारकली को बिहार के सोनपुर पशु मेले से 1978-79 में खरीदकर लया गया था। तभी से वह बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में रह रही है। अपनी पूरी जिंदगी में अनारकली 8 बच्चों को जन्म दे चुकी है, जिसमें से केवल 4 ही जीवित बचे हैं।

अनारकली के साथी नर हाथी का नाम गौतम हाथी है, जिसकी उम्र करीब 75 वर्ष है। वह भी पूरी तरह से सेहतमंद है। अनारकली और गौतम शुरू से साथ में ही रहते रहे हैं। करीब 1536.93 स्वेक्यर किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले बांधवगढ़ नेशनल पार्क में सैलानियों को सैर कराने का काम भी अनारकली बखूबी करती रही है। अनारकली बांधवगढ़ पार्क की पेट्रोलिंग टीम की सदस्य है। वह गश्ती दल के साथ कई जोखिम भरे रेस्क्यू ऑपरेशन में महत्वपूर्ण रोल अदा कर चुकी है। वह पार्क के बाघों के भटक जाने पर उन्हें सही जगहों तक पहुंचने में मदद करने का काम बड़ी खूबी के साथ करती है।

वर्तमान में उमरिया स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 45 जंगली हाथी मौजूद हैं। यह पार्क जंगली हाथियों के लिए भी फेमस हैं। यहां 115 टाइगर्स हैं, 40 तरह के मैमल्स और 300 से ज्यादा प्रकार की बर्ड्स की प्रजातियां पाई जाती हैं।हाल ही मे एक अक्टूबर से नेशनल पार्कों में पर्यटकों का आवागमन शुरू हो गया है। अब मां-बेटी को देखने लोग उस स्थान पर जरूर जा रहे हैं जहां मां बेटी के साथ अटखेलियां करती नजर आती है।

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नेशनल पार्क में हाथियों के स्वास्थ्य औऱ खान पान का खास ख्याल रखा जा रहा है। हाथियों के लिए छुट्टियों का खास इंतजाम होता है, तब इन्हें रोज नहलाया जाता है, चंदन पाउडर से श्रृंगार किया जाता है। केला, सेब, गन्ना और गुड़ जैसे पसंदीदा खाना खिलाया जाता है।