Indian Air Force Day: देश के आसमान में राफेल ने भरी उड़ान, इंडियन एयरफोर्स ने 88वें स्थापना दिवस पर दिखाया दमखम

गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर वायुसेना की ताकत का प्रदर्शन, अपाचे, तेजस, चिनूक समेत 56 विमानों ने भरी उड़ान

Updated: Oct 08, 2020, 07:40 PM IST

Photo Courtesy: indian air force
Photo Courtesy: indian air force

आज भारतीय वायुसेना का 88वां स्थापना दिवस है। इस मौके पर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर वायुसेना ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इंडियन एयरफोर्स के स्थापना दिवस के मौके पर पहली बार राफेल ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस मौके पर चिनूक हेलिकॉप्टर, अपाचे हेलिकॉप्टर, ग्लोबमास्टर, सुखोई समेत कई लड़ाकू विमानों का दम दुनिया ने देखा।

हिंडन एयरबेस से वायुसेना के 56 विमानों ने आकाश में उड़ानें भरी और अपना दमखम दिखाया। इनमें 19 फ़ाइटर, 19 हेलीकॉप्टर, 7 ट्रांसपोर्ट, 9 सूर्य किरण एरोबैटिक टीम के हॉक और 2 विंटेज शामिल थे। वायुसेना के बेड़े में इस बार राफेल खास आकर्षण का केंद्र रहा। इस मौके पर दो राफेल विमान यहां मौजूद थे। आपको बता दें की हाल ही में फ्रांस से 5 राफेल आए हैं, जिन्हें भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया है। इनमें से एक राफेल विमान ने उड़ान भरी।

आसमान में राफेल का दम देखकर दुनिया हतप्रभ रह गई। राफेल के साथ जगुआर लड़ाकू विमानों ने फॉर्मेशन तैयार किया था। यह एक शानदार नज़ारा था। इस दौरान आसमान में राफेल ने कई करतब दिखाए। राफेल के अलावा वायुसेना के दूसरे लड़ाकू विमानों में तेजस, मिराज, सुखोई और शिनूक, स्वदेशी रुद्र ने भी देश को अपनी ताकत दिखाई।

 

 

 

सभी फाइटर जेट्स 5-5 की फॉर्मेशन में उड़ान भरते दिखे। इससे पहले विमान 3-3 की फॉर्मेशन में ही उड़ाने भरते थे। एयरफोर्स के भारी परिवहन विमान  ग्लोवमास्टर और सुपर हर्कुलिस ने भी हिंडन एयरबेस के आकाश में अपना गरिमामय उपस्थिती दर्ज करवाई।

8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना ने अपने औपचारिक ऑपरेशंस की शुरूआत की थी। वायुसेना ने एक अप्रैल 1933 को पहली बार उड़ान भरी थी। उस दौरान पहला ऑपरेशन वजीरिस्तान में कबाइलियों के विरुद्ध था। वहीं दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वायुसेना को विस्तार दिया गया था। तब बर्मा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। साल 1945 में इसका नाम रॉयल इंडियन एयर फोर्स रखा गया। भारत के गणराज्य बनने के बाद 1950 में इंडियन एयरफोर्स से रॉयल शब्द हटा दिया गया। तब से यह इंडियन एयरफोर्स कहा जाने लागा।

भारतीय वायुसेना देश की रक्षा के साथ-साथ आपदाओं में राहत और बचाव कार्यों में मदद करने का काम बखूबी करती है। वायुसेना कई युद्धों में शामिल रही है- दूसरा विश्वयुद्ध, भारत-चीन युद्ध, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन विजय, करगिल युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध, कॉन्गो संकट। वैसे भारत की आजादी के बाद से अब तक 4 युद्धों में से तीन पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़े गए थे। वहीं एक युद्ध चीन के खिलाफ लड़ा गया था। 

इंडियन एयरफोर्स पांच ऑपरेशनल और दो फंक्शनल कमांड्स में बंटी है। वायुसेना के हर कमांड का नेतृत्व एयर मार्शल की रैंक के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ द्वारा किया जाता है। ऑपरेशनल कमांड का उद्देश्य जिम्मेदारी के क्षेत्र में एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करते हुए मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम देना होता है। वहीं एयर फोर्स के फंक्शनल कमांड की जिम्मेदारी किसी भी युद्ध के लिए तैयार रहना है। इंडियन एयर फोर्स में करीब 1,721 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें Su-30MKI, जगुआर, मिराज-2000, अपाचे और चिनूक हैं। आज के फ्लाई पास्ट में पहली बार रफाल भी शामिल हुआ।

इंडियन एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया ने इस मौके पर कहा कि भविष्य में हम सिक्सथ जनरेशन फाइटर तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक और अत्याधुनिक ड्रोन सिस्टम विकसित करने पर काम करेंगे। इंडियन एयरफोर्स चीफ ने कहा कि भारतीय वायु सेना राष्ट्र की अस्मिता और रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेगी।