कैसे टूटता है ग्लेशियर, उत्तराखंड में कितना कहर बरपा सकती है यह दुर्घटना

सालों तक भारी मात्रा में बर्फ जमा होने और उसके एक जगह जमा होने से ग्लेशियर का निर्माण होता है, 99 फीसदी ग्लेशियर आइस शीट के रूप में होते हैं

Updated: Feb 07, 2021, 12:59 PM IST

चमोली। उत्तराखंड के चमोली में जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से हाहाकार मच गया है। खबर है कि कई लोग अचानक आई बाढ़ में बह गए हैं। ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी का जलस्तर अचानक से बढ़ गया है जिसकी वजह से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गया है। गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने वायु सेना को तैयार रहने के लिए कहा है। इस हादसे की वजह से यह सवाल भी लोगों के मन में उठ रहा है कि  ग्लेशियर कैसे और क्यों टूटता है और चमोली में ग्लेशियर टूटने की वजह से कितना नुकसान होने की आशंका है? 

ग्लेशियर का निर्माण एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। सालों साल बर्फ जमा होने और उसके एक जगह जमा होने से ग्लेशियर बनते हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर लगभग सभी ग्लेशियर आइस शीट के रूप में होते हैं। ग्लेशियर ध्रुवीय इलाकों या बहुत ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में होते हैं। हिमालय में भी ग्लेशियर्स की बड़ी संख्या है। हालांकि पर्यावरण की चिंता करने वाले इस बात से परेशान हैं कि हिमालय के ग्लेशियर तेज़ी से घट रहे हैं। 

कई बार भू-वैज्ञानिक हलचलों जैसे टेक्टोनिक प्लेट्स का खिसकना या तापमान में भारी बदलाव जैसी स्थितियों के कारण ग्लेशियर फटते या टूटते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी ग्लेशियर की बर्फ पिघलकर बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों के रूप में टूटने लगती है। हिंदी में इसे ग्लेशियर का फटना या टूटना कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे काल्विंग या ग्लेशियर आउटबर्स्ट भी कहा जाता है। वाडिया इंन्स्टीट्यूट ऑफ हिमालयन ज्योलॉजी ने हिमालयी क्षेत्रों में ऐसी कई झीलों का पता लगाया है जहां ग्लेशियर फटने का खतरा मंडरा रहा है। 

ग्लेशियर आउटबर्स्ट से क्या हो सकता है नुकसान

ग्लेशियर टूटने से भारी नुकसान होने की आशंका रहती है। इससे भयंकर बाढ़ आने का खतरा रहता है। ग्लेशियर की बर्फ टूटकर झीलों में गिर जाए तो उसका पानी अचानक बाहर आकर उससे जुड़ी नदियों में सैलाब ला सकता है। इससे आसपास के बड़े इलाकों में भयंकर तबाही, बाढ़ और जानमाल का नुकसान हो सकता है। 

उत्तराखंड से आ रही जानकारी के मुताबिक नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपर ग्लेशियर के टूटने की वजह से आई बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया है। इस वजह से ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर स्थित रैणी गांव के पास मौजूद ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा है। पानी पावर प्रोजेक्ट को ध्वस्त करने के बाद भी तेज़ी से आगे बढ़ा है।