लॉकडाउन : अब दूरदर्शन पर लगेगी क्‍लास...

देशभर में जारी लॉकडाउन में स्कूल-कॉलेज ऑनलाइन क्लास का सहारा ले रहे हैं। परंपरागत क्लास अब ई-पाठशाला में तब्दील हो चुकी है।

Publish: May 08, 2020, 04:31 AM IST

Photo courtesy : sputnik news
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पहले आकाशवाणी, फिर ऑनलाइन क्लास और अब दूरदर्शन मध्यप्रदेश के माध्यम से होगी बच्चों की पढ़ाई, जी हां दूरदर्शन मध्यप्रदेश चैनल पर 11 मई से एक नया कार्यक्रम क्लासरूम शुरू हो रहा है, जिसके माध्यम से 10 वीं क्लास लिए दोपहर 12 बजे से एक बजे तक और 12वीं क्लास के लिए दोपहर 3 से 4 बजे तक सब्जेक्ट बेस्ड टीचिंग होगी।

हालांकि, कोरोना संकट से बचाव के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन में स्कूल-कॉलेज ऑनलाइन क्लास का सहारा ले रहे हैं। अब परंपरागत क्लास अब ई-पाठशाला में तब्दील हो चुकी है। लेकिन इसके फायदे और नुकसान को लेकर छात्र, शिक्षक, परिजन और डॉक्टर सभी के अपने-अपने तर्क हैं।

आंख,गर्दन पर पड़ रहा असर

ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई करने वाली 12वीं की छात्रा खुशी चौधरी का कहना है कि पहले तो उन्हे ऑनलाइन क्लास में काफी मजा आया, लेकिन करीब एक महीने बाद उन्हे आंखों में ड्रायनेस, गर्दन और पीठ दर्द जैसी समस्याएं होने लगी हैं। वहीं पेरेंट्स का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई और सेहत दोनों जरूरी हैं, ऐसे में बच्चे को पढ़ाना भी ज़रूरी है लेकिन उनकी सेहत भी जरूरी है। कोरोना संक्रमण के चलते मार्च से ही स्कूल बंद कर दिए गए हैं। बढ़ते संक्रमण के कारण स्कूल-कॉलेज खुलने में अनिश्चितता है ।

बच्चों की आंखों पर हो रहा है असर

लॉक डाउन को सवा महीने से ज्यादा वक्त बीत गया है, और अब ऑनलाइन क्लास के साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं। बच्चों को चार से पांच घंटे मोबाइल या लैपटॉप लेकर बैठना पड़ता है। घंटों स्क्रीन के सामने रहने के कारण स्क्रीन टाइम बढ़ गया है, जिससे सिरदर्द, गर्दन में दर्द जैसी समस्याएं होने लगी हैं। घर में स्कूल जैसा माहौल नहीं बन रहा, ऑनलाइन पढ़ाई में कॉन्सेप्ट भी क्लियर नहीं हो पा रहे हैं।

स्क्रीन टाइम बढ़ने से होता है मनोवैज्ञानिक असर 

डॉक्टर शकुंतला पांडेय के अनुसार यदि स्टूडेंट्स घंटों स्क्रीन पर नजर टिकाए रहते हैं तो उनकी आंखों में सूजन,एक की पोजीशन में बैठे रहने से गर्दन और पीठ में दर्द के साथ ही मनोवैज्ञानिक असर हो सकता है। इससे उनमें आत्मसंयम की कमी, जिज्ञासा में कमी, भावनात्मक स्थिरता ना होना, ध्यान कंसन्ट्रेट ना कर पाना जैसी समस्याएं आती हैं । इन दिनों बच्चो की  फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है, जिससे उनका वजन भी बढ़ रहा है । ज्यादा देर पढ़ाई में कंस्ट्रेट नहीं कर पाते, सामान्य तौर पर बच्चे 20 से 30 मिनट ही अच्छी तरह फ़ोकस कर सकते हैं, ये सीमा ज़्यादा से ज़्यादा 40 मिनट हो सकती है. उसके बाद ध्यान भटकना शुरू हो जाता है

सिलेबस पढ़ाने के साथ दिया जा रहा होमवर्क

वहीं इस बारे में भोपाल के स्कूल शिक्षक पीयूष भटनागर का कहना है कि लॉक डाउन के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए प्रयास हो रहे हैं, स्कूलों ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से स्टूडेंट्स को सिलेबस पढ़ाने के साथ ही होमवर्क भी दिया जा रहा है । स्कूल की तरह बच्चों की क्लास का टाइम टेबल बनाया गया है। बच्चे ये क्लासेस मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो कॉल के ज़रिए ले रहे हैं। निजी स्कूल टीचर कृष्णा पांडेय का कहना है कि ये सिलेबस पढ़ा दिए जा रहे हैं। इन्हें अब स्कूल खुलने पर दोबारा नहीं पढ़ाया जाएगा। 

बीच-बीच में लें ब्रेक, करें हल्का व्यायाम

लॉकडाउन कब खत्म होगा इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है, लिहाजा स्कूलों की कोशिश है कि लॉकडाउन में भी बच्चों को पढ़ाई में पिछड़ने न दिया जाए। ऐसे में डॉक्टरो की सलाह है कि छात्रों को समय-समय पर ब्रेक लेना चाहिए, घर पर ही एक्सरसाइज करनी चाहिए, आंखों को आराम देना चाहिए, बैलेंस डाइट के साथ पूरी नींद लेनी चाहिए, तनाव नहीं लेना चाहिए, ताकि पढ़ाई भी हो और सेहत भी बनी रहे।