MP: सरकारी ने सुनी नहीं तो आदिवासियों ने एक दिन में खुद बनाया बांध

Satna: आजादी के सात दशक बाद दूर हुआ जल संकट, सतना जिले के बटोही गांव में आदिवासियों ने 24 घंटे में बना डाला कच्चा बांध

Updated: Sep 03, 2020, 04:46 AM IST

Photo Courtesy: Navbharat times
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सतना। चित्रकूट के दुर्गम इलाके में घने जंगलों के बीच बसा बटोही गांव पानी की परेशानी के लिए जाना जाता था। लेकिन अब यहां के आदिवासियों की मेहनत और काबिलियत के दम पर उनकी पानी की समस्या दूर हो रही है। दरअसल बटोही गांव के लोगों ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करते हुए एक ही दिन में बांध बना डाला है।

इन आदिवासियों ने प्रशासन को आईना दिखाया है जो कभी इनकी मांगों पर गौर नहीं करते थे और इन्हें पानी के लिए तरसने के लिए छोड़ देते थे। घने जंगलों के बीच बटोही गांव के आदिवासियों ने स्थानीय झूरी नदी को रोककर अपने लिए बांध बनाने का दुश्कर कार्य किया है। यह बांध का पानी जलसंकट तो दूर करेगा ही सिंचाई के काम भी आएगा।

24 घंटे में नदी पर बनाया कच्चा बांध

इस इलाके में पेयजल एक बड़ा संकट है। कई बार शिकायत के बाद भी कहीं सुनवाई नहीं होने पर लोगों ने खुद इस काम का बीड़ा उठाया और झूरी नदी में बांध बना डाला। फिलहाल यहां 3 फीट पानी भरा है। लगातार बारिश के बीच बहती नदी को रोकना और किसी कच्चे बांध का निर्माण खतरे से खाली नहीं है। लेकिन बटोही गांव के सैकड़ों वनवासियों ने 24 घंटे में ही झूरी नदी को रोककर कच्चा बांध बना डाला।

नदी पर 5 फीट ऊंचा और 70 फीट लंबा बांध बनाया

ग्रामीणों मे  पत्थरों और बोरियों से करीब 5 फीट ऊंची और तकरीबन 70 फीट लंबी दीवार बना कर कच्चा बांध बना डाला। आपको बता दें कि यह झूरी नदी बारिश में के बाद सूख जाती है। और यहां गर्मियों में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है।

बांध बनाने में सामजसेवियों ने भी की ग्रामीणों की मदद

झोरी नदी में बोरी बंधान के लिए गोलकी देवी सामाजिक सेवा संस्थान ने बोरियां उपलब्ध कराईं। वहीं गांव की महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी श्रमदान किया। इस आदिवासी बाहुल्य बटोही गांव में पीने का पानी एक बड़ी चुनौती हमेशा से रही है। यहां पथरीली जमीन पर बोरिंग नहीं की जा सकती। कुओं से भी पानी नहीं निकलता है। ऐसे में झूरी नदी पर बारिश का पानी ही एक मात्र रास्ता था।

दशकों से पानी की किल्लत से जूझ रहे थे ग्रामीण

यह बटोही गांव नगर पंचायत के वार्ड नंबर 13 में आता है। लेकिन यहां के हजारों ग्रामीण आजादी से सात दशक बीत जाने के बाद भी पानी के लिए तरस रहे थे। इलाके में पानी की समस्या के कारण ग्रामीण यहां से पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं। भीषण गर्मी के दिनों में महिलाओं को पानी भरने के लिए 3-4 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। बांध बनने से अब ग्रामीणों को थोड़ी राहत मिल सकेगी।

कितनी ही सरकार आई और गई लेकिन किसी ने बटोही के ग्रामीणों की सुध नहीं ली। जिसके बाद एक समाजसेवी संस्था ग्रामीणों की मदद के लिए आगे आए और उन्हें प्रोत्साहित किया। और ग्रामीणों ने झूरी नदी में एक ऐसा बांध बना डाला,जिससे आगामी वक्त में पानी के संकट से कुछ हद तक मुक्ति मिल सकेगी।