35 सालों में रक्‍त दान की सेंचुरी

Blood Donor Day 2020 : अपने लिए जिये तो क्या जिये, तू जी, ए दिल जमाने के लिए

Publish: Jun 15, 2020, 05:46 AM IST

Photo courtesy : jagran.com
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रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए हर साल की तरह इस साल भी 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है दुनिया में रक्त की कमी की वजह से किसी को अपनी जान ना गंवानी पड़े। लोगों की जान बचाने और इलाज के लिए जरूरत के मुताबिक खून उपलब्ध हो सके। आज विज्ञान की इतनी प्रगति के बावजूद इंसानी खून कहीं और से नहीं मिल सकता। खून की कमी इंसान के खून से ही पूरी होती है। अगर ब्लड बैंकों में पर्याप्त मात्रा में खून उपलब्ध होगा तो खून की कमी के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होगी।  भोपाल में कई ऐसे लोग हैं जो निस्वार्थ भाव से इस काम में बरसों से लगे हैं। उनकी जिंदगी का फलसफा है ‘अपने लिए जिये तो क्या जिये, तू जी, ए दिल जमाने के लिये।’

हो चुकी है रक्तदान की गोल्डन जुबली

आवाज की दुनिया का जानामाना नाम हैं भोपाल के विमल भंडारी। वे रक्तदान की सेंचुरी मार चुके हैं। अब तक सौ बार से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके विमल करीब 35 साल से इस काम में जुटे हैं। वे रक्तदान करने से पहले ये कतई नहीं सोचते कि किसके लिए ब्लड चाहिए, क्या परेशानी है। बस उन्हें पता चलना चाहिए कि किसी जरूरतमंद की जान पर बन आई है, और रक्त चाहिए। वो पहुंच जाते हैं रक्तदान करने। और जब किसी अन्य ग्रुप के ब्लड की जरूरत होती है तो रक्तदान करने के लिए अपने साथियों और परिवार के सदस्यों की मदद भी लेते हैं। विमल की पत्नी राजमाला भंडारी, बच्चे और उनके छोटे भाई कमल भंडारी भी रक्तदान की इस मुहिम में लगातार शामिल हैं। विमल के भाई कमल भंडारी लायंस क्लब से जुड़ें हैं। उनकी पहल पर एक रक्त संग्रहिका का प्रकाशन करवाया गया है जिसमें हर ब्लड ग्रुप के लोगों के नाम, पता और फोन नंबर उपलब्ध हैं। इस किताब के माध्यम से रक्तदाताओं की मदद की जा रही है।

ये मेरा खूनजात भाई है, सुनकर दिल को मिला सुकून

विमल भंडारी ने बताया कि करीब 20-25 साल पहले जब मोबाइल फोन और दूसरे विकल्प नहीं होते थे, लोग आकाशवाणी के जरिए मदद मांगने के लिए फोन करके विज्ञापन दिया करते थे। उनकी ड्यूटी के दौरान आकाशवाणी में एक फोन आया कि BHEL स्थित कस्तूरबा अस्पताल में किसी महिला को B पॉजिटिव रक्त की जरुरत है। ड्यूटी आफिसर ने स्टूडियो में आकर एनाउंसर विमल भंडारी को सूचना पढ़ने को दी। सूचना पढ़ने के बाद विमल भंडारी ने ड्यूटी आफिसर को अपने B पॉजिटिव होने की बात कही और मरीज की मदद की पेशकश की। जिसके बाद उन्होने कस्तूरबा अस्पताल जाकर महिला को खून दिया और वापस आकर अपनी ड्यूटी भी पूरी की। विमल भंडारी का कहना है कि उनके रक्तदान से महिला की जान बच गई और उनके परिवार से घरेलू नाता बन गया है। आज भी चित्रा भादुड़ी जब किसी से उनका परिचय करवाती हैं तो यही कहतीं हैं कि ये मेरा खूनज़ात भाई है।

रक्तदान को लेकर लोगों में है भ्रांति

विमल भंडारी का कहना है कि लोगों में रक्तदान को लेकर इतनी भ्रांति है कि लोग कई बार अपने माता पिता को भी खून देने से कतराते हैं। एक बार वे हमीदिया अस्पताल में अपनी माताजी का इलाज करवाने गए थे। तभी उनके पास एक शख्स आया और अपनी परेशानी बताने लगा कि उसके पिताजी को रक्त की जरूरत है। और ब्लड बैंक में खून उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जब विमल ने उस युवक से पूछा कि क्या आपने अपने पिता जी को ब्लड दिया है तो वह युवक वहां से भाग खड़ा हुआ। जिसके बाद उस युवक के पिताजी की खराब हालत देखते हुए विमल ने ही रक्तदान किया और उस बुजुर्ग की जान बचाई। और उस युवक को भी सीख दी कि रक्तदान से कोई कमजोरी नहीं आती। 

करके देखिए अच्छा लगता है

भोपाल के प्रशांत दुबे आवाज NGO से जुड़े हैं। वे भी नियमित रूप से रक्तदान करते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पहली बार एक एक्सिडेंट में घायल व्यक्ति की मदद की थी। जिसके बाद रक्तदान करने का जो सिलसिला शुरु हुआ है वो अब तक जारी है। अब तक प्रशांत करीब 23 बार रक्तदान कर चुके हैं। प्रशांत की मानें तो ‘करके देखिए अच्छा लगता है’ या ‘रक्तदान महादान’ महज एक डायलाग हैं, लेकिन जब ये लाइनें कोई आपको दिल से कहे तो बात दिल को सुकून देती है।      

जान बचाने के लिए शुक्रिया भाई साहब, सुनकर अच्छा लगता है!

प्रशांत दुबे ने बताया कि एक बार एक शख्स रोड एक्सीडेंट में गंभीर रुप से घायल हो गए थे। जिसके बाद उन्हे खून की जरूरत थी, दोस्तों के साथ प्रशांत भी घायल व्यक्ति को खून देने चले गए। ठीक होने के बाद उस शख्स का फोना आया और उसने कहा भाईसाहब मेरी जान बचाने के लिए शुक्रिया, वो शब्द सुनकर मन को सुकून मिला। वो महज चंद शब्द नहीं थे, उस शख्स के दिल से निकली आवाज थी। प्रशांत ने बताया कि उसके बाद उन्हे लगा कि अगर हम सक्षम हैं तो क्यों ना नियमित रुप से रक्तदान करें और तब से शुरु हुआ सिलसिला लगातार जारी है। प्रशांत दुबे ने हाल ही में कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए 6 जून को भी रक्तदान किया था। प्रशांत के साथ उनकी पत्नी रोली भी नियमित रूप से ब्लड डोनेट करती हैं उनकी कोशिश होती है कि बर्थडे या शादी की सालगिरह के मौके पर अवश्य रक्तदान करें।

रक्तदान देता है सुकून और आत्मसंतोष 

गौरतलब है कि कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति हर तीन महीने में रक्तदान कर सकता है। रक्तदाता की उम्र 18 से 65 साल के बीच होनी चाहिए और उसका वजन 45 किलो से अधिक होना चाहिए। डोनर के ब्लड में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 मिलीग्राम% से अधिक होनी चाहिए। इंसान को सबसे ज्यादा प्यारे होते हैं खून के रिश्ते, ये रिश्ते हमें ईश्वर प्रदान करता है, लेकिन इस समाज में कई ऐसे लोग है जो खून के रिश्ते स्वयं बनाते हैं। ये हैं रक्तदाता जो बिना किसी लालच के अनजाना रिश्ता निभातें हैं और पीड़ित मानवता की सेवा करते हैं। रक्तदान से सुकून और आत्मसंतोष की अनुभूति होती है।