जी भाईसाहब जी: विधायक पुत्र को रणनीति से बचाया, चरित्र पर उठे सवालों का क्‍या

MP Politics: पार्टी विथ डिफरेंस तथा चाल, चेहरा और चरित्र को अपनी विशेषता बताने वाली भारतीय जनता पार्टी का बीते कुछ सालों से अवमूल्‍यन हुआ है। देवास टेकरी पर पुजारी के साथ हुई घटना भी इसका उदाहरण है। हालांकि, विधायक पुत्र को रणनीतिक पूर्वक बचा लिया गया लेकिन पार्टी में उठे असंतोष पर यह रणनीति कारगर नहीं है।

Updated: Apr 16, 2025, 02:38 PM IST

देवास में माता टेकरी पर देर रात दर्शन के दौरान हुए विवाद मामले में इंदौर के विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष सहित 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। लेकिन जिस तरह से हंगामा और विवाद हुआ था, कार्रवाई उतनी ही सरल और सपाट रही। इस घटना ने एकबार फिर बीजेपी को लेकर अंदर ही अंदर उबल रहे असंतोष को छलका दिया है। 

पार्टी विथ डिफरेंस तथा चाल, चेहरा और चरित्र को अपनी विशेषता बताने वाली भारतीय जनता पार्टी का बीते कुछ सालों से अवमूल्‍यन हुआ है। यह गिरावट कई बार बेशर्मी की हद तक पहुंच जाती है। शक्ति प्रदर्शन और राजनीति घमंड के ओछे प्रदर्शन से पार्टी की किरकिरी तो होती है, इसे खड़ा तथा पोषित करने वाले कार्यकर्ता मनमसोस कर रह जाते हैं। वरिष्‍ठ पदाधिकारी या नेता पार्टी के इस चरित्र के खोने पर यूं तो खुल कर बातें कम ही करते हैं लेकिन जब कहीं कोई अपनी पीड़ा को आवाज देता है तो सब इस बात कर समर्थन कर अपने दर्द को सार्वजनिक कर देते हैं। 

इंदौर विधायक गोलू शुक्‍ला के बेटे रूद्रांक्ष शुक्‍ला का साथियों के साथ सायरन वाली गाडि़यों के साथ आधी रात माता मंदिर जाना, वहां पट न खोलने पर पुजारी के साथ मारपीट करना, और धमकाने जैसा मामला छिप ही जाता यदि मीडिरूा और सोशल मीडिया पर वायरल न होता। मामले को दबाने का प्रयास हुआ फिर जब बात बिगड़ गई तो उससे राजनीतिक तरीके से निपट लिया गया। खामोश रहनने और कोई प्रतिक्रिया नहीं देने की रणनीति बनाई गई ताकि मामला अपने आप दो-चार दिनों में शांत हो जाएगा। 

लेकिन मामले ने दबे असंतोष को आवाज दे दी है। पार्टी की किरकिरी होती देख बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने इतना जरूर कहा है कि किसका भी बेटा हो कार्रवाई होगी। एफआईआर हुई यह अलग बात है कि धाराएं मामूली थीं। जबकि संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी नरेंद्र जैन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सत्ता के लालच में कुकत्यों कब तक ढोयेगी बीजेपी? यदि बीजेपी पार्टी विथ डिफरेंस का दावा करती है तो उसे विधायक से इस्तीफा लेना चाहिए। 

इस बेबाक राय पर प्रतिक्रियाओं में समर्थकों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बीजेपी में हो रहे अवमूल्‍यन पर चिंताएं जताई। इन प्रतिक्रियाओं से साफ हुआ कि सबके लिए दरवाजे खोलते हुए बीजेपी अपने मूल चरित्र से भटक रही है। पार्टी नेतृत्‍व ने विधायक पुत्र के दुर्व्‍यवहार से उपजा राजनीतिक संकट तो हैंडल कर लिया लेकिन पार्टी की चाल, चरित्र और चेहरा बिगड़ने पर उठ रही चिंताओं पर फिलहाल कोई उत्‍तर नहीं है। कोई प्रतिक्रिया नहीं देने की नीति संगठन की दृष्टि से उपयुक्‍त साबित नहीं होती है। 

पुराने भोपाल में पलायन और धीरेंद्र शास्त्री का दखल

बीते दिनों दो खबरें बड़ी चर्चा में रही। एक तो आरएसएस का सर्वे और दूसरा बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक घोषणा। आरएसएस ने अपनी पत्रकार वार्ता में दावा किया कि राजधानी भोपाल के पुराने शहर यानी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से हिंदुओं का तेजी से पलायन हो रहा है। इस बदलाव को लेकर संघ ने चिंता जताते हुए इसे सामाजिक संतुलन में बदलाव का संकेत करार दिया। यह बात अलग है कि इस सर्वे के तरीकों पर सवाल उठे तथा जवाब में कहा गया कि लोग बेहतर निवास व सुविधाओं के लिए लोग नई दिशा की तरफ बढ़े हैं। यह धार्मिक कारणों से पलायन नहीं है। 

संघ के इस सर्वे की तरह ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की योजना एकदम चर्चा में आई। अपनी इस योजना के तहत वे देश का पहला हिंदू ग्राम बसाने जा रहे हैं। इसके लिए बागेश्वर धाम में ही वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भूमिपूजन किया गया। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र का सपना हिंदू घर से ही शुरू होता है। उनकी इस घोषणा के बाद मुस्लिम, सिख और ईसाई गांव की अनुमति दिए जाने की मांग भी उठ गई। 

संघ के सर्वे को आधार बनाते हुए बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अब पुराने भोपाल से पलायन रोकने की मुहिम छेड़ेंगे। सांसद और पुराने भोपाल के निवासी आलोक शर्मा ने उन्हें आमंत्रित किया है। अंदरखाने की खबरें बताती हैं कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 5 जून को भोपाल आ सकते हैं। वे बीजेपी और संघ कार्यकर्ताओं के साथ पुराने भोपाल के निवासियों के साथ सम्‍मेलन करेंगे। सर्वे और हिंदु ग्राम बसाने की टाइमिंग और इस आधार पर नई मुहिम के मायने यही है कि यह मसला यहीं थमने वाला नहीं है। 

जैसे गोपालक सीएम हैं, वैसी किस्‍मत हर गोपालक की हो 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रविवार को भोपाल आए। राज्यस्तरीय सहकारी सम्मलेन में में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और मध्यप्रदेश सरकार के बीच दुग्‍ध उत्‍पादन और विक्रय पर एक करार पर हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम में सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गौ पालन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार अब गाय का दूध खरीदेगी। उन्होंने खुलासा किया कि मेरे घर की आय भी दुग्ध उत्पादन ही है। 

यह खुलासा किसानों के लिए उम्‍मीद जगाने वाला है। पूर्ववर्ती सीएम शिवराज सिंह स्‍वयं को किसान पुत्र ही नहीं कहते थे बल्कि वे विदिशा में खुद भी खेती किया करते हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खेती में कई नवाचार किए और मुख्‍यमंत्री रहते हुए वे कई बार नई तरह की खेती का उल्लेख करते हुए किसानों को नए तरीके अपनाने को प्रेरित किया करते थे। हालांकि, कुछ समय बाद उन्‍होंने अपनी खेती और उपज पर सार्वजनिक रूप से बात करना बंद कर दिया है। 

अब वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव ने जब मंच से स्‍वयं को गोपालक बताया तथा आश्‍वासन दिया कि जिस तरह दूध विक्रय से अपने घर का खर्च चलाने की बात कर रहे हैं तो किसानों खासकर गोपालकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। प्रदेश में दूध में मिलावट या सिंथेटिक दूध भी बड़ा मसला है। इसके अलावा गोवंश की देखभाल तथा आवारा गोवंश भी एक मुद्दा है। हताश किसानों को सरकार की योजनाओं से उम्‍मीद है। इस अनुबंध के बाद मध्‍यप्रदेश के सांची दुग्‍ध ब्रांड के खत्‍म हो जाने की इन आशंकों के बीच गोपालक को यही आस है कि मुख्‍यमंत्री की तरह उनके घर का खर्च भी दुग्‍ध विक्रय से निकले तो जीवन में आराम आए। 

क्या एमपी कांग्रेस को मिलेगा बिहार जैसा चेहरा

2023 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद तेजतर्रार नेता जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष बनाया गया था। इस नियुक्ति के करीब 10 माह बाद कार्यकारिणी का गठन हुआ था। तब से जारी प्रदेश कांग्रेस के स्‍वरूप में बदलाव के कयास अब पूर्ण होने की कगार पर है। संभव है कि प्रदेश कांग्रेस का चेहरा अब बिहार मॉडल की तर्ज पर तय किया जाए। अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद यह संभावना अधिक हो गई है। 

गौरतलब है कि कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले संगठन में व्‍यापक बदलाव किए हैं। चालीस जिलों में नए समीकरणों के आधार पर अध्‍यक्ष नियुक्‍त किए हैं। बिहार में संगठन बदलाव पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि 'हमें संगठन को नई दिशा में लेकर जाना है। पहले बिहार में हमारे जिलाध्यक्षों में दो तिहाई अपर कास्ट के लोग थे, लेकिन अब नई लिस्ट में दो तिहाई ईबीसी, ओबीसी और एससी-एसटी के लोग हैं।'

उनका यह बयान एक गाइडलाइन की तरह माना जा रहा है जिसके आधार पर मध्य प्रदेश कांग्रेस में आने वाले दिनों में अहम बदलाव हो सकते हैं। बिहार कांग्रेस के पैटर्न को मध्य प्रदेश में भी लागू करने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्‍द ही कई जिलाध्यक्षों को हटाकर उनकी जगह नई नियुक्ति की जाएगी। इन नियुक्तियों का आधार राहुल गांधी का फार्मूला ही होगा।