जी भाईसाहब जी: भ्रष्टाचार की पिच पर कांग्रेस का गेम प्लान
MP Politics: जबलपुर आई कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का भाषण प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार पर केंद्रित था। 40 मिनट के भाषण में उन्होंने 220 महीने में महाकाल लोक सहित 232 घोटालों का जिक्र किया। प्रियंका गांधी ने सरकार को घेरने की लाइन तय करने के साथ एक तरह से अपना घोषणा पत्र भी रख दिया है।

कांगेस की चुनाव नीति को प्रियंका गांधी की स्वीकृति
मिशन 2023 फतह करने के लिए कई दिनों से कई मोर्चों को साध रही प्रदेश कांग्रेस की चुनावी रणनीति तय हो चुकी है। जबलपुर आई कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश कांग्रेस की चुनावी नीति का एक तरह से स्वीकृति दे दी है। प्रियंका के भाषण में वे सारे सूत्र थे जिनका अनुसरण कर कांग्रेस अपना अभियान चलाएगी। साफ है कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार की पिच पर अपना गेम प्लान किया है।
प्रियंका गांधी के भाषण के केंद्र में प्रदेश सरकार का भ्रष्टाचार था। 40 मिनट के भाषण में उन्होंने 220 महीने में महाकाल लोक सहित 232 घोटालों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2018 में जनता ने कांग्रेस की सरकार को चुना। लेकिन धन-बल से जनादेश को कुचल दिया गया। जोड़तोड़ और पैसे से बीजेपी ने कांग्रेस सरकार तोड़ी और अपनी बना ली। इन्होंने महाकाल को नहीं छोड़ा। हवा से मूर्तियां उड़ रही हैं। शिवराज सरकार ने 220 माह में 225 घोटाले किए हैं यानी राज्य में औसतन एक माह में एक से अधिक घोटोले हुए हैं। आपको हर कदम पर रिश्वत देनी पड़ती है। यहां घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं। राशन घोटाला, स्कॉलरशिप घोटाला, व्यापमं घोटाला, शिक्षक पात्रता भर्ती घोटाला, खनन घोटाला, कोरोना घोटाला, बिजली विभाग का घोटाला, पुलिस भर्ती घोटाला, ई-टेंडर घोटाला और टीवी सेट घोटाला। प्रियंका ने कहा कि घोटालों की ये लिस्ट मोदी जी ने जो गालियों वाली लिस्ट गिनाई थी, उससे भी बड़ी है।
प्रियंका गांधी ने सरकार को घेरने की लाइन तय करने के साथ एक तरह से अपना घोषणा पत्र भी रख दिया। प्रियंका गांधी ने कहा कि गारंटी दे रही हूं कि हम पांच काम 100 प्रतिशत पूरा करेंगे। यही वादा हमने कर्नाटक में किया। वहां की सरकार ने आते ही बिल पास कर दिया। इस गारंटी के साथ प्रियंका गांधी ने पांच घोषणाएं की जिनमें से दो सीधे सीधे महिलाओं से जुड़ी हैं। ये दो वादे हैं, हर महीने महिलाओं को 1500 रुपए देना तथा गैस सिलेंडर का दाम 500 रुपए करना। गरीबों के लिए 100 यूनिट बिजली फ्री। 200 यूनिट तक बिल आधा करने तथा कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा है। किसान कर्जमाफी का काम पूरा करने का वादा किया गया है। इसी के साथ चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की रणनीति तय कर दी।
इन मुद्दों के अलावा साफ्ट हिंदुत्व की राजनीति भी जारी रहेगी। प्रियंका गांधी ने इस बारे में कहा कुछ नहीं लेकिन नर्मदा की आरती और पूजा की। मतलब धर्म की राजनीति पर बीजेपी को उसी की भाषा मे जवाब देना जारी रहेगा मगर काम पर घेरने के लिए कांग्रेस भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई का सहारा लेगी।
अफवाहों से ज्यादा फैल गई भ्रष्टाचार की आग
जैसे ही मंत्रालय एनेक्सी के पास संचालनालय दफ्तर सतपुड़ा भवन में सोमवार दोपहर अचानक आग लग गई खबर सही उड़ी की चुनाव आ गए हैं, फाइलें जल गईं। कहने का अर्थ यही कि जैसे निशान मिटाने का प्रयास सफल हुआ। और जो किसी ने इस पर सवाल उठाया तो जवाब मिलता है तो फिर चुनाव के वक्त ही क्यों लगती है आग?
इस सवाल का जवाब सरकार के पास भी नहीं है। मगर यह अजीब संयोग है कि 2013 हो या 2018 या अब 2023 चुनाव के पहले बड़ी आग लगती है। यह आग उन्हीं दफ्तरों में क्यों लगती है जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे होते हैं। यह भी संयोग है कि वहां जबलपुर में कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही थी उसके कुछ समय बाद भोपाल के सतपुड़ा भवन में कई फाइलें धूं-धूं कर जल रही थीं।
कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं कि राज्य सरकार ने साजिश के तहत आग में भ्रष्टाचार के सबूत नष्ट कर दिए। यह आरोप इसलिए कि इस भवन की चौथी, पांचवीं और छठी मंजिल पर स्वास्थ्य निदेशालय के कार्यालय हैं। कुल छह फ्लोर वाले इस भवन में 20 विभागों के कार्यालय हैं। 2013 में भी आग के बाद फायर ऑडिट, फायर सेफ्टी रूल्स का पालन जैसे तमाम निर्देश दिए गए थे मगर आग तो अब भी लगी।
आग लगी और ऐसी लगी की 20 घंटों में भी पूरी बुझ नहीं सकी। सरकार ने भोपाल-दिल्ली एक कर दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को फोन लगा दिए। सेना और आपदा प्रबंधन की टीमों ने आग बुझाने के जतन किए मगर काले धूएं ने भोपाल शहर को ऐसे ढंक लिया जैसे भ्रष्टाचार के आरोप के काले बादलों ने शिवराज सरकार को घेर लिया है। कहते हैं कि अफवाहें हवा से भी तेज गति से फैलती हैं मगर कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार में भ्रष्टाचार की आग अफवाहों से भी तेज फैल रही है। सरकार फिलहाल जांच कमेटी गठित कर दोषी के सामने आने का इंतजार कर रही है, वही डैमेज कंट्रोल होगा।
भ्रष्टाचार को साबित करता उमा भारती का दर्द
कहते हैं कुर्सी से उतरोगे तब पता चलेगा कि आम जनता का दर्द क्या है? पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की ताजा सोशल मीडिया पोस्ट कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है। इलाज के लिए जब उमा भारती सरकारी के बदले प्रायवेट अस्पताल में पहुंची तो उन्हें जन्नत की हकीकत पता चली। एक के बाद एक सात ट्वीट कर उमा भारती ने आम जनता के कष्ट को नहीं समझा बल्कि बड़े बड़े इवेंट के नाम पैसा बर्बाद कर रही अपनी ही पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए सलाह दी कि भव्य आयोजनों की जगह अस्पताल पर सरकारी पैसे का उपयोग होना चाहिए।
सोमवार को उमा भारती ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रदेश में एक ओर हमारी सभाओं पर करोड़ों खर्च हो रहें हैं, दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों के बर्न यूनिट और आईसीयू में एसी के अभाव में गरीब, महिलाओं और बच्चे गर्मी में तड़प रहे हैं। यह असमानता हमारे लिए शर्मनाक है।
उमा भारती ने लिखा है कि मैं कभी भी अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में नहीं कराती, लेकिन मजबूरी में ऐसी स्थिति बनी थी कि प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ा। लेकिन अखबारों में विदिशा के जिला अस्पताल में आईसीयू यूनिट में एसी नहीं होने और मरीजों के गर्मी से तड़पने की खबर पढ़ी। जब विदिशा में ये हाल है तो मुझे लगता है कि पूरी प्रदेश में भी ऐसे ही हालत हो।
उमा भारती ने प्रदेश के नेताओं और अफसरों से अपील की है कि वे अपना इलाज किसी इमरजेंसी के अलावा सिर्फ सरकारी अस्पताल में ही कराइए। उमा भारती की पीड़ा में उस दर्द को भी समझा जाना चाहिए जो भ्रष्टाचार के कारण जन-जन को हो रहा है। भ्रष्टाचार ने स्वास्थ्य सेवाओं की कमर तोड़ कर रख दी है। सबकुछ प्रायवेट के भरोसे है जहां पैसे के आगे जान की कोई कीमत नहीं। उम्मीद भी नहीं है कि उमा भारती के कहे को बीजेपी सरकार में गंभीरता से लेगा। जैसे उमा को अब पता चला है वैसे कई नेता हैं जिन्हें खबर है कि बीजेपी की सरकार में कितना भ्रष्टाचार हुआ है मगर इस आचरण के शिकार बीजेपी नेता भी उमा भारती की तरह बोल नहीं पा रहे हैं।
राजनीतिक स्वार्थ के लिए भावनाओं का इस्तेमाल
जब भ्रष्ट आचरण की बात चल पड़ी है तो खबर यह भी है कि अपने राजनीतिक मकसद के लिए बीजेपी आग-पेट्रोल एक साथ लिए घूम रही है। एक तरफ लव जिहाद के विरूद्ध पार्टी ने मोर्चा खोला हुआ है। दमोह का गंगा जुमनी स्कूल और इसका प्रबंधन ही नहीं सरकारी अमला भी नेताओं के निशाने पर है। धार्मिक कट्टरता को विभिन्न आयोजनों के जरिए पोषित किया जा रहा है। धार्मिक आयोजन सोहार्द्र का प्रतीक नहीं बल्कि विभाजन के प्रतीक बन रहे हैं। एक वर्ग विशेष निशाने पर है। राजनीतिक प्रश्रय के बिना यह सब संभव नहीं है।
दूसरी तरफ रविवार को भोपाल में मुस्लिम मंच का आयोजन हुआ। यह मंच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुषांगिक संगठन माना जाता है और इसकी कमान संघ नेता इंद्रेश कुमार के हाथ में है। वे बरसों से मुस्लिमों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने तथा रक्षाबंधन पर राखी बांधने जैसे कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। भोपाल में हुए सम्मेलन में इंद्रेश कुमार ने मुस्लिमों को शपथ दिलाई कि वे 15 अगस्त के बाद हर शुक्रवार को दोपहर की नमाज के पहले तिरंगा फहराए। योग दिवस पर योग करें। गाय की कुर्बानी नहीं करें।
बीजेपी से जुड़े नेताओं और संगठनों का यह विरोधाभासी चेहरा है कि एक तरफ कट्टरता की कटार तो दूसरी तरफ भ्रष्ट आचरण पर धर्म की आड़ है। भ्रष्टाचार और कट्टरता भरे व्यवहार की आग आम आदमी के जीवन को झुलसाने की हद तक पहुंच गई है और दूसरी तरफ धर्म का आवरण किया जा रहा है। जिस तरह धोखे से किया गया प्रेम स्वीकार नहीं है उसी तरह राजनीतिक स्वार्थ के लिए भावनाओं का इस्तेमाल भी उचित नहीं है।
यही वह आचरण है जिसके लिए प्रियंका गांधी ने जबलपुर में कहा है कि धर्म दिल से जुड़ा मसला है, लेकिन मध्यप्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में लोगों के जज्बातों से खिलवाड़ करने के लिए धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस कभी इसकी पक्षधर नहीं रही। आप सोचिए आखिर कौन नेता ऐसा कर रहे हैं। सोचिए चुनाव के समय कौन आपके जज्बात से खेलते हैं। वो आपके लिए काम नहीं करते, क्योंकि आप लोगों ने ऐसे नेताओं को बिगाड़ रखा है, जब तक ऐसे नेता को अहसास नहीं कराएंगे कि काम नहीं करने पर कुर्सी छोड़नी होगी, वो धर्म की राजनीति कर आपके जज्बातों से खेलते रहेंगे।