शाहबाज शरीफ दूसरी बार बने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, पीटीआई समर्थित उमर अयूब खान को हराया

प्रधानमंत्री बनते ही शाहबाज शरीफ ने उगला जहर, कहा- भारत में कश्मीरियों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं। इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप्पी साधे हुए है। हमें कश्मीर की आजादी के लिए संसद में एक प्रस्ताव पास करना चाहिए।

Updated: Mar 04, 2024, 04:37 PM IST

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में शाहबाज शरीफ देश के 24वें प्रधानमंत्री बन गए हैं। वे दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री चुने गए हैं। उन्हें नेशनल असेंबली में 201 सांसदों का साथ मिला। PTI समर्थक उम्मीदवार उमर अयूब के लिए 92 सांसदों ने वोट किया। नेशनल असेंबली के स्पीकर अयाज सादिक ने रविवार को नतीजों की घोषणा की।

प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए शाहबाज शरीफ ने नवाज और सभी सहयोगियों को उन पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद कहा। वहीं, पीएम बनते ही उन्होंने भारत के खिलाफ जहर भी उगला। शाहबाज ने कहा, 'गाजा में फिलिस्तीन और भारत में कश्मीरियों पर जुल्म ढहाए जा रहे हैं। इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप्पी साधे हुए है। हम सबको साथ मिलकर कश्मीर और फिलिस्तीन की आजादी के लिए संसद में एक प्रस्ताव पास करना चाहिए।'

शाहबाज शरीफ ने देश में आतंकवाद और उसकी जड़ों को खत्म करने की कसम खाई। उन्होंने कहा कि जब मेरे भाई तीन बार प्रधानमंत्री चुने गए तो देश में जो विकास हुआ, वह अपने आप में एक मिसाल है। यह कहना गलत नहीं है कि नवाज शरीफ ही हैं, जिन्होंने पाकिस्तान को खड़ा किया है। दूसरी तरफ देश जुल्फिकार अली भुट्टो के बलिदानों को भी कभी नहीं भूल सकता।

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शाहबाज ने आगे कहा कि मेरे बड़े भाई नवाज ने कभी भी देश को नुकसान पहुंचाने के बारे में नहीं सोचा है। उन्होंने पुरानी सत्ता (इमरान खान की सत्ता) का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने पूरे विपक्ष को सलाखों के पीछे डाल दिया, उन्हें महिलाओं या बच्चों की परवाह नहीं थी।

PM शरीफ ने आगे कहा कि इस नेतृत्व और उस नेतृत्व में यही अंतर है। पूरी सभा इस बात की गवाह है कि हमने बदले की राजनीति के बारे में कभी नहीं सोचा। हमारी सत्ता में कभी कोई इमारत तबाह नहीं हुई। हालांकि, यह शर्मनाक है कि देश ने वह दिन देखा जब 9 मई को सेना के हेडक्वाटर और सरकारी इमारतों पर हमला किया गया।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ऋण संकट का सामना कर रहा है, यहां नेशनल असेंबली के खर्चों का भुगतान भी पैसे उधार लेकर किया जा रहा है। हम व्यवस्था में बदलाव लाने और बुनियादी सुधार करने के लिए फैसले लेंगे। मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि नवाज शरीफ, आसिफ अली जरदारी और अन्य इस बात से सहमत होंगे कि या तो हम कर्ज से छुटकारा पा सकते हैं या फिर हम शर्म से सिर झुका कर आगे बढ़ सकते हैं।