देशभर में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- अधिकारी जज नहीं बन सकते
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
नई दिल्ली। देशभर में चल रहे बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। हालांकि, अदालत ने ये भी कहा कि इस ऑर्डर में सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइंस के अवैध अतिक्रमण शामिल नहीं हैं।
मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अगर कार्रवाई दो हफ्ते रोक दी तो आसमान नहीं फट पड़ेगा। आप इसे रोक दीजिए, 15 दिन में क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में बुलडोजर न्याय का महिमामंडन और दिखावे को इजाजत नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी इजाजत के बिना तोड़फोड़ नहीं होगी। हम बुलडोजर को लेकर गाइडलाइन बनाएंगे। सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम अनधिकृत निर्माण के बीच में नहीं आएंगे, लेकिन कार्यपालिका जज नहीं हो सकती है।
वहीं जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि बाहरी शोर हमें प्रभावित नहीं करता है। हम इस समय इस सवाल पर नहीं जाएंगे कि कौन सा समुदाय है, अगर अवैध रूप से तोड़फोड़ की एक भी घटना हुई है, तो यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारे निर्देश होंगे, उन्हें दिशा-निर्देश कहा जा रहा है। अगली तारीख तक अदालत की अनुमति के बिना ध्वस्तीकरण पर रोक होनी चाहिए।