जी भाई साहब जी: मध्‍य प्रदेश बीजेपी में जीत की खुशी के पीछे तनाव की छाया

MP Politics: बीजेपी नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस से लीड लेकर भी खुश नहीं है। बीजेपी नेताओं ने जीत पर बयान जरूर दिए मगर इस खुशी के पीछे उदासी की छाया साफ देखी जा सकती है। इसका कारण बीजेपी का नारा ‘अबकी पार दो सौ पार’ है। यह तनाव बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में भी दिखाई देना तय है।

Updated: Jan 24, 2023, 06:49 PM IST

कमलनाथ एवं शिवराज  सिंह चौहान
कमलनाथ एवं शिवराज सिंह चौहान

राजनीति में उलटफेर कभी हो सकता है मगर चुनाव मैदान में उतरते समय पुराने रिकार्ड और समीकरणों को जरूर देखा जाता है त‍ाकि जीत का हौसला बना रहे। इस लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस से लीड लेकर भी बीजेपी के खेमे में वैस खुशी नहीं है जैसी होनी चाहिए। नगरीय निकाय चुनाव में जीत से बीजेपी नेता प्रसन्‍न है मगर परिणामों के संदेश से यह मुस्‍कान फीकी दिखाई दे रही है। 

जीत के बाद भी उल्‍लास के फीका होने का कारण भी है। असल में बीजेपी ने मिशन 2023 के लिए नारा दिया है, ‘अबकी पार दो सौ पार’। 230 सीटों की विधानसभा में बहुमत के लिए 116 सीट का आंकड़ा चाहिए। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 109 सीट पर सिमट गई थी। उसके बाद सरकार जाने और आने का किस्‍सा सभी को पता है। 

विधानसभा चुनाव में उतरने के पहले नगरीय निकाय चुनाव मैदानी ताकत का परीक्षण का जरिया थे। मगर प्रदेश के 19 नगरीय निकायों में हुए चुनाव के परिणाम ने बड़ा संदेश दिया है। 19 नगरीय निकाय चुनाव में 11 पर बीजेपी और 8 पर कांग्रेस जीती है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों को समेट कर 30 से भी कम कर देने का सपना देख रही बीजेपी निकाय चुनाव में बड़ा अंतर नहीं रख पाई। नगरीय निकायों में जीत के मामले में बीजेपी आगे हैं मगर ताजा परिणाम राजन‍ीतिक स्थितियों को अधिक अच्‍छी तरह व्‍यक्‍त करते हैं। इस लिहाज से कांग्रेस की चुनौतियां कम नहीं हुई है मगर बीजेपी की राह आसान नहीं है। कांग्रेस ने अगर ताकत लगा दी तो परिणाम उलट भी सकते हैं। 

यही कारण है कि बीजेपी ने सार्वजनिक रूप से परिणाम पर प्रसन्‍नता तो जताई है मगर चिंता की रेखाएं साफ पढ़ी जा सकती हैं कि कांग्रेस ज्‍यादा पीछे नहीं हैं। इन परिणामों को देखते हुए बीजेपी नेताओं की यह चेतावनी सच साबित होती दिखती है कि मैदान नहीं संभाला तो गढ़ चला जाएगा। 

बीजेपी कार्यसमिति बैठक में विधायकों को मिलेगा संदेश 

नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम आने के ठीक अगले दिन मंगलवार को बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हो रही है। इस बैठक में कार्यसमिति सदस्‍यों के अलावा पहली बार जिला पंचायत सदस्यों को बुलाया गया है। सांसद और विधायक भी बैठक में शामिल होंगे। तय एजेंडे के अनुसार इस बैठक में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हुए फैसलों को क्रियान्वित करने पर चर्चा होगी। सुबह 11 से शाम 6 बजे तक चलने वाली इस बैठक में 5 फरवरी से आरंभ हो रही विकास यात्रा की सफलता के लिए रणनी‍ति पर भी बात होगी। 

इस बैठक में विधायकों के प्रदर्शन पर संकेत दे दिया जाना तय है। पार्टी नेता कई बार विधायकों को चेतावनी दे चुकी हैं कि उनकी मैदानी स्थिति ठीक नहीं है। यदि प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ तो गुजरात की तरह मध्‍य प्रदेश में भी विधायकों की टिकट काटी जा सकती है। पार्टी ही नहीं वरिष्‍ठ नेता भी यह बात सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं। पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने तो बैठक शुरू होने के पहले ही मीडिया से चर्चा में कहा कि विधायकों के टिकट काटे जाने चाहिए। 

साफ है, नगरीय निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन और विधायकों के प्रति नाराजगी के फीडबैक का असर कार्यसमिति बैठक में दिखाई देगा। 200 का लक्ष्‍य और 50 फीसदी वोट शेयरिंग का सपना पूरा करने के लिए बीजेपी कितने बड़े कदम उठाएगी यह भविष्‍य में दिखाई देगा। 

पठान का आगमन और गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा का मौन 

शाहरुख खान की नई फिल्म पठान 25 जनवरी को रिलीज की जाएगी। अपने एक गाने के कारण इस फिल्‍म ने पिछले दिनों काफी विरोध का सामना किया है। मध्‍य प्रदेश में गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा ने इस फिल्‍म पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मगर फिल्‍म रिलीज के ऐन पहले वे मौन है। डॉ. मिश्रा केवल इस फिल्‍म को लेकर ही नहीं बल्कि अन्‍य मुद्दों पर भी पहले की तरह आक्रामक नहीं है। 

असल में, बीजेपी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बात कही थी। पीएम मोदी ने कहा था कि एक नेता हैं जो फिल्मों पर बयान देते रहते हैं, उनके बयान टीवी पर चलते रहते हैं। उन्हें लगता है वे नेता बन रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उन्हें फोन किया, लेकिन वे मानते नहीं हैं। क्या जरूरत है हर फिल्म पर बयान देने की।  

हालांकि मोदी ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन साफ था कि यह नसीहत गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा को थी। उसके बाद से डॉ. मिश्रा ने चुप्‍पी साध ली है। यहां तक कि जब कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया ने आरएसएस को लेकर टिप्‍पणी की तो डॉ. मिश्रा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पहले जैसी स्थिति होती तो वे आक्रामक अंदाज में बयान दे चुके होते। डॉ. मिश्रा के इस मौन के कारण मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही कांग्रेस नेताओं के बयानों पर जवाब दिए हैं। 

जंबो कार्यकारिणी के बाद भी कांग्रेस में असंतोष का दौर 

मिशन 2023 को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की नई टीम घोषित होते ही विवादों से घिर गई। चुनाव के पहले किसी को नाराज न करो की तर्ज पर पार्टी ने जंबो कार्यकारिणी घोषित करते हुए 50 उपाध्यक्ष और 105 महामंत्री बनाए। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की गई। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष रहे मानक अग्रवाल एक बार फिर चुनाव के पहले मुख्यधारा में लाए गए हैं। महामंत्री राजीव सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया है। कार्यकारी अध्यक्ष की व्‍यवस्‍था भी खत्‍म कर दी गई। 

इतने बड़े पैमाने पर नेताओं को साथ लाने की कोशिश भी सभी को खुश नहीं कर सकी। साढ़े तीन साल बाद इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल को हटाना विरोध का कारण बन गया। कमलनाथ खेमे के नता माने जाने वाले विनय बाकलीवाल को प्रदेश महामंत्री बनाया गया है। उनकी जगह अरविंद बागड़ी को अध्‍यक्ष बनाया गया। कहा जाता है कि अरविंद बागड़ी की पैरवी विधायक जीतू पटवारी ने की थी। नए अध्‍यक्ष की घोषणा होते ही इंदौर में विरोध शुरू हो गया। कलह की खबरों के साथ नेता भोपाल पहुंच गए। उन्‍होंने प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ से मुलाकात कर तीखा विरोध जताया। कमलनाथ ने दिल्ली बात कर यह फैसला रूकवाया और कुछ ही घंटों में विनय बाकलीवाल के अध्‍यक्ष बने रहने का आदेश जारी हो गया। 

इंदौर में संगठन को अपना निर्णय वापिस लेना पड़ा तो सवा दो सौ नेताओं को पद देने के बाद भी बढ़ते असंतोष को देख महामंत्री जेपी अग्रवाल को कहना पड़ा कि यह सूची अंतिम नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा के बाद फिर सूची जारी होगी। कांग्रेस के असंतोष को थामने के लिए यह बयान फोरी राहत भर है।