Digvijaya Singh: गोविंदाचार्य को नीति आयोग का उपाध्यक्ष बनाएं

Vocal for Local : स्वदेशी की लड़ाई लड़ रहे वोकल गोविंदाचार्य को दें अहमियत

Publish: Jun 08, 2020, 05:13 AM IST

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार लोकल-वोकल को प्रोत्साहित करना चाहती है तो स्वदेशी जागरण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गोविंदाचार्य को नीति आयोग का उपाध्‍यक्ष बनाएं।

रविवार को डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह ने कहा कि लोकल को वोकल बनाने में गोविंदाचार्य ने काफी कार्य किया है, लेकिन वर्तमान समय में उन्हें ही अलग कर दिया गया है। वास्तव में 'लोकल' को 'वोकल' करना है तो देश की नीतियां निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नीति आयोग में गोविंदाचार्य को लाना चाहिए। लेकिन, केंद्र सरकार ऐसा नहीं करेगी। गौरतलब है कि स्वदेशी चिंतक केएन गोविंदाचार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक रह चुके हैं। केएन गोविंदाचार्य को संघ, स्वदेशी और हिंदुत्व का सुलझा हुआ विचारक माना जाता है। स्वदेशी जागरण मंच के मुखिया रहे केएन गोविंदाचार्य बेबाक राय रखते हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से बाजार केंद्रित अर्थव्यवस्था का मुखर विरोध कर चुके हैं। केएन गोविंदाचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का समर्थन किया है लेकिन, गोविंदाचार्य का कहना है कि भारत को पहले खुद को पहचानना होगा और फिर उसी अनुरूप आर्थिक नीतियां तय करनी होंगी।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'जब बीजेपी खरीद फरोख्त कर कांग्रेस सरकार गिराने का जश्न मना रही रही थी तब प्रदेश के मजदूर भूख से व्याकुल थे लेकिन उन्हें इनकी कोई चिंता नहीं थी। उस संकट के दौर में हम उन तक भोजन पहुंचाने में संलग्न थे। कांग्रेस सरकार द्वारा लाई गयी मनरेगा योजना का भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में मजाक उड़ाया हो लेकिन आज बुरे वक्त में मजदूरों के लिए यही योजना मददगार साबित हो रही है। इस योजना का विस्तार किया जाना चाहिए तथा खेती के काम को भी मनरेगा के दायरे में लाना चाहिए।'

सिं‍धिया को कांग्रेस जैसा मान सम्‍मान नहीं मिलेगा

दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस से बागी हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में मान सम्मान वैसा नहीं मिलेगा जैसा कांग्रेस में मिलता रहा है। सिंधिया मेरे बेटे के समान हैं। उनके पार्टी छोड़ने से मुझे दु:ख हुआ है मगर दु:ख इस बात पर ज्यादा हुआ कि वे उस पार्टी में शामिल हो गए जिस पार्टी के लोगों ने उनको चुनाव में हराया। शायद उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल होने की जल्दबाजी थी। सिंधिया जब कांग्रेस में थे तो मुरैना से मंदसौर तक अपने कार्यकर्ताओं को पद देते और दिलवाते थे। अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि बीजेपी में राजनेताओं की नहीं संघ की चलती है। मुझे नहीं लगता कि आने वाले दिनों में उन्हें पार्टी या सरकार में कोई पद और सम्मान मिलेगा।

अधिक सख्‍त हो दल-बदल कानून 
दिग्विजय सिंह ने दल-बदल कानून में बदलाव कर उसे अधिक सख्‍त बनाने की आवश्‍यकता बताई। उन्‍होंने कहा कि दल बदल करने वालों के चुनाव लड़ने पर ही प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्‍हें छह वर्ष तक लाभ का कोई पद भी नहीं मिलना चाहिए। इस तरह के सख्त प्रावधानों के जरिए ही दल-बदल को रोका जा सकता है।

गुजरात की तरह एमपी में विधायकों की खरीद फरोख्‍त नहीं

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी उपचुनाव को लोकतंत्र बचाने की लड़ाई बताई है। मध्यप्रदेश में जितने भी लालची विधायक थे सभी ने बीजेपी जॉइन कर ली है। ऐसे में अब यहां गुजरात की तरह विधायकों का खरीद-फरोख्त करना संभव नहीं है। उन्होंने उपचुनाव के तैयारियों को लेकर कहा, 'कांग्रेस की तैयारियां अच्छी है। पार्टी चुनाव में जाकर जनता को बताएगी की किस तरह पैसों के बलबूते बीजेपी ने लोकतंत्र की बोली लगाई है और करोड़ों रुपए का लालच देकर विधायकों को खरीदा है। हम लोकतंत्र को बचाने हेतु जनता से इन लालची विधायकों को हराने का अपील करेंगे ताकि लोकतंत्र सुरक्षित रहे और जनादेश का सम्मान हो पाए।

20 लाख करोड़ का पैकेज भ्रम

दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय आर्थिक राहत पैकेज को एक भ्रम बताया है। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार द्वारा घोषित कथित 20 लाख करोड़ के पैकेज में गरीबों और मजदूरों के लिए कुछ नहीं था। निर्धन वर्ग के लिए सिर्फ 1.70 करोड़ रुपए रखे गए जबकि कथित 20 लाख करोड़ के पैकेज में सर्वाधिक लाभ बड़े निजी उद्योगपतियों तक पहुंचाया गया है।' इस दौरान उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने अकेले राजधानी भोपाल में ही 5 हजार परिवारों के लिए सूखे राशन पहुंचाया जिसमें 5 किलो आटा, 1 किलो नमक, 1 किलो चावल व आलू, प्याज और मसाले शामिल थे।

सवालों के जवाब देते हुए दिग्विजय सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपना अच्छा दोस्त बताया है। उन्होंने कहा, 'कमलनाथ से मेरा रिश्ता 40 साल पुरानी है। वे मेरे मित्र और भाई जैसे हैं। काफी लोगों ने हमारे रिश्तों में दरार डालने के खूब प्रयास लेकिन हमारी दोस्ती अटूट है। हम दोनों के बीच कभी संवादहीनता नहीं रही है और हम हमेशा शानदार दोस्त रहेंगे। कमलनाथ दोस्ती निभाने वाले शख्स हैं।'