केंद्र के Corona पैकेज ने बढ़ाई अमीर-गरीब की खाई

90 फीसदी राहत अमीरों को, गरीबों के हिस्से में सिर्फ 10 प्रतिशत राशि : दिग्विजय सिंह

Publish: May 22, 2020, 06:31 AM IST

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज को देश की गरीब जनता के साथ बड़ा धोखा बताया है। सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज से गरीब और अमीरों के बीच की खाई को गहरा करने का काम किया जा रहा है क्योंकि इस पैकेज में से गरीब मजदूरों के हिस्से में सिर्फ 10 प्रतिशत राशि ही पहुंंच पा रही है। इस पैकेज की 90 प्रतिशत राशि बड़ी कंपनियों और उद्योगपतियों के पास इंफ्रास्‍ट्रक्चर और अनुदान के नाम पर पहुंचेगी।

सिंह ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि 20 लाख करोड़ के पैकेज का पुनर्निर्धारण किया जाये और चालीस करोड़ करीब मजदूर परिवारों को न्याय योजना के अनुरूप सीधी आर्थिक सहायता तत्काल उनके खातों में दी जाये। इस पैकेज से तो कोई प्रवासी व अप्रवासी मजदूर, किसान, नाई, दर्जी, धोबी, मोची, दूध वाला, सब्जी वाला, चायवाला और पान वाला आत्मनिर्भर नहीं बन पायेगा।

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सिंह ने कहा है कि  सिंह ने कहा कि यदि गरीबों और प्रवासी मजदूरों की चिन्ता करते हुये केन्द्र सरकार द्वारा उनकी सुगम वापसी के लिये वाहन और भोजन की व्यवस्था की जाती तो उन्हे बिना तकलीफ के घर पहॅंुचाया जा सकता था जिससे न तो उनके भूख से मरने की नौबत नही आती और न ही हजारों किलोमीटर पैदल चलने से उत्पन्न त्रासदी झेलनी पड़ती। सैंकड़ों बेबस मजदूर दुर्घटनाओं में भी नहीं मारे जाते।

जनता को देने वाला पैसा चंद उद्योगपतियों को दिया

सिंह के अनुसार बिजली कंपनियों को 90 हजार करोड़ की तात्कालिक राहत देने के नाम पर इस राशि में से निजी कंपनियों को लगभग 50 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह विडंबना है कि जो राशि 40 करोड़ लोगों तक पंहुचायी जानी थी वह राशि चन्द कंपनियों से जुड़े बड़े उद्योगपतियों तक पंहुचाई जा रही है। उन्होने कहा कि छोटे व्यवसाय करने वाले लोगों के लिये सरकार ने ऋण की व्यवस्था की है जबकि बड़ी कंपनियों को अनुदान दिया जा रहा है। यह बात समझ से परे है कि जिस चाय की दुकान से मोदी जी ने प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया वे उन्ही चाय की दुकान जैसे छोटे-छोटे व्यवसायों को कैसे भूल गये?

गांवों में पहुंचे लोगों को दें नए जॉब कार्ड

सिंह ने कहा केन्द्र सरकार को आपदा की घड़ी में मनरेगा मजदूरों को 100 दिन की जगह 200 दिन के रोजगार की गारंटी देनी चाहिये। जिस महात्मा गांधी नरेगा को प्रधानमंत्री संसद में ‘‘गड्ढे खोदने की योजना’’ बता रहे थे वही आज संकट काल में 10 करोड़ किसान-मजदूर परिवारों का सहारा बन रही है। कांग्रेस नेता सिंह ने शहरों से गांव पहुंचे सभी परिवारों को नये जॉब कार्ड दिये जाने की मांग की। जिन गांवों में मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है वहां मनरेगा के अंतर्गत कानूनी रूप से बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिये।

पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को डायरेक्ट फंड ट्रांसफर के जरिये 7500 रूपये उनके बैंक खाते में प्रतिमाह दिये जाने की मांग की। उन्होंने प्रश्‍न किया है कि महामारी की त्रासदी से आर्थिक रूप से बदहाल हो चुके गरीबों की जेब में यदि सरकार कम से कम 6 माह तक यह राशि नहीं देगी तो देश के गरीब परिवार आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में कैसे सहयोग दे पायेंगे? कई विकसित देशों ने लोगों को राहत देने के लिये इस प्रकार सीधे आम जनता के खाते में पर्याप्त राशि जमा करवाई है।

सिंह ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री रहे सोमपाल शास्त्री के उस बयान से भी सहमति प्रकट की है जिसमें उन्होने कहा कि 20 लाख करोड़ का पैकेज गरीबों के के लिये ‘‘ऊंट के मुंह में जीरे’’ के समान है। इस पैकेज से 10 प्रतिशत राशि भी सीधे गरीबों तक नहीं पहुंच रही है।