जन्माष्टमी पर 101 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, भक्तों की मनोकामना पूरी करने आ रहे हैं कन्हैया

द्वापर युग जैसे शुभ संयोग में मनाया जाएगा कृष्ण जन्मोत्सव, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और सोमवार देगा शुभ फल, मोरपंख, वैजंतिमाल, पीतांबर से सजेंगे मुरलीधर, माखन मिश्री का लगेगा भोग

Updated: Aug 29, 2021, 10:02 AM IST

Photo courtesy: Pinterest
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कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो का संदेश विश्व को देने वाले भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश में मानाया जाता है। कान्हा के जीवन का हर पड़ाव भक्तों को कई संदेश देता है। बात चाहे बाल लीलाओं की हो या गीता का संदेश देते विश्वगुरु श्रीकृष्ण की। हर पड़ाव से बहुत सी शिक्षाएं मिलती हैं। भक्तों को उनका बालक स्वरुप सदा से ही लुभाता रहा है। यही वजह है कि कमोवेश हर घर में कान्हा जी या ठाकुर जी के रुप में लड्डू गोपाल की पूजा आराधना की जाती है। उनकी सेवा किसी बालक की ही तरह होती है। सोमवार को भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन द्वापर युग जैसा दुर्लभ संयोग बन रहा है। सोमवार को अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र होने से जन्माष्टमी का फल कई गुना बढ़ जाता है।

मान्यता है कि इस शुभ दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विधिपूर्वक करने से मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। 101 साल बाद जन्माष्टमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस शुभ योग में कान्हा जी की पूजा मनोकामना पूरी करती है। द्वार युग के समान खास संयोग होने की वजह से इस बार गृहस्थों और साधू संत एक ही दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे।

भगवान श्री कृष्ण को माखन मिश्री, बांसुरी, मोरपंख अति प्रिय है। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा करने करने से जीवन में खुशहाली आती है। मनुष्य को संतानसुख, आरोग्य, दीर्घायु के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसदिन फलाहार और सात्विक भोजन करने का विधान है। रात में लड्डू गोपाल की छोटी प्रतिमा को खीरे में रखकर उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि 12 बजे पीतल की प्रतिमा को खीरे से निकालकर पंचामृत से स्नान कराया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, शहद, शक्कर और घी को शामिल किया जाता है। एक-एक करके सभी सामग्री शंख में भरकर गिरधारी श्रीकृष्ण का अभिषेक करें, फिर स्वच्छ जल से एक बार फिर स्नान करवाएं।

कान्हा जी को सुंदर पीताम्बर पहनाकर फूल चढ़ाएं, मुरली मुकुट से श्रंगार करें।  कान्हा को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन प्रिय है। उनका श्रंगार वैजयंती की माला से करें। पुष्प और प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद अपनी मनोकामना के अनुसार मंत्र जाप करें। पूजन आरती के बाद प्रसाद बांटे।

बिना तुलसी दल भगवान श्रीकृष्ण भोजन नहीं करते हैं। उन्हें जो भी भोग लगाएं, उसमें तुलसीदल अवश्य रखें। जन्माष्टमी पर माखन और मिश्री, धनिये की पंजीरी, पंचामृत का भोग लगाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को पीला चमकीला परिधान पहनाना चाहिए। उनका आसन भी सुंदर हो इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए। माना जाता है कि लड्डू गोपाल के पूजन से कुंडलियों में चंद्रमा के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। लड्डू गोपाल का चरणोदक पीने से मंगल शनि और चंद्रमा ग्रह शांत होते हैं। इनके नकारात्मक प्रभाव कुंडली में कम होंगे। जिससे शिक्षा नौकरी और व्यापार में लाभ होगा, दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी।