Corona Warriors: थाली, ताली सरकार में बिना वेतन कोरोना से लड़ाई

Coronavirus Update: मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पिछले दो महीने से नहीं मिला वेतन, कोरोना वॉरियर्स के समर्थन में आई कांग्रेस

Updated: Aug 09, 2020, 05:17 AM IST

photo courtesy : bangalore mirrior
photo courtesy : bangalore mirrior

भोपाल। कोरोना से लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने वाली आंगनवाड़ी, आशा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़े कार्यकर्ता और कर्मचारी दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर हैं। 7-8 अगस्त को अपनी 11 सूत्रीय मागों को लेकर इन स्वास्थ्यकर्मियों ने काम बंद कर रखा है। कांग्रेस ने बीजेपी पर आशा कार्यकर्ताओं की बदहाली का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा है कि मनोबल बढ़ाने के लिए ताली पर्याप्त नहीं होती है।

कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मी देशव्यापी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। यूनियनों ने कोरोना योद्धाओं की ड्यूटी के दौरान मौत पर 50 लाख रुपये के मुआवजे और उनके आश्रितों को नौकरी और पेंशन देने की मांग की है। कोरोना योद्धाओं के समर्थन में कांग्रेस उतर आई है। मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री सचिन यादव ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा है कि ताली और थाली सरकार समय पर मजदूरी सुरक्षा उपकरण, बीमा जोखिम भत्ता प्रदान करने में असफल साबित हुई है।

उन्होंने अपने ट्वीट संदेश में लिखा है कि ‘आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यकर्ता 2 दिन की हड़ताल पर हैं।‘  ताली पर्याप्त नहीं होती परिवार के भरण पोषण के लिए वेतन की भी आवश्यकता होती है।

बीजेपी कर आशा कार्यकर्ताओं का अपमान: टीएस सिंहदेव 

वहीं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने आशा कार्यकर्ताओं की बदहाली का जिम्मेदार बीजेपी को ठहराया है। स्वास्थ्य मंत्री ने अपने ट्वीट संदेश में लिखा है कि ‘कष्टों के बावजूद हमारी आशा बहनों ने राष्ट्र को मजबूत बनाने में कड़ी मेहनत की है। उन्हें सशक्त बनाने की बजाय बीजेपी उनका अपमान कर रही है। जिसने उन्हें हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर किया है। स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि कोरोना जैसे कठिन समय में बीजेपी का यह बेहद असंवेदनशील और मनोबल तोड़ने वाला है।

मध्यप्रदेश में पिछले दो महीने से नहीं मिला वेतन

मध्य प्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को मई महीने में आधा वेतन मिला था। वहीं जून और जुलाई महीना बीत जाने के बाद भी अब तक कार्यकर्ताओं को पिछले दो महीने का वेतन अभी तक नहीं मिला है। जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कोरोना लड़ाई के दौरान सुरक्षा के नाम पर उन्हे 4 महीने में सिर्फ एक बार मास्क और सैनेटाइजर मिला है। महीनों से वेतन नहीं मिलने के कारण वे आर्थिक परेशानी से जूझने पर मजबूर हैं।सुरक्षा उपकरण नहीं मिलने से उनकी जान का जोखिम बना रहता है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि अब तक सुरक्षा, बीमा और जोखिम भत्ता जैसी कोई सुविधा नहीं उपलब्ध करवाई गई है।  

जिम्मेदार विभाग ने बजट की कमी बताकर झाड़ा पल्ला

कोरोना संक्रमण के शुरूआत से ही मध्य प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की जिम्मेदारी भी तय कर दी थी। अप्रेल महीने से ही उनकी ड्यूटी घर-घर दस्तक देकर लोगों के स्वास्थ्य के सर्वे में लगा दी गई थी। जिसके तहत नगर और गांवों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने पूरी जिम्मेदारी के साथ काम किया। शासन और विभाग ने इनसे जिम्मेदारी के साथ इनके काम करवा लिया और अब तक उनके काम का मेहनताना नहीं दिया गया है।

 देशव्यापी हड़ताल को मिला है 10 यूनियनों का समर्थन

आंगनवाड़ी, आशा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़े कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का समर्थन मिला है। यह मंच 9 अगस्त को ‘जेल भरो सत्याग्रह’ भी करेगा। इंटक, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी जैसी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से जुड़े आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन योजना, एनएचएम समग्र शिक्षा और अन्य से संबंधित संगठन सात और आठ अगस्त को दो दिन की हड़ताल पर है। इन स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे के योद्धा हैं। लेकिन उन्हें मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ रहा है।