ऑक्सीटोसिन के उपयोग पर कड़ाई हो - शब्बीर कादरी

ऑक्सीटोसिन के उपयोग पर कड़ाई हो शब्बीर कादरी विकासशील देशों के दुर्भाग्य में ढेरों विसंगतियों का समावेश होता है जो वहां के रहने वालों को चाहे न चाहे उसका सामना करने के लिए मजबूर करता है वे कई गंभीर बीमारियों का शिकार बनते हैं अल्पआयु तो होते ही हैं, घुट-घुटकर जीने को अभिश्प्त भी रहते […]

Publish: Feb 07, 2019, 09:40 PM IST

ऑक्सीटोसिन के उपयोग पर कड़ाई हो – शब्बीर कादरी
ऑक्सीटोसिन के उपयोग पर कड़ाई हो – शब्बीर कादरी
h1 style= text-align: center ऑक्सीटोसिन के उपयोग पर कड़ाई हो /h1 ul li strong शब्बीर कादरी /strong /li /ul p style= text-align: justify विकासशील देशों के दुर्भाग्य में ढेरों विसंगतियों का समावेश होता है जो वहां के रहने वालों को चाहे न चाहे उसका सामना करने के लिए मजबूर करता है वे कई गंभीर बीमारियों का शिकार बनते हैं अल्पआयु तो होते ही हैं घुट-घुटकर जीने को अभिश्प्त भी रहते हैं। समाज में इन दिनों एक अभिशाप ऑक्सीटोसिन रसायन भी है।दुनियाभर के विकासशील देश इस दवा को अपने यहां धड़ल्ले से उपयोग में ला रहे हैं। दुग्ध उत्पादन और सब्जियों के आकार में वृद्धि के लिए सर्व-सुलभरूप से उपयोग में लाई जाने वाले इस रसायन के नियंत्रण पर अब सरकार कुछ जागी है हो सकता है कि आने वाले समय में इसकी सहज उपलब्धता पर प्रभावी कड़ाई दिखाई दे। /p p style= text-align: justify दरअसल ऑक्सीटोसिन वह रसायन है जो इंजेक्शन के रूप में उपचाररत गर्भवती महिलाओं में प्रसव-पीड़ा उत्पन्न कराने के लिए और स्तन में दूध उत्पादन हेतु सीमित मात्रा में दिया जाता है। इस रसायन से गर्भाशय में सिकुड़न पैदा होती है ताकि प्रसव शीर्घ तथा आसान से पीड़ा-रहित हो सके। कभी-कभी इसके अज्ञानतापूर्वक उपयोग से गर्भाशय के क्षतिग्रस्त हो जाने की संभावना भी हो सकती है इसी कारण इस दवाई के निर्माता चेतावनी लिखकर सूचित करते हैं कि इस औषधि का उपयोग अत्यंत आपात स्थिति में महिला प्रसूति विशेषज्ञ की देखरेख में ही अत्यंत आवश्यक होने पर ही सीमित मात्रा में इसका उपयोग करें। यदि ऐसी सभी चेतावनियों को अनदेखा किया जाता है तो होने वाले नवजात शिशु को पोलियो सहित अनेक गंभीर रोग हो सकते हैं। आॅक्सीटोसिन के उपयोग से महिलाओं के गर्भाशय में कैंसर सहित बालों का अनियंत्रित विकास जल्दी या अस्थाई मासिक धर्म व गर्भाधारण की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। पुरूषों में यह रसायन नपुंसकता और गंजापन पैदा करता है तथा स्त्रियों एवं पुरूषों में स्तनों का विकास समय पूर्व हो जाता है तथा आंखों में पर भी प्रभाव डालता है। /p p style= text-align: justify क्योंकि यह दवाई हमारे यहां शेड्यूल-एच के तहत वर्गीकृत की गई है अतः ऑक्सीटोसिन का उपयोग हमारे यहां प्रतिबंधित है विशेषकर पशुओं के उपयोग के मामले में जिसे केवल चिकित्सकीय परामर्श पर ही उपलब्ध कराया जा सकता है। देश में इस रसायन के अत्यंत सीमित निर्माता ही रखे गए हैं उन्हें भी इस दवा को कांच के एम्प्यूल में ही उत्पादित किए जाने की स्वीकृति स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दी जाती है पर क्योंकि इस दवा का दुरूपयोग पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने तथा लालची या मुनाफाखोर कृषि उत्पादनकर्ताओं द्वारा आमतौर पर किया जाता है अतएव अब इस दवाई के एम्प्यूल प्लास्टिक के इंजेक्शन में गांव की घास-फूस की छोटी-मोटी डेयरियों या शहर में भी धड़ल्ले से या खुलेआम उपयोग में लाए जा रहे हैं। इस दवाई के दुरूपयोग पर वैसे तो कई नियम हैं जिनमें आरोपित होने वाले लागों को पशु-क्ररता अधिनियम के तहत दवा बेचने वाली दुकान का लाईसेंस जब्त किया जा सकता है तथा इसके संचालक तथा डेयरी मालिक को पांच वर्ष तक का कारावास हो सकता है। जाहिर है कोई तो है जो इस दवा को बैखौफ पैदा तो कर ही रहा है उसे दूर-सुदूर सुलभरूप से पहुंचा भी रहा है। इसी प्रकार हम एक अत्यंत उपयोगी दवा का दुरूपयोग कर अपने जीवन संरक्षण से अधिक जीवन नष्ट करने में संलिप्त हैं जो कई जीवन को धीमे-धीमें घातक रोग की और धकेल रहा है। ऐसे मंे जरूरी है कि इसका उत्पादन आपूर्ति और उपयोग अत्यंत सावधानी और विशेष सुरक्षा के तहत किया जाए। /p p style= text-align: justify गत वर्ष फरवरी में ड्रग टेक्निकल एडवायज़री बोर्ड (डीटीएबी) ने ड्रग्स और कॅस्मोटिक्स अधिनियम और इसके संयोजनों के आयात को प्रतिबंधित करने और मानवों के साथ ही पशुओं पर इसके उपयोग को निषेध करने पर सहमति व्यक्त की है। मंत्राय की एक अध्ययन रिपोर्ट में भी इसके दुरूपयोग की बात आई है। रिपोर्ट में पाया गया कि मरीजों की अधिक संख्या के दबाव में सरकारी अस्पतालों में प्रसव गति को बढ़ाने के लिए भी गलत तरीके से इस दवा का सहारा लेते पाए गए हैं। काफी समय से यह दवा सरकार के सर्विलांस पर है जबकि फार्मेसी से इसकी बिक्री को पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है पर क्यूकि चिकिस्ता में इसके लाभाकारी परिणाम भी मिलते हैं अतएव इसे पूर्णरूपेण बंद नहीं किया जा सकता। यह पहल संतोषजनक कही जाएगी कि डीटीएबी ने इस दवा के दुरूपयोग को रोकने के लिए निर्माताओं के द्वारा बार कोडिंग सिस्टम को अपनाया जाए। डीटएबी इस पर सहमत है कि मानव उपयोग के लिए इस फार्मूलेशन को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए इसकी आपूर्ति सिर्फ सार्वजनिक ओर निजी क्षेत्र के पंजीकृत अस्पतालों और क्लीनिकों को ही की जाए ताकि इसका दुरूपयोग की संभावना को नियंत्रित किया जा सके। /p p style= text-align: justify दुर्भाग्य से किसी भी अनैतिक और शीघ्र-अतिशीघ्र अपार धन अर्जित करने प्रयास इन दिनों हर किसी के निशाने पर हैं इसी कड़ी में दुग्ध व्यापार से जुड़े लोग इस रसायन का उपयोग कर पशुओं के शरीर से अधिकाधिक दुग्ध निकालने में लिप्त हैं जिसे हम चाहे-अनचाहे निविघर््न उपयोग कर रहे हैं। जाहिर है इसके दुष्परिणाम गंभीर रोग के रूप मंे हमे रोगी बना रहे हैं। देह-व्यापार में लिप्त सरगना भी इस दवा का उपयोग सेक्स बाजार में अधिकाधिक लाभ कमाने के लिए करते पाए गए हैं। वे इस दवा का कम उम्र बच्चियों को अत्यंत आकर्षक जवान चमकदार और उत्तेजक बनाने के लिए करते हैं। आशा है सरकार इस दिशा में कड़े और प्रभावी नियम तत्काल लागू कर समाज को ओर अधिक बीमार बनाने से रोक सकेगी। /p