Chhattisgarh Mid-day Meal: कोरोना काल में मिडडे मील बांटने में छत्तीसगढ़ सबसे आगे, यूपी का प्रदर्शन बेहद खराब

ऑक्सफैम इंडिया के सर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 90% से ज्यादा बच्चों को मिला मिड डे मील, यूपी में 92% बच्चे मिड डे मील से वंचित रहे

Updated: Oct 07, 2020, 10:57 PM IST

Photo Courtesy: Patrika
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रायपुर। कोरोना महामारी के बावजूद मिड डे मील स्कीम के संचालन में छत्तीसगढ़ ने देशभर में बाजी मारी है। छत्तीसगढ़ में कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान करीब 90 फीसदी बच्चों को मिड डे मील का फायदा मिला है। ये जानकारी ऑक्सफैम इंडिया के सर्वेक्षण में सामने आई है। जबकि बाकी अधिकांश राज्यों में कोरोना काल के दौरान मिडडे मील के बांटने में गिरावट देखी गई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय ने एक ट्वीट के माध्यम से इस सर्वेक्षण के नतीजों की जानकारी दी है।  

 

देश भर में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर 16 मार्च से स्कूल बंद कर दिए गए थे। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल बंद होने पर भी मिड डे मील की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। सर्वे के मुताबिक इन हालात में छत्तीसगढ़ सरकार ने सूखा राशन घर-घर पहुंचाने पर काफी ध्यान दिया। 
 

21 मार्च 2020 से शुरू हुआ था मिड डे मील बांटने का कार्य

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए छत्तीसगढ़ ने स्कूली बच्चों को स्कूलों और बच्चों के घरों तक पहुंचाकर मिड डे मील उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 21 मार्च 2020 को सभी कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को मिड डे मील के तहत बच्चों के लिए सूखा राशन बांटने के आदेश दिए थे। इसके लिए गांवों में मुनादी तक करायी गई थी। जबकि देश के दूसरे प्रदेशों में सूखा राशन बांटने की प्रक्रिया काफी बाद में आरंभ हुई थी।  

43 हजार स्कूलों के 29 लाख बच्चों को मिला सूखा राशन

प्रदेश में लॉकडाउन के पहले 40 दिनों के लिए स्कूली बच्चों को सूखा राशन बांटा गया था। इसके बाद एक मई से 15 जून तक 45 दिनों के लिए दोबारा अनाज दिया गया। तीसरी बार 16 जून से 10 अगस्त तक 45 दिन का सूखा राशन बांटा गया। इस कड़ी में अब तक 130 दिन का सूखा राशन बच्चों के लिए बांटा जा चुका है। प्रदेश के करीब 43 हजार स्कूलों में 29 लाख बच्चों को मिड डे मील योजना के तहत सूखा राशन बांटे जाने का लाभ मिला है।

छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने बांटा सूखा राशन

स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों को सूखा राशन के तहत चावल, तेल, सोयाबीन, दाल, नमक और अचार दिया जाता है। अगर बच्चे और उनके घरवाले पैकेट लेने स्कूल तक नहीं आ पाते तो स्व-सहायता समूह और स्कूल स्टाफ सूखा राशन पहुंचाने उनके घर तक जाता है। फूड सिक्योरिटी एलाउंस के रूप में बच्चों को सूखा चावल और खाना पकाने पर आने वाली लागत के बजट से दूसरा जरूरी सामान जैसे दाल, तेल, सूखी सब्जी बांटी गई। 

सर्वे में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब

ऑक्सफैम इंडिया के सर्वे के हिसाब के मुताबिक मिड डे मील के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में रहा है। यहां 92 प्रतिशत बच्चों को मिड डे मील से वंचित रहना पड़ा है। सर्वे के मुताबिक देशभर के लगभग 27 करोड़ बच्चे स्कूल बंद होने से प्रभावित हुए हैं। लोकसभा सत्र के दौरान 14 सितंबर को एक प्रश्न के जवाब में केंद्र सरकार ने भी माना था कि मिड डे मील योजना से बहुत से बच्चों को वंचित रहना पड़ा है। गौरतलब है कि नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 के तहत मध्याह्न भोजन हर बच्चे का अधिकार है।