Chhattisgarh: कांकेर में BSF कैंप बनाने के खिलाफ हज़ारों आदिवासियों का प्रदर्शन

आदिवासियों ने जबरन ज़मीन लेने और आस्था पर चोट का लगाया आरोप, 56 से ज्यादा सरपंचों और पंचायत सदस्यों का इस्तीफा, प्रशासन ने नक्सलियों की शह पर विरोध का लगाया आरोप

Updated: Dec 29, 2020, 01:02 AM IST

Photo Courtesy:  Hindustan
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के हजारों आदिवासी इनदिनों अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। ये आदिवासी यहां बनाए गए दो BSF कैंप का विरोध कर रहे हैं। दरअसल यहां नक्सल उन्मूलन कार्यक्रम के तहत BSF के दो कैंप बनाए गए हैं। आदिवासियों का आरोप है कि कांकेर में जिन स्थानों पर कैंप बनाए गए हैं, वह उनके पवित्र देव स्थल हैं, देवस्थलों को नुकसान पहुंचाकर उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दरअसल आदिवासियों की बंजारिन देवी पर बड़ी श्रद्धा है, जहां वे पूजा करने और मान्यता के अनुसार पत्थर चढ़ाने आते हैं।

अब यहां के करीब 103 गांवों के हजारों आदिवासी इन BSF कैंपों को हटाने पर अड़े हैं। आदिवासियों का कहना है कि यह इलाका पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज (PESA) ऐक्ट के अंतर्गत आता है। कैंप बनाने से पहले ग्राम पंचायतों से इजाजत नहीं ली गई। देवस्थान पर अतिक्रमण को लेकर भी आदिवासियों में काफी रोष है। आदिवासियों का कहना है कि करकाघाट और तुमीरघाट में बने दोनों कैंप उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था पर पर प्रहार हैं। वे इनका पुरजोर विरोध करेंगे।

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ग्रामीणों के इस विरोध प्रदर्शन का सर्व आदिवासी समाज समर्थन कर रहा है। इन कैंपों के विरोध में अब तक करीब 56 से ज्यादा जिला पंचायत और जनपद पंचायत के सदस्यों और बड़ी संख्या में सरपंचों ने त्यागपत्र दे दिया है। इनका कहना है कि अगर प्रदेश सरकार दोनों BSF कैंपों को नहीं हटाएगी तो कांकेर जिले के सभी सरपंच इस्तीफा देने को मजबूर होंगे। सर्व आदिवासी समाज की मानें तो उन्हें इन कैंपों से नहीं बल्कि उनके देव स्थानों पर कब्जे से परेशानी है। दोनों कैंपों के स्थान परिवर्तन के लिए आदिवासियों ने राज्यपाल और स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है।

इस बारे में प्रशासन का कहना है कि आदिवासी नक्सलियों के दबाव में प्रदर्शन कर रहे हैं। ये BSF कैंप परतापुर-कोयलीबेडा रूट पर सड़क निर्माण कार्य को सुरक्षा देने के लिए बनाए गए हैं, क्योंकि नक्सली अक्सर सड़क निर्माण के काम में बाधा डालने का काम करते हैं।

दरअसल छत्तीसगढ़ के बस्तर में 16 कैंप बनाए गए हैं, इन्ही में से दो को लेकर आंदोलन की स्थिति बनी है। बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. का कहना है कि इन शिविरों की वजह से नक्सली गतिविधियों पर रोक लगेगी। आंदोलन कर रहे आदिवासियों को आईजी नक्सलियों का समर्थक बता रहे हैं। कांकेर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा।

गौरतलब है कि इस आंदोलन में सैकड़ों गांवों के हजारों लोग राशन पानी लेकर जमा हो चुके हैं और कैंपों को हटाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। एक तरफ देश के किसान तीन कृषि कानूनों से परेशान हैं तो छत्तीसगढ़ के आदिवासी अपनी धार्मिक आस्था पर आघात से दुखी होकर आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन दोनों की बात सुनी नहीं जा रही।