MP सरकार ने खोला किसानों से लूट का रास्‍ता

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गांव गांव जाकर लायसेंसधारी आड़तियो को गेहूं खरीदने की व्यवस्था करना किसानों और उपभोक्ताओ दोनों के लिए ही लूट के नए रास्ते खोलने जैसा है।

Publish: May 03, 2020, 02:15 AM IST

Photo courtesy : ruralindiaonline
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मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गांव गांव जाकर लायसेंसधारी आड़तियो को गेहूं खरीदने की व्यवस्था करना किसानों और उपभोक्ताओ दोनों के लिए ही लूट के नए रास्ते खोलने जैसा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस व्यवस्था से सामने आने वाली कमियों के बारे को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त कर इसे बंद करने की मांग की है।

माकपा राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा है कि गांव-गांव या खेत पर जाकर ही किसानों से गेहूं खरीदने की व्यवस्था सुनने में तो लुभावनी लगती है लेकिन अनुभव यही है कि जब सरकार खरीदी से अपने हाथ खींच लेती है तो फिर आड़तिए और बिचोलिए औने पौने दामों पर अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को मजबूर करते हैं। सरकारी खरीद न होने के  कारण किसानों को अभी भी 1500 से 1600 रुपए के बीच अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने इस लूट को रोकने की बजाय इसे संस्थागत रूप दे दिया है। इससे किसानों को लूट तो बढ़ेगी ही,साथ ही सरकारी खरीद न होने से उपभोक्ताओं को भी कालाबाजारी में महंगे दामों पर खाद्यान मिलेगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए भी इससे समस्या उत्पन्न होगी।

माकपा ने कहा है कि कोरोना संकट के कारण जब आमतौर पर वसूलियां तीन महीने के लिए रोक दी गई हैं, तब भी किसानों के सहकारी और सरकारी बैंकों, बिजली, सिंचाई और राजस्व विभाग आदि की वसूलियों की सूची खरीद केंद्रों पर पहुंचा दी गई है। जिससे किसान आमतौर पर सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने के प्रति उत्सक नहीं है।

माकपा ने मांग की है कि सरकार किसानों की सारी वसूलियां स्थगित करे और आड़तियों और फूड प्रोसैसिंग कंपनियो को गांव गांव खरीदी के लिए भेजने के बजाय सरकार खरीद एजेंसियो को गांव जाकर किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीदने की व्यवस्था करना चाहिए ताकि किसानों और उपभोक्ताओं की लूट को रोकना चाहिए