सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का FCRA लाइसेंस कैंसिल, देश के पूर्व वित्त मंत्री ने इस फैसले को बताया असंवैधानिक

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की स्थापना 1973 में की गई थी। ये संस्था देश के लिए नीतिगत मुद्दों पर रिसर्च का काम करता है। केंद्र सरकार ने इसका FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है।

Updated: Jan 18, 2024, 07:02 PM IST

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने देश के टॉप थिंक-टैंक 'सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च' (CPR) का FCRA लाइसेंस कैंसिल कर दिया है। सीपीआर दिल्ली में स्थित एक पॉलिसी रिसर्च संस्थान है, जो भारत के लिए नीतिगत मुद्दों पर रिसर्च का काम करता है। देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है।

चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, 'आर्थिक नीतियों में स्वतंत्र शोध और राय यदि कमियों को इंगित कर सकें, तो यह देश के लिए अच्छा होगा, कम से कम मैंने तो यही सोचा था। लेकिन सरकार सोचती है कि इस तरह के शोध और राय "भारत के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।" भारत के आर्थिक हितों का अंतिम निर्णायक कौन है? सरकार या जनता?'

चिदंबरम ने आगे लिखा, 'यदि अनुसंधान और राय को सरकारी लाइन का पालन करना होगा, तो यह अकादमिक स्वतंत्रता का अंत होगा। शायद सरकार सोचती है कि जब नीति आयोग है तो कोई और शोध क्यों करे और राय क्यों दे? सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई बिल्कुल असंवैधानिक है।'

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक है जो 21वीं सदी की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी से जुड़े मुद्दों पर रिसर्च करता है। सीपीआर विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अनुदान प्राप्त करता है। केंद्र सरकार ने सीपीआर पर फॉरेन फंडिंग के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए FCRA रद्द कर दिया है।

संस्था की प्रमुख यामिनी अय्यर ने केंद्र की इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि संस्थान न्याय हासिल करके ही रहेगा। सीपीआर कानून के मुताबिक ही काम कर रहा था। उन्होंने कहा, 'सीपीआर दशकों से भारतीय जीवन और नीति निर्माण के लिए मायने रखने वाले मुद्दों पर रिसर्च कर रहा है। इसकी रिसर्च को विश्व स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाला माना जाता है। एफसीआरए को कैंसिल करना दुखद है, क्योंकि सुनवाई के लिए पर्याप्त मौका दिए बगैर इसे कैंसिल किया गया है। हम इंसाफ हासिल करने के लिए अपने ऑप्शन पर विचार कर रहे हैं।'