महंगाई ने तोड़ा 14 महीने का रिकॉर्ड, अक्टूबर में रिटेल महंगाई बढ़कर 6.21 फीसदी पर पहुंची
महंगाई करीब 50 फीसदी योगदान खाने-पीने की चीजों का है। अक्टूबर में इसकी दर बढ़कर 10.87% हो गई। खाने-पीने की चीजें महंगी होने से अक्टूबर में रिटेल महंगाई बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई है।
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद भी देश में महंगाई दर घटने का नाम नहीं ले रही है। देश में महंगाई के कारण आम लोगों की जेब पर शामत आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी खुदरा महंगाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है। हालात ये हैं कि अक्टूबर के महीने में खुदरा महंगाई दर 14 महीने के रिकॉर्ड हाई लेवल 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई।
महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। अक्टूबर में इसकी दर बढ़कर 10.87% हो गई। खाने-पीने की चीजें महंगी होने से अक्टूबर में रिटेल महंगाई बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 5.87% से बढ़कर 6.68% और शहरी महंगाई 5.05% से बढ़कर 5.62% हो गई है।
महंगाई दर के सवा साल के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के बाद यह उम्मीद है कि दिसंबर में होने वाले मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) की मीटिंग में रेपो रेट को पुराने लेवल पर ही बरकरार रखा जाएगा। पिछली दस एमपीसी की मीटिंग से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत के लेवल पर ही बना हुआ है, अगर इस बार इसमें बदलाव नहीं किया गया तो यह लगातार 11वां मौका होगा जब रेपो रेट पुराने स्तर पर ही बना रहेगा। इससे पहले सितंबर के महीने में महंगाई दर नौ महीने के रिकॉर्ड लेवल 5.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का वैल्यू सिर्फ 94 रुपए होगा। महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे।