भारत में शहद के ज़्यादातर बड़े ब्रांड में मिलावट, CSE की जांच में बड़ा खुलासा

सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (CSE) ने 13 ब्रांड के शहद की जांच की, सिर्फ 3 में मिलावट नहीं मिली, चीन से आयातित शुगर सिरप मिलाने का आरोप, पतंजलि, डाबर ने आरोपों को गलत बताया

Updated: Dec 03, 2020, 03:26 PM IST

Photo Courtesy: Financial Express
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नई दिल्ली। देश में बिकने वाले शहद के ज़्यादातर बड़े ब्रांड्स में मिलावट हो रही है। उनमें चीन से इंपोर्ट किया जाने वाला शुगर सिरप यानी चीनी का घोल मिलाया जा रहा है। ये चौंकाने वाला खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (CSE) ने किया है। CSE के मुताबिक जिन ब्रांड्स के शहद में मिलावट पाई गई है, उनमें डाबर और पतंजलि जैसे बड़े ब्रांड्स भी शामिल हैं। संस्था के मुताबिक जिन 13 ब्रांड्स के शहद की जांच हुई उनमें सिर्फ तीन में मिलावट नहीं पाई गई। 

CSE ने जिन 13 कंपनियों के शहद के नमूनों की जांच कराई, उनमें से 77 फीसदी में मिलावट पाई गई। CSE ने शहद के नमूनों की जांच पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (CALF) में कराई। यहां सभी बड़ी कंपनियों के नमूने पास हो गए, जबकि कुछ छोटी कंपनियों के नमूने फेल हो गए। जब इन्हीं सैंपल्स को जर्मनी की प्रयोगशाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) टेस्ट के लिए भेजा गया तो लगभग सभी बड़े-छोटे ब्रांड्स फेल हो गए। CSE के मुताबिक जिन ब्रांड्स के शहद टेस्ट में फेल हो गए उनमें डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालया शामिल हैं।

सिर्फ 3 ब्रांड्स टेस्ट में पास हुए : CSE

CSE के मुताबिक जांच में शामिल 13 ब्रांड्स में केवल तीन ही जर्मनी में किए गए टेस्ट में पास हुए हैं। संस्था के मुताबिक पास होने वाले ये तीन ब्रांड्स हैं - सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर। CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बताया है कि शहद की शुद्धता की जांच के लिए तय भारतीय मानकों के जरिये इस मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता, क्योंकि चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप बना रही हैं, जो भारतीय जांच मानकों पर आसानी से पास हो जाते हैं। संस्था का दावा है कि चीन में ऐसे कई कारोबारी वेब पोर्टल चल रहे हैं जो खुलेआम दावा करते हैं कि उनका बनाया शुगर सिरप जांच में पकड़ा नहीं जाएगा। ऐसे दावे करने वाली कंपनियां ही भारत में अपने प्रोडक्ट्स का निर्यात भी कर रही हैं।

सुनीता नारायण ने कहा कि चीन के शुगर सिरप का सच जानने के लिए संस्था ने एक स्टिंग ऑपरेशन भी किया। इस ऑपरेशन के दौरान चीन की कंपनियों ने माना कि अगर उनके सिरप को शहद में 50 से 80 प्रतिशत तक भी मिला दिया जाए, तब भी वह शहद सभी भारतीय परीक्षणों को पास कर जाएगा। एक कंपनी ने संस्था को छद्म नाम से ऐसे सिरप भी भेजे।

कंपनियों ने आरोपों का खंडन किया

हालांकि डाबर, पतंजलि और झंडु ब्रांड की मालिक इमामी ने CSE के दावों का खंडन किया है। इन सभी कंपनियों का कहना है कि उनका शहद प्राकृतिक तरीके से जुटाया जाता है। उसमें कोई मिलावट नहीं है। कंपनियां यह आरोप भी लगा रही हैं कि CSE की जांच रिपोर्ट के पीछे उनकी छवि खराब करने की साज़िश लग रही हैं।

FSSAI ने भी दी थी मिलावट की चेतावनी

आपको बता दें कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भी पिछले साल ही बताया था कि देश में गोल्डन सिरप, इनवर्ट शुगर सिरप और राइस सिरप का इंपोर्ट शहद में मिलावट के लिए किया जा रहा है। CSE की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि FSSAI ने जिन चीजों की मिलावट की बात कही थी, उस नाम से उत्पाद इंपोर्ट नहीं किए जा रहे। चीन की कंपनियां ऐसे सिरप फ्रक्टोज के नाम से यहां भेजती हैं। इसके कारोबार के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। चीन से रिश्ते बिगड़ने के बाद वहां की कंपनियां अपना प्रोडक्ट हांगकांग के जरिये भारत भेज रही हैं।

ग़ौरतलब है कि 1 अगस्त 2020 से इंपोर्टेड शहद की गुणवत्ता जांच के लिए NMR टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि अभी तक पुणे में ही यह मशीन लगाई गई है। आरोप है कि कंपनियों की मिलीभगत से वहां भी सही ढंग से जांच नहीं हो पाती। मिलावट के इस खेल को रोकने के लिए NMR जांच को ज्यादा प्रभावी तरीके से अपनाने की जरूरत है।