SC relief for Telcos: बकाया चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 10 साल का वक्त

AGR case Verdict: टेलीकॉम कंपनियां, वोडाफोन आइडिया पर 50 हजार करोड़ और भारती एयरटेल पर 26 हजार करोड़ का एजीआर बकाया

Updated: Sep 02, 2020, 05:52 AM IST

Photo Courtesy: Verdict
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को तक अपना समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर का बकाया चुकाने के लिए दस साल का समय दिया है। हालांकि, कंपनियों को एजीआर बकाए का 10 प्रतिशत हिस्सा 31 मार्च 2021 तक चुकाना होगा। एजीआर टेलीकॉम कंपनियों को वह देनदारियां होती हैं, जिसमें लाइसेंस फी, सेवा कर, ब्याज और किसी भी तरह की पेनल्टी फी शामिल होती है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 92 हजार करोड़ का एजीआर बकाया तुरंत चुकाने का आदेश दिया था।  

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में टेलीकॉम कंपनियों के मालिकों से हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें यह लिखा हो कि कंपनियां अपना सारा बकाया चुका देंगी। कोर्ट ने कहा है कि बकाया ना चुकाने पर ना केवल ब्याज बढ़ेगा बल्कि इसे कोर्ट की अवमानना भी माना जाएगा। 

टेलीकॉम कंपनियों की अगर बात करें तो वोडाफोन आइडिया पर 50 हजार करोड़ और भारती एयरटेल पर 26 हजार करोड़ का एजीआर बकाया है। कोर्ट ने हालांकि बकाया ना चुकाने पर होने वाली नीलामी प्रक्रिया पर कोई फैसला नहीं सुनाया है। इसके बदले कोर्ट ने एनसीएलटी से कहा है कि वो यह फैसला करे कि क्या स्पेक्ट्रम को नीलामी प्रक्रिया का भाग माना जा सकता है। 

उपभोक्ताओं को होगा फायदा?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि इससे आम उपभोक्ताओं को फायदा हो सकता है। वोडाफोन आइडिया ने कहा था कि अगर उसे एक बार में सारा एजीआर बकाया चुकाना पड़ा तो उसे कंपनी बंद करनी होगी। भारती एयरटेल भी कमोबेश यही हाल है। 

ये दोनों कंपनियां घाटे में भी चल रही हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से इन्हें राहत जरूर मिली है। इसका मतलब है कि ये कंपनियां बाजार में टिकी रहेंगी और प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं को सही कीमत पर सेवाएं मिलती रहेंगी। अगर ये कंपनियां खत्म हो जाती हैं तो रिलायंस जियो का भारतीय टेलीकॉम बाजार पर एकाधिकार हो सकता है। एकाधिकार वाली कंपनियां अपनी मर्जी से सेवाओं और वस्तुओं की कीमत तय करती हैं। अधिक मुनाफा कमाने के लिए ये कीमतें आम ग्राहकों की पहुंच से दूर भी हो सकती हैं।