छत्तीसगढ़ में 1 जून से शुरू होगी मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना, किसानों को मिलेगी प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की राशि

राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ में वृक्षारोपण कार्य को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक जून 2021 से ‘‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना‘‘ लागू की जा रही है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के सभी नागरिक, निजी भूमि की उपलब्धता अनुसार तथा सभी ग्राम पंचायतों एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियां योजना का लाभ लेने हेतु पात्र होंगे।

Updated: May 31, 2021, 12:13 PM IST

Photo courtesy: naiduniya
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान के बदले वृक्षारोपण कार्य को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भूपेश बघेल सरकार एक जून 2021 से ‘‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना‘‘ लागू की जा रही है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के सभी नागरिक, निजी भूमि की उपलब्धता अनुसार तथा सभी ग्राम पंचायतों एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियां योजना का लाभ ले सकेंगे। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन के सबंध में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा सभी जिला कलेक्टरों और वनमण्डलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।


मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत जिन किसानों ने खरीफ वर्ष 2020 में धान की फसल ली हैे, यदि वे धान फसल के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण करते हैं, तो उन्हें आगामी 3 वर्षों तक प्रतिवर्ष 10 हजार रु प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि  दी जाएगी। इसी तरह ग्राम पंचायतों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक वृक्षारोपण किया जाएगा, तो एक वर्ष बाद सफल वृक्षारोपण की दशा में संबंधित ग्राम पंचायतों को शासन की ओर से 10 हजार रु प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी 


इससे भविष्य में पंचायतों की आय में वृद्धि हो सकेगी। इसके अलावा संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक आधार पर राजस्व भूमि पर वृक्षारोपण किया जाता है, तो पंचायत की तरह ही संबंधित समिति को एक वर्ष बाद 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वृक्षों को काटने व विक्रय का अधिकार संबंधित समिति का होगा।


गौरतलब है कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की अध्यक्षता में विगत 18 मई को आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में ‘‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना‘‘ को छत्तीसगढ़ में लागू करने का अहम निर्णय लिया गया। योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में वृक्षारोपण को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना है। साथ ही पर्यावरण में सुधार लाकर जलवायु परिवर्तन के विपरित प्रभावों को कम करना है। इसमें निजी क्षेत्र, कृषकों, शासकीय विभागों एवं ग्राम पंचायतों को भूमि पर ईमारती, गैर ईमारती प्रजातियों के वाणिज्यिक-औद्योगिक वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसी तरह कृषकों की आय में वृक्षारोपण के माध्यम से वृद्धि करते हुए उनके आर्थिक, सामाजिक स्तर में सुधार लाना है। निजी भूमि पर रोपित तथा पूर्व से खड़ा वृक्षों के पातन तथा काष्ठ के परिवहन नियमों को सुगम बनाया जाकर, नागरिकों को निजी भूमि पर रोपण हेतु आकर्षित करना है।


इसी तरह निजी और सामुदायिक भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देने, काष्ठ का उत्पादन बढ़ाकर काष्ठ के आयात में उत्तरोत्तर कमी लाना और वनों में उपलब्ध काष्ठ पर जैविक दबाव को कम करते हुए वनों को सुरक्षित रखना है। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर बाढ़, अनावृष्टि आदि को नियंत्रित करना तथा भूमि के जल स्तर को ऊपर उठाना है। साथ ही उद्योगों की लकड़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन कर सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि करना भी है। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत गैर वनीय क्षेत्रों में ईमारती, गैर ईमारती, फलदार वृक्ष बांस अन्य लघु वनोपज एवं औषधीय पौधों का वृहद पैमाने पर रोपण किया जाएगा। कृषि वानिकी को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए उच्च गुणवत्ता के पौधे तैयार किए जाएंगे।

 

जिस वन और राजस्व वन भूमि पर वन अधिकार पत्र दिए गए हैं, उस भूमि पर भी हितग्राहियों की सहमति से ईमारती, फलदार, बांस, लघु वनोपज एवं औषधि पौधों का रोपण किया जाएगा। वन क्षेत्रों से जलाऊ, चारा, ईमारती काष्ठ और औद्योगिक क्षेत्र उत्पाद का दबाव कम करने और भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुक्रमण में निजी भूमि में वृक्षों के रोपण को बढ़ावा दिया जाएगा। निजी क्षेत्र में पूर्व से खड़े हुए वृक्ष और रोपित वृक्षों के लिए कटाई के अनुमति के प्रावधानों को और अधिक सरल और सुगम बनाया जाएगा। योजना के तहत नागरिकों की ओर से स्वयं रोपित वृक्षों को परिवहन अनुज्ञा की अनिवार्यता से मुक्त किए जाने के लिए भारत सरकार के दिशा निर्देश एवं राज्य में लागू प्रावधानों के अनुरूप ही नियम बनाए जाएंगे।


ज्ञात हो, छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की विपरीत परिस्थितियों के बाद भी 12 लाख 80 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया है। इस तरह 12 लाख 9 हजार संग्राहकों को इसके लिए 512 करोड़ रुपए का पारिश्रमिक प्रदान किया जाएगा। जब पूरे देश में तेंदूपत्ता संग्रहण की दर में कमी आई है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में यह आंकड़े काफी उल्लेखनीय हैं। मई महीने में बस्तर संभाग में लगातार बारिश के बाद भी 28 मई स्थिति में 4,24,118 मानक बोरा का संग्रहण किया जा चुका है जो कि लक्ष्य का 84 प्रतिशत है। संग्रहण से बस्तर संभाग में 170 करोड़ रुपये संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है।