शिवराज किसानों के खातों में पैसा डालेंगे, बैंक तुरंत करेंगे कर्ज वसूली

Farmers Loan Waiver: सोयाबीन और उड़द उत्पादक किसान भयंकर मुसीबत में, सरकार से चाहिए सहायता, बीजेपी सरकार से मिल रही दिखावे की राहत

Updated: Sep 18, 2020, 11:31 PM IST

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में एक क्लिक से प्रदेश के 22 लाख किसानों को फसल बीमा क्लेम की राशि देंगे। खरीफ 2019 की 4688 करोड़ रुपए सीधे किसानों के खाते में जाएगी। लेकिन, इससे किसानों की परेशानी खत्म नहीं होने वाली है। जिलों में सहकारी बैंक कर्ज वसूली के तैयार हैं और जैसे ही यह राशि किसानों के खातों पहुंचेगी कर्ज की वसूली कर ली जाएगी।

गरीब कल्याण सप्ताह के तहत मुख्यमंत्री चौहान 22 लाख 51 हजार 188 किसानों को खरीफ 2019 की फसल बीमा दावा की राशि 4 हजार 688 करोड़ 83 लाख रुपए का भुगतान कर किसानों से संवाद करेंगे। सरकार का कहना है कि किसानों को खरीफ 2018 एवं रबी 2018-19 के फसल बीमा की 2981.24 करोड़ रुपए का बीमा दावा दिलवाया गया है।

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इसमें 8 लाख 40 हजार किसानों को खरीफ 2018 की फसल बीमा दावा राशि 1921.24 करोड़ रुपए तथा 6 लाख 60 हजार किसानों को रबी 2018-19 की दावा राशि 1060 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा रहा है। 

इस कार्यक्रम के पहले ही भोपाल संभाग आयुक्त ने सहकारी बैंकों को कर्ज वसूली के आदेश दे दिए हैं। जिला सहकारी बैंकों के सीईओ को कहा गया है कि 18 सितंबर को किसानों के खाते में जैसे ही पैसा आए तत्काल किसानों के कर्ज की वसूली की जाए। यानी अतिवृष्टि, फसल पर कीड़े लगने और अफलन की स्थिति से परेशान किसानों को राहत नहीं मिलेगी। किसान नेताओं का कहना है कि किसानों को तुरंत राहत की ज़रूरत है ताकि वे फसल के बिगड़ने की भरपाई कर सकें और अगली फसल की तैयारी कर सकें। मगर सरकार उनके खातों में पैसे देने का दिखावा कर रही है। वह इस हाथ से देगी और दूसरे हाथ से ले लेगी। इस निर्णय से किसानों का फ़ायदा नहीं सहकारी बैंकों का लाभ है। साफ है कि सरकार अपनी ही बैंकों को पैसा दे रही है। 

भोपाल संभाग आयुक्त पत्र

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ग़ौरतलब है कि सबसे बड़े सोयाबीन और उड़द उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश के किसान इस बार भयंकर मुसीबत में फंस गए हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश के किसान आमतौर पर जून के अंतिम सप्ताह अथवा जुलाई के पहले सप्ताह में खरीफ फसल की बुआई करते हैं। इस वर्ष चक्रवाती तूफान निसर्ग के कारण जून के शुरुआती पखवाड़े में ही जमकर बारिश हुई। इस वजह से प्रदेश के ज्यादातर किसानों ने 15 जून तक फसल की बुआई कर दी थी।

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इस दौरान शुरुआती फसल तो नुकसान होने से बच गई लेकिन जुलाई का महीना किसानों के लिए बुरा रहा। जुलाई में लगातार एक महीने बारिश न होने की वजह से प्रदेश में सूखे के हालात बन गए। 10 जुलाई के बाद प्रदेश में सोयाबीन की फसल बुरी तरह से सूखे के चपेट में आ गई। इसके बाद अगले महीने यानी अगस्त के अंत में प्रदेश में भयंकर बाढ़ ने किसानों की बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। हालात यह है कि अब झाड़ी और फली दोनों सड़ गई है। बता दें कि उड़द की फसल अमूनन 70-75 दिन वहीं सोयाबीन 100 दिनों में परिपक्व होती है। ऐसे में आखिरी बारिश ने लगभग तैयार हो चुके फसलों को बर्बाद कर दिया है।