निमाड़ में बारिश न होने से मुश्किल में पड़े किसान, सोयाबीन में पड़ा झल्ली का प्रकोप

औसत से कम बारिश होने के कारण समस्याओं से घिरे किसान, फसल के बर्बाद होने की सता रही चिंता, क्षेत्र का जल स्तर भी घटा, पेयजल संकट बढ़ा

Updated: Aug 12, 2021, 05:37 AM IST

खंडवा। इस साल बारिश में आई भारी कमी के कारण खंडवा जिले और पूरे निमाड़ क्षेत्र के किसानों को फसल बर्बादी का डर सता रहा है। कई दिनों से बारिश की राह देख रही सोयाबीन की फसल में अब झल्ली का प्रकोप बढ़ने लगा है। वहीं मक्का पर भी तना छेदक कीट का प्रकोप बढ़ गया है। अपनी फसलों को बर्बाद होता देख क्षेत्र के किसान अब अहसाय महसूस कर रहे हैं। 

फसल की बर्बादी रोकने के लिए किसानों के तमाम प्रयास विफल हो रहे हैं। बारिश नहीं होने के कारण ज़मीन में पैदा होने वाली गर्मी फसलों को और नुकसान पहुंचा रही है। जिसका खामियाजा यह हुआ है कि कोई भी दवाई कारगार सिद्ध होती नहीं दिख रही है। खंडवा सहित निमाड़ क्षेत्र में बड़े स्तर पर सोयाबीन, मक्का और कपास की फसलों के नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। 

अकेले खंडवा जिले में 2 लाख 15 हजार हेक्टेयर में कपास, 40 हजार हेक्टेयर में मिर्ची, वहीं 68 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन और 72 हजार हेक्टेयर में मक्का की बुआई की गई है। बारिश में कमी के कारण ये फसलें अब सूखने की कगार पर हैं। 

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सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित निमाड़ क्षेत्र का खंडवा जिला है। पिछले साल इस अवधि तक ज़िले में 511 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन इस साल अब तक केवल 398 मिली मीटर बारिश ही दर्ज की गई है। बारिश कम होने से फसलों पर संकट तो बढ़ा है ही लेकिन साथ ही साथ पेयजल संकट की समस्या भी उत्पन्न हो गई है।आने वाले कुछ दिनों में भी किसानों को बारिश होने की उम्मीद नहीं दिख रही है।

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इस सिलसिले में पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव पूरे निमाड़ क्षेत्र को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग कर चुके हैं। अरुण यादव ने हाल ही में बताया था कि खंडवा के साथ साथ बुरहानपुर, नेपानगर और बड़वानी के हालात भी कमोबेश ऐसे ही हैं। ऐसे में अरुण यादव ने राज्य सरकार से निमाड़ क्षेत्र को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने और तत्काल ही किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग की थी।