28 मार्च तक अपना कर्ज़ चुका दें किसान, वरना शून्य फीसदी ब्याज का नहीं मिलेगा लाभ

सहकारिता विभाग ने किसानों को फोन पर मैसेज भेजने शुरू कर दिए हैं, अगर किसानों ने 28 मार्च तक अपना कर्ज़ नहीं चुकाया तो उन्हें 14 फीसदी तक ब्याज चुकाना पड़ सकता है

Updated: Mar 15, 2021, 06:47 AM IST

Photo Courtesy: Krishi Jagran
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भोपाल। मध्यप्रदेश शासन के सहकारिता विभाग ने किसानों के सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी है। सहकारिता विभाग ने किसानों को यह सूचित करना शुरू कर दिया है कि अगर जल्द ही किसानों ने अपने पिछले ऋण नहीं चुकाए तो उन्हें ज़ीरो फीसदी ब्याज़ पर ऋण प्राप्त करने से महरूम रहना पड़ सकता है। सहकारिता विभाग ने इसके लिए किसानों को फोन पर मेसेज भेजना शुरू कर दिया है। किसानों को कर्ज जमा करने के लिए 28 मार्च तक की डेड लाइन दी गई है। 

सहकारिता विभाग की धमकी रूपी सूचना में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर किसान 28 मार्च तक अपना पिछला कर्ज़ नहीं चुका पाते हैं। तो इसका नतीजा यही होगा कि किसानों को शून्य फीसदी ब्याज पर कर्ज़ नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही ऋण न चुका पाने वाले किसानों को 14 फीसदी तक ब्याज चुकाना पड़ा सकता है। सहकारिता विभाग के मुताबिक अगर किसानों ने 28 मार्च तक किसानों ने अपना बकाया नहीं चुकाया तो उन्हें ऋण लेने की तारीख के बाद से तीन फीसदी की दर पर ब्याज चुकता करना पड़ेगा।

ड्यू डेट की अवधि समाप्त होने पर किसानों को प्रति दिन के हिसाब से 14 फीसदी तक का कर्ज़ चुकाना पड़ेगा। किसानों को फोन पर मैसेज भेजने के अलावा सहकारिता विभाग ने उपार्जन केंद्रों पर होर्डिंग के ज़रिए भी यह सूचना प्रेषित कर दी है। सहकारिता विभाग की इस चेतावनी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। 

दरअसल खरीफ फसल पर लिए गए ऋण को अब तक जिन किसानों ने नहीं चुकाया है, उन्हें सहकारिता विभाग ने ऋण चुकाने की मोहलत दी है। हालांकि ज़्यादातर किसान 28 मार्च तक कर्ज़ चुका पाने में अक्षम हैं। उदाहरण के तौर पर सीएम के गृह जिले सीहोर में ही 80 हज़ार से ज़्यादा किसान 28 मार्च तक कर्ज़ चुका पाने में समर्थ नहीं हैं। ज़िले के करीब 83 हज़ार किसानों पर केसीसी का ऋण अभी बकाया है। 

सीहोर के ज़िला सहकारी बैंक से करीब 1 लाख 15 हज़ार किसानों ने ऋण ले रखा है। इनमें 83 हज़ार 102 किसान ऐसे हैं जो ऋण चुका पाने की स्थिति में नहीं हैं। ज़्यादातर किसानों की फसल मौसम के खराब होने की वजह से बर्बाद हो गईं। दूसरी तरफ किसानों को उनकी फसल पर उचित मूल्य नहीं मिला। फिलहाल किसान इस स्थिति में नहीं हैं कि वे इतनी जल्दी कर्ज़ चुका पाएं। 

किसान गेहूं की खरीदी का इंतज़ार कर रहे हैं। 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होने वाली है। लेकिन इससे पहले ही किसानों को कर्ज़ चुकता करने का अल्टीमेटम थमा गया है। जिसके परिणामस्वरूप किसानों के समक्ष एक जटिल समस्या खड़ी हो गई है। किसान गेहूं की बिक्री के बाद हुई आय से अपना कर्ज़ चुका सकते थे लेकिन सहकारिता विभाग ने किसानों को थोड़ा और समय देने का विकल्प देना मुनासिब नहीं समझा। 

किसान मजदूर महासंघ के नेता बलराम मुकाती ने सीहोर के स्थानीय अखबार को बताया कि कांग्रेस की सरकार में हुई किसानों की ऋण माफी का लाभ शिवराज सरकार ने नहीं दिया। सरकार ने किसनों को ऋणी बना दिया।अब सरकार असमय ही ऋण चुकाने के लिए कह रही है। चूंकि अब तक किसानों की फसल ही नहीं बिकी है, तब ऐसी परिस्थिति में किसान ऋण कैसे चुका पाएंगे? सरकार को किसानों को थोड़ा और वक्त देना चाहिए था।