Locust attack : टिड्डी दल के हमले से बचाव के देशी तरीके

समस्या यह है कि सीमा पार से नए झुंड लगातार आ रहे हैं। करोड़ों की तादाद में होने के कारण इनका सफाया करना इतना आसान नहीं है।

Publish: May 31, 2020, 05:14 AM IST

Photo courtesy : twitter
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कोरोना का कहर थमा नहीं था कि देश में टिड्डी दल ने नाक में दम कर रखा है। इन दिनों ग्रीष्म कालीन मूंग -उड़द की जायद फसलें खेतों में तैयार हैं।  वहीं बागों में आम,कटहल की फसल भी बाजार की बाट जोह रही है, आगामी वक्त भी खेतीहर किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे प्रदेश में टिड्डियों के दल ने कोहराम मचा रखा है। पाकिस्तान से राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश पहुंचीं टिड्डियों ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दीं हैं। ये टिड्डी दल मध्यप्रदेश के मंदसौर, देवास, सीहोर, टीकमगढ़, आष्टा, जबलपुर, सीधी सतना, रीवा,सागर, छतरपुर, ग्वालियर, बालाघाट जिलों में आमद दे चुका है। वहीं प्रदेश के शिवपुरी-दतिया के अलावा श्योपुर में भी इसने खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया। फसलों के अलावा खड़े पेड़ों के पत्तों तक को टिड्डियों ने साफ कर दिया। किसान अपनी फसल बर्बाद होने से बचाने के लिए कई जतन करने को मजबूर हैं।

करोडों की मूंग-उड़द की फसल को टिड्डियों से खतरा

मध्य प्रदेश में टिड्डी दल के हमले से जायद फसलों जैसे मूंग-उड़द की फसल को करोड़ों का नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा ग्रीष्मकालीन सब्जियों जैसे भिंडी, लौकी तुरई के फसलों को भी टिड्डियों ने नुकसान पहुंचाया है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो टिड्डियों के हमले से देश में करोड़ों रुपये की फसलों के नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है। राज्य सरकार ने टिड्डियों को लेकर अलर्ट घोषित कर दिया है।प्रदेश में टिड्डयों के प्रकोप की निगरानी की जा रही है। इसे काबू करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।एक साथ करोड़ों की संख्या में टिड्डियों के आने से किसान परेशान हैं। अब किसान खेतों में शोर मचाने के लिए घंटियां, मंजीरे और थाली तक बजाने को मजबूर हैं, कई जगह तो इन्हे भगाने के लिए डीजे समेत तेज संगीत का सहारा लिया जा रहा है। ये टिड्डी दल जिन इलाके से गुजरता हैं वहां कि फसलें चट करता जाता है।

साल 1993 में टिड्डियों ने किया था सबसे बड़ा हमला

अब से 27 साल पहले भी भारत में टिड्डियों ने हमला किया था। साल 1993 में टिड्डियों ने भारत में भारी नुकसान पहुंचाया था। बाद के वर्षों में भी बड़ी संख्या में टिड्डियों का दल आता रहा है, लेकिन सरकार की मुस्तैदी की वजह से नुकसान ज्यादा नहीं हुआ। इस बार ये टिड्डियां ईरान के रास्ते पाकिस्तान से होते हुए भारत पहुंची हैं। सबसे पहले इन्होंने पंजाब और राजस्थान में फसलों को नुकसान पहुंचाया और अब यह मध्यप्रदेश में कोहराम मचा रही हैं। डॉक्टर अशोक कुमार भौमिक, विभागाध्यक्ष कीट शास्त्र, जवाहर लाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर का कहना है कि टिड्डियों के एक झुंड में करोडों टिड्डियां होती हैं। ये जिन इलाकों में जाती हैं, वहां की हरियाली को पूरी तरह नष्ट कर देती है। फायर ब्रिगेड की गाडियों से कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में गर्मी पड़ने औऱ तेज हवाएं चलने से काफी राहत मिली है। टिड्डियां तेज हवा के कारण कुछ इलाकों में सक्रिय नहीं हो पाईं, इनका समूह टूट गया है जिससे इनके हमले में कमी आई है।

देशी तरीके से भी बना सकते हैं कीटनाशक

डॉक्टर अशोक कुमार भौमिक ने बताया कि टिड्डियों का झुंड 15-20 किमी प्रति घंटे की गति के साथ दिन में 150 किमी की यात्रा कर सकता है। सब्जियों की फसल, पेड़ों और अन्य उपलब्ध वनस्पतियों को निशाना बना रहा है। इससे निपटने के लिए किसान देसी कीटनाशक का भी प्रयोग कर सकते हैं । नीम के पत्ते, रीठा, शीकाकाई, साबुन के पानी का काढ़ा बनाकर पेड़ों में छिड़काव करने से टिड्डियों को भगाया जा सकता है। यह आर्गेनिक कीटनाशक किसी तरह से नुकसान दायक नहीं हैं। इसको बनाने में लागत भी ज्यादा नहीं आती। साथ ही सेहत और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक नहीं है।

मध्यप्रदेश में किए जा रहे व्यापक इंतजाम

मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल का कहना है कि टिड्डी दल की निगरानी एवं रोकथाम के लिये समस्त जिले हाई अलर्ट पर हैं। टिड्डी दल का प्रकोप रोकने के लिये कीटनाशक, कीटनाशक छिड़काव यंत्रों और फायर ब्रिगेड की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इसके लिए सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं। कृषि मंत्री की मानें तो टिड्डी दल के रात्रि ठहराव वाली जगहों पर अल सुबह 4 बजे से ही कीटनाशकों के छिड़काव के निर्देश दिये हैं। कृषि विभाग द्वारा निरंतर टिड्डी दल पर निगरानी रखी जा रही है। बचाव एवं रोकथाम की प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। करोड़ों की तादाद में होने के कारण इनका सफाया करना इतना आसान नहीं है। कृषि विभाग के अनुसार करीब पौने चार लाख हेक्टेयर में टिड्डियां मारने के लिए दवा का छिड़काव किया जा चुका है। लेकिन समस्या यह है कि सीमा पार से नए झुंड लगातार आ रहे हैं। करोड़ों की तादाद में होने के कारण इनका सफाया करना इतना आसान नहीं है।

टिड्डी दल से निपटने के लिए प्रशासन अलर्ट पर 

किसानों को परेशानी से बचाने के लिए प्रशासन अलर्ट पर है। टिड्डी दल के हमले से बचाव के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भारी मात्रा में कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है, मध्यप्रदेश के साथ –साथ दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में सरकारों ने टिड्डी दल के पहुंचने को लेकर अलर्ट जारी किए हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, टिड्डियों के झुंड के बिहार और ओडिशा तक पहुंचने की आशंका है।  फिलहाल दक्षिण भारत में इन कीटों के पहुंचने की संभावना बहुत कम है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार पिछले कुछ दिनों में, भारत में टिड्डियों के वयस्क समूहों का आना हुआ है और ये भारत-पाकिस्तान सीमा से पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं। राजस्थान के पश्चिम भाग से आये टिड्डियों के समूह राज्य के पूर्वी हिस्से तथा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे मध्यवर्ती राज्यों की ओर बढ़ रहे हैं।

टिड्डी दल से निपटने के लिए केंद्र भी मुस्तैद

देश में बड़ी आफत बनीं टिड्डियों से छुटकारा पाने के लिए हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल करने की तैयारी की जा रही है। टिड्डियों की समस्या को देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि टिड्डियों की समस्या के समाधान के लिए इस पखवाड़े ब्रिटेन से 15 स्प्रेयर्स मंगाए जा रहे हैं। जबकि बाद में 45 और स्प्रेयर्स मंगवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि टिड्डियों के खात्मे को लेकर लंबे पेड़ों और दुर्गम स्थानों पर कीटनाशकों के छिड़काव के लिए जल्द ही ड्रोन लगाए जाएंगे, जबकि हेलिकॉप्टरों से हवाई स्प्रे कराया जाएगा।

किसानों को ही नहीं फ्लाइट्स के लिए भी खतरनाक है टिड्डी दल

टिड्डी दल फ्लाइट टेकआफ, लैंडिंग और पार्किंग में परेशानी पैदा कर सकता है। नागर विमानन महानिदेशालय ने टिड्डियों की दिक्कत को ध्यान में रखते हुए पायलटों को नए निर्देश जारी किए हैं।बड़ी संख्या में टिड्डियों के होने से पायलट को सामने सही तरीके से दिखाई नहीं देता। यह फ्लाइट के उड़ान भरने, लैडिंग करने और उसे पार्किंग तक ले जाने के दौरान काफी दिक्कतों पैदा करने वाला है।’ पाइलेट्स को फ्लाइट में वाइपर का इस्तेमाल करते वक्त भी सावधानी बरतने को कहा गया है। सामने के कांच पर टिड्डियों के धब्बे और फैल सकते हैं। यह उनकी विजिबिटी को खराब कर सकता है। इसलिए पायलट को वाइपर का इस्तेमाल करने से पहले इस बारे में सोचना होगा। डीजीसीए ने हवाई यातायात नियंत्रकों को उनके नियंत्रण वाले हवाईअड्डों पर टिड्डियों से जुड़ी जानकारी हर आने और जाने वाली फ्लाइट के साथ साझा करने की सलाह दी है।