एक बीड़ी से करोड़ों का नुकसान: ग्वालियर में 15 सौ बीघा जमीन में खड़ी गेहूं की फसल खाक

एक बीड़ी से गेहूं की फ़सल में लगी आग, देखते ही देखते 1500 बीघा खेत में खड़ी फसल जलकर हुई खाक, प्रशासन के खिलाफ किसानों में नाराजगी

Updated: Apr 09, 2022, 08:20 AM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक छोटी सी चिंगारी से ऐसी आग भड़की कि सैंकड़ों किसानों की महीनों की मेहनत जलकर खाक हो गई। दरअसल, यहां एक बीड़ी से लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और देखते ही देखते आग 15 सौ बीघा जमीन तक फैल गई। खेत में खड़ी गेहूं की फसलें जो कटने के लिए तैयार थी वह पूरी तरह जलकर राख में तब्दील हो गई।

जानकारी के मुताबिक ग्वालियर के चीनोर, भदेश्वर और दौलतपुर गांव में शुक्रवार दोपहर अचानक आग लग गई। ग्रामीण आग बुझाने के लिए हर जतन कर रहे थे, लेकिन आग काबू नहीं हो रही थी बल्कि विकराल रूप धारण करती जा रही थी। ग्रामीणों ने आग बुझाने के लिए ट्यूबवेल खोल दिए लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका। काफी देर बाद फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची, लेकिन तबतक आग सैंकड़ों बीघा तक फैल चुकी थी।

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आखिर में किसानों ने एकजुट होकर खेतों को जोतकर आग को आगे बढ़ने से रोका। खेतों में लगी आग के पीछे जलती बीड़ी फेंकने का मामला सामने आया है। ग्रामीणों का कहना है कि किसी ने खेतों में जलती बीड़ी फेंक दी थी, गेहूं की फसल पूरी तरह से पककर कटने को तैयार थी। फसल सूखे होने के चलते आग ने छोटी सी चिंगारी से ही विकराल रूप धारण कर लिया और आग देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में 15 सौ बीघा के क्षेत्र में फैल गई। खेतों में खड़ी गेहूं की फसल के साथ ही नरवाई भी थी, जिसमें एक के बाद एक आग लगती ही गई। 

बताया जा रहा है कि आग की शुरुआत करहिया मार्ग से हुई जिसने पहले भदेश्वर क्षेत्र को घेरा फिर सिरसुला और दौलतपुर मौजे में आग ने विकराल रूप ले लिया। किसानों ने फायर ब्रिगेड पर देर से पहुंचने का आरोप लगाते हुए SDM के सामने नारेबाजी किया। मौके पर पहुंचे ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को भी किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। किसानों का कहना है कि फायर ब्रिगेड की टीम यदि समय रहते आ जाती तो इतना नुकसान नहीं होता।

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ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह किसानों को आश्वासन दिया है कि सभी को मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने घटना की जांच कराने की भी बात कही है। प्रशासन ने तो मुआवजे का घोषणा कर दी है, लेकिन यह कब और कितनी मिलेगी इस बात को लेकर ग्रामीण चिंतित हैं। पीड़ित किसानों का कहना है कि फसल को बेचकर इसमें से ही घर के खाने के लिए गेहूं रखा जाता है। लेकिन सारी फसल जल गई है, अब साल भर किस तरह से गुजारा करेंगे, बच्चों को खिलाएंगे इसकी चिंता सता रही है।