MP: एक म्यान में तेरह तलवार, टॉपअप से चल रही एमपी सरकार

Krishi Cabinet MP: कृषि विभाग में मची खुली लूट, बाज़ार में घटिया बीज और खाद, किसान परेशान, बिना भ्रष्टाचार नहीं हो रहा कोई काम

Updated: Aug 17, 2020, 02:54 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है। यहाँ के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को किसान पुत्र बताते नहीं थकते हैं। कृषि उनकी प्राथमिकता का विभाग है। इसे साबित करने के लिए कभी वे किसानों की आय दोगुनी करने का रोडमैप बनाने के लिए बड़े सेमिनार करते हैं, अलग से कृषि कैबिनेट बनाते हैं, कृषि बजट लाते हैं। मगर एमपी में कृषि विभाग की हालत एक म्यान में तेरह तलवार जैसी हो गई है। दो घोषित कृषि मंत्री, दो अघोषित कृषि मंत्री, आरएसएस, किसान संघ और कृषि कैबिनेट के हस्तक्षेप से कृषि मंत्रालय की दशा ही बिगड़ी हुई है। आलम यह है कि हर आदमी आपने अपने स्तर से हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार कर रहा है। विभाग में कोई काम हो 'टॉप अप' के बिना नहीं होता। सब कहने लगे है 'टॉप अप' भराओ, काम करवाओ।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह खुद कृषि विभाग में पूरा दख़ल रखते हैं। फिर कृषि मंत्री कमल पटेल हैं। विभाग के राज्यमंत्री गिर्राज डण्डोतिया हैं। इसके बाद शिवराज सिंह ने कृषि मामलों पर नज़र रखने के लिए कृषि कैबिनेट गठित की है। कृषि कैबिनेट में कुल तेरह सदस्य हैं। इसमें मुख्यमंत्री के अलावा गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, तुलसीराम सिलावट, कृषि मंत्री कमल पटेल, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, पशुपालन, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री प्रेम सिंह पटेल, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण (स्वतंत्र प्रभार), नर्मदा घाटी विकास मंत्री भारतसिंह कुशवाह, राज्य मंत्री आयुष (स्वतंत्र प्रभार), जल-संसाधन रामकिशोर कावरे, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव और किसान कल्याण तथा कृषि विकास राज्य मंत्री गिर्राज डण्डोतिया शामिल हैं। किसान संघ के पदाधिकारी अपने हिसाब से कामों को करवाने का अलग दबाव बनाते हैं। 

विभाग के इतने केंद्र बन गए हैं कि किसी को कुछ पता नहीं समस्या का निवारण कैसे होगा। इस कारण भ्रष्टाचार भी खुल कर हो रहा है। मुख्यमंत्री की नाक के नीचे ही कृषि कैबिनेट के सदस्य अधिकारियों से ट्रांसफर कराने तथा न कराने के नाम पर भारी भरकम वसूली कर रहे हैं। 

विभाग के 13 मुखिया खुल कर मची लूट 

सूत्रों के मुताबिक एक म्यान तेरह तलवार वाले कृषि विभाग में खुल कर लूट मची हुई है। इसके ज़िम्मेदार कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए बागी नेता हैं। कृषि कैबिनेट में भी उन नेताओं को जगह दी गई है। अधिकारियों का आरोप है कि कृषि कैबिनेट के सदस्य ही अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि कृषि कैबिनेट के एक सदस्य ने उनसे एक मोटी रकम भुगतान करने के लिए कहा है, अन्यथा उनका ट्रांसफर कहीं और कर दिया जाएगा। अधिकारी का कहना है कि यही हाल विभाग के अन्य अधिकारियों का भी है। कृषि कैबिनेट के सदस्यों के समर्थक ट्रांसफर रुकवाने तथा अच्छे ट्रांसफर के नाम पर भरपूर वसूली कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि 'टॉप अप भरने' का अर्थ है पैसे देना। 

'टॉप अप भरने' के कारण बीज खाद की गुणवत्ता से समझौता 

विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस भ्रष्टाचार का हर्जाना प्रदेश के कृषि व्यापारियों को चुकाना पड़ रहा है। अधिकारियों पर पैसों का दबाव बनाया जाता है तो अधिकारी कृषि व्यापारियों से अपने नुकसान की भरपाई कर रहे हैं। इस लूट के परिणाम स्वरूप प्रदेश में कृषि के लिए उपयोग में लाई जाने वाली बीजों और खादों की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। जिस वजह से प्रदेश के किसान इस व्यवस्था का दंश झेलने पर मजबूर हैं। विभाग में फैले इस भ्रष्टाचार का प्रभाव फसल के लिए उपयोग में लाए जाने वाले उर्वरक पर पड़ रहा है। प्रदेश के किसानों तक जो उर्वरक पहुंच रहे हैं उनकी गुणवत्ता सही नहीं है। 

घटिया क्वालिटी के उर्वरक को पास किया 

मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही बताते हैं कि प्रदेश सरकार द्वारा खरीफ फसलों की उर्वरकों की गुणवत्ता जांच करने के लिए चलाया गया अभियान पूरी तरह से फेल हो चुका है। कृषि विभाग ने ज़्यादातर गुणवत्तायुक्त उर्वरक उत्पादों को फेल कर दिया, जबकि ऐसे उर्वरक जो कि गुणवत्ता के स्तर पर नकली थे उन्हें पास कर दिया। जिस वजह से किसानों तक अच्छी गुणवत्ता वाले उर्वरक नहीं पहुंच पाए। केदार सरोही ने गलत उर्वरकों को पास करने में गड़बड़ियों के संबंध में कृषि विभाग के संचालक को पत्र लिखकर अवगत भी कराया था।