24 घंटे में राज्य सरकार ने निरस्त किया पैतृक बीज सत्यापन पर दोबारा छूट का आदेश, हम समवेत ने दी थी ख़बर
राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था ने मंगलवार को पैतृक बीज के भौतिक सत्यापन की अवधि को 20 जुलाई तक के लिए बढ़ाए जाने का आदेश पारित किया था, किसानों के भारी विरोध के बाद जब हमसंवेत ने सरकार से सवाल किए, तब आदेश जारी करने के 24 घंटे के भीतर ही राज्य सरकार ने अपने आदेश को निरस्त कर दिया
 
                                    भोपाल। राज्य सरकार ने खरीफ सीजन की फसल के भौतिक सत्यापन की अवधि को बढ़ाए जाने का आदेश निरस्त कर दिया है। मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के आदेश जारी करने के 24 घंटे के भीतर ही सरकार को यह फैसला लेना पड़ा। बीज प्रमाणीकरण संस्था के एमडी केएस टेकाम ने खुद हमसमवेत से बातचीत करते हुए आदेश को निरस्त जाने की पुष्टि की है। टेकाम ने बताया कि अब संस्था फसलवार तरीके से नया आदेश जारी करेगी।
बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा निरस्त किए गए आदेश में कहा गया है कि संस्था ने बीज उत्पादक संस्थाओं से विस्तृत जानकारी प्राप्त न होने के बाद अपने पुराने आदेश को निरस्त कर दिया है।
 
संस्था के एमडी केएस टेकाम ने आदेश को निरस्त किए जाने के मसले पर बातचीत करते हुए कहा कि आज हमारी एग्रीकल्चर प्रोडक्शन कमिश्नर, किशोर कुमार सिंह से इस बारे में चर्चा हुई, जिसमें चौबीस घंटे पहले के आदेश को निरस्त करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि अब एपीसी ने फसलवार तरीके और बीज उत्पादक संस्थाओं का उल्लेख कर नए सिरे से आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं।
किसानों के विरोध और हमसंवेत की खबर का हुआ असर
बीज प्रमाणीकरण संस्था ने मंगलवार को आदेश जारी कर पैतृक बीज के भौतिक सत्यापन की अवधि को 20 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया था। अपने आदेश में संस्था ने कहा था कि पैतृक बीज के भौतिक सत्यापन की अवधि को बीज उत्पादक संस्थाओं के अनुरोध के बाद बढ़ाया गया है। संस्था के इस आदेश के बाद किसानों ने विरोध शुरू कर दिया था। हमसमवेत ने मंगलवार को इस खबर पर विस्तृत रिपोर्ट की थी।
आदेश का विरोध क्यों हो रहा था
दरअसल पैतृक बीज के भौतिक सत्यापन के लिए रतलाम के सागर एग्रो इनपुट्स और जबलपुर के हरिओम सीड्स ने अनुरोध किया था। राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था ने इसे आधार बनाकर भौतिक सत्यापन की अवधि बढ़ा दी थी। जबकि खरीफ सीजन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई हुए एक महीने का समय निकल चुका है। सवाल उठाया जा रहा था कि आखिर जब फसल की बुआई को एक महीने पूरा होने के बाद बीज का भौतिक सत्यापन क्यों किया जा रहा है? और इसकी अवधि को क्यों बढ़ाया जा रहा है? क्योंकि आम किसान तो इस फैसले से कोई लाभ नहीं ले सकता है, फिर यह फैसला क्यों?
इसके साथ ही बीज प्रमाणीकरण संस्था के आदेश को लेकर यह सवाल भी खड़ा किया जा रहा था कि जब केवल दो बीज उत्पादक संस्थाओं ने ही भौतिक सत्यापन की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था तब राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था ने खरीफ सीजन की समस्त फसलों और सभी बीज उत्पादक संस्थाओं के लिए किस आधार पर इसे ओपन किया?
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अपने आदेश पर मुंह की खाने के बाद राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के एमडी केएस टेकाम ने हमसमवेत को फसलवार तरीके से नया आदेश जारी करने का आश्वासन दिया है। हालांकि खरीफ की अधिकांश बुआई का समय फिर भी निकल गया है और प्रदेश के साठ फीसदी किसानों को सरकार की िस पहल से ज्यादा कुछ हासिल होने का अनुमान भी नहीं है।




 
                             
                                   
                                 
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
                                    
                                 
                                     
                                     
                                     
								 
 
 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								