MSP पाने वालों किसानों की संख्या में भारी गिरावट, क्या ऐसे ही जारी रहेगा न्यूनतम समर्थन मूल्य

मध्य प्रदेश में साल 2019-20 के मुक़ाबले 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है, चने, मसूर और सरसों की खेती करने वाले उन किसानों की तादाद में काफ़ी कमी आई है, जो MSP का लाभ ले पाए हैं

Updated: Mar 07, 2021, 03:42 AM IST

Photo Courtesy: Sarita.in
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भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक बीजेपी के तमाम नेता, मंत्री लगातार दावा करते रहे हैं कि किसानों को उनकी फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिल रहा है और आगे भी मिलता रहेगा। लेकिन आंकड़े इन दावों से अलग कुछ और ही हकीकत बयान कर रहे हैं। और वो हकीकत यह है कि 2020-21 के दौरान MSP का लाभ पाने वाले किसानों की संख्या में भारी गिरावट आई है। मिसाल के तौर पर चने की फसल पर MSP पाने वाले किसानों की संख्या 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में 3 लाख से ज़्यादा घट गई है। ये आंकड़े केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइस के हैं, जिनके मुताबिक रबी की फसलों को MSP पर बेचने वाले किसानों की तादाद में एक साल के दौरान भारी गिरावट दर्ज की गई है।

2019-20 में प्रदेश में रबी की एक प्रमुख फसल चना पर 6 लाख 24 हज़ार 73 किसानों को एमएसपी का लाभ मिला। लेकिन 2020-21 में 2 लाख 62 हज़ार 795 किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिल पाया। यानी पिछले दो वर्षों में 3 लाख 61 हज़ार 278 किसान कम हो गए। कमोबेश यही स्थिति मसूर की फसल पर भी रही। देश भर में मसूर की फसल का सबसे ज़्यादा उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश मिलकर देश भर का 68 फीसदी मसूर का उत्पादन करते हैं। 2019-20 में मसूर की फसल पर मध्य प्रदेश के 1 लाख 64 हज़ार 940 किसानों को एमएसपी का लाभ मिला था। लेकिन 2020-21 में महज़ 1,898 किसानों की फसल ही एमएसपी पर खरीदी गई। यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य हासिल कर पाने वाले किसानों की संख्या में 1 लाख 63 हज़ार की कमी आई। उत्तर प्रदेश का हाल तो हैरान करने वाला हैं, जहां चालू वित्त वर्ष में केवल एक ही किसान को मसूर की फसल पर एमएसपी मिल पाई।

सरसों की फसल पर 2019-20 में मध्य प्रदेश में 65 हज़ार 258 किसानों को एमएसपी का लाभ मिला था, लेकिन इस साल यानी 2020-21के दौरान महज 42 हज़ार 603 किसान ही अपनी सरसों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच पाए। यानी एक साल में ही सरसों के 22 हज़ार 655 किसान लाभ पाने वालों की सूची से गायब हो गए। रबी की फसलों पर एमएसपी पाने वाले किसानों की संख्या में भारी गिरावट के ये आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। सवाल यह है कि इस भारी गिरावट की वजह क्या है? अगर देश के प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री से लेक प्रदेश के मुख्यमंत्री तक सभी यह दोहराते नहीं थकते कि एमएसपी जारी है और जारी रहेगी, तो आखिर उसका लाभ पाने वाले किसानों की तादाद एक ही साल के भीतर इतनी तेज़ी से क्यों गिर रही है?