केंद्रीय कैबिनेट की किसानों को बड़ी सौगात, खरीफ फसलों की MSP में बढ़ोतरी को मिली मंजूरी

इस बार खरीफ फसलों की MSP में 5 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव है, तिल के समर्थन मूल्य में 523 रुपये की वृद्धि की गयी है, वहीं धान के लिए एमएसपी को पिछले वर्ष के 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है

Updated: Jun 09, 2022, 03:43 AM IST

नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए विभिन्न खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी है। कैबिनेट ने अपने फैसले में तिल के समर्थन मूल्य में 523 रुपये की वृद्धि किया है, वहीं धान के लिए एमएसपी को पिछले वर्ष के 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों की एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है। मीडिया से बात करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा, 'आज की कैबिनेट बैठक में 14 खरीफ फसलों के एमएसपी को मंजूरी दी गई। एमएसपी तय करते समय इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि किसानों को उत्पादन लागत से 1.5 गुणा समर्थन मूल्य मिले। कैबिनेट के फैसले से देश के करोड़ों किसानों को फायदा होगा।'

यह भी पढ़ें: Al Qaeda कायदे में रहेगा, तो फायदे में रहेगा, हमले की धमकी पर MP के गृहमंत्री ने दी चेतावनी

अनुराग ठाकुर ने बताया कि तिल के समर्थन मूल्य में 523 रुपये की वृद्धि की गयी है। धान की सामान्य ग्रेड किस्म के लिए एमएसपी को पिछले वर्ष के 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। वहीं, धान की 'ए' ग्रेड किस्म का समर्थन मूल्य 1,960 रुपये से बढ़ाकर 2,060 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। खरीफ की प्रमुख फसल धान होती है, जिसकी बुवाई शुरू हो चुकी है।

धान के लिए एमएसपी का भुगतान वर्ष 2007 से 2014 तक 2.58 लाख करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 7.43 लाख करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2007 से 2014 तक एमएसपी पर गेहूं की 1.99 लाख करोड़ रुपये की खरीद होती थी, जो अब 2014-21 में बढ़कर 3.65 लाख करोड़ रुपये हो गयी है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि 2014 तक 1.51 लाख मीट्रिक टन दलहन की खरीद होती थी, जो अब बढ़कर 112.63 लाख मीट्रिक टन हो गयी है। यही वजह है कि कृषि का बजट बढ़कर 1.26 लाख करोड़ रुपये का हो गया है।