दुनिया में हर मिनट भूख से मरते हैं 11 लोग, ऑक्सफैम ने जारी किया रिपोर्ट

साल 2020 के मुकाबले भूख से जूझने वालों की संख्या में 2 करोड़ का इजाफा हुआ है, खाद्य संकट से जूझ रहे हैं 155 मिलियन लोग

Updated: Jul 09, 2021, 08:07 AM IST

Photo Courtesy: Business Africa
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कोरोना वायरस महामारी ने दुनियाभर में मानवता को गंभीर संकट में डाल दिया है। इसका असर दुनिया के सभी देशों पर पड़ा है। हालांकि गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे लोगों को इस वायरस ने सबसे ज्यादा तड़पाया है। गरीबी से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली अंतरराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफैम ने बताया है कि दुनिया में हर मिनट भूख से 11 लोगों की मौत हो जाती है।

'द हंगर वायरस' नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में ऑक्सफैम ने बताया है कि अकाल की स्थिति से मरने वालों की संख्या ने कोरोना वायरस से हुए मौत के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है। कोरोना वायरस की वजह से लगभग हर मिनट सात लोगों की मौत होती है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में अकाल जैसी गंभीर परिस्थितियों का सामना करने वालों की संख्या पिछले साल की तुलना में 6 गुना ज्यादा बढ़ गई है।

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रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2020 के मुकाबले भूख से जूझने वालों की संख्या में 2 करोड़ का इजाफा हुआ है। मौजूदा समय में दुनिया भर में 15.5 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास खाद्य सुरक्षा नहीं है। कोरोना महामारी की वजह से पैदा हुए आर्थिक संकट, दो देशों के बीच युद्ध और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं भूख से जूझ रहे लोगों की मुश्किलें बढ़ाने का कारण हैं। 

ऑक्सफैम अमेरिका के अध्यक्ष और सीईओ एबी मैक्समैन ने कहा है कि कोरोना से आई आर्थिक संकट और बिगड़ते जलवायु संकट ने 5 लख 20 हजार से अधिक लोगों को भुखमरी के कगार पर धकेल दिया है। उन्होंने इस आंकड़े को चौंकाने वाला करार देते हुए कहा है कि 'हमें यह याद रखना चाहिए कि ये आंकड़े अकल्पनीय पीड़ा का सामना करने वाले लोगों से ही बने हैं। भुखमरी की समस्या से जूझ रहा एक व्यक्ति भी बहुत ज्यादा है।'

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रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि महामारी से लड़ने के बजाए दुनिया आपस में लड़ने की तैयारियां करती रही। ऑक्सफैम के मुताबिक महामारी के दौरान वैश्विक सैन्य खर्च में 51 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई। संयुक्त राष्ट्र द्वारा भूख को रोकने के लिए जितने पैसों की आवश्यकता बताई गई है उससे ये कम से कम छह गुना ज्यादा है। उधर, ग्लोबल वार्मिंग और महामारी के आर्थिक नतीजों ने वैश्विक खाद्य कीमतों में 40% की वृद्धि की है।खाद्य पदार्थों के कीमतों में यह उछाल पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है।