जी भाईसाहब जी: गरूर पर बीजेपी नेताओं को नसीहत, गबन के खुलासों पर खामोशी
MP Politics: ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के मंच से प्रदेश में निवेश की बातें, वादे और करार हुए लेकिन निवेश से इतर पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह की उपस्थिति और उनके क्रियाकलापों में राजनीतिक अर्थ भी तलाशे जा रहे हैं। राजनीतिक संदेशों को जानने की कोशिशों में एकांत की मुलाकातों का मंतव्य टटोला जा रहा है।

यह पहला मौका था जब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्वकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लगाातर दो दिनों के दौरान भोपाल में थे। यूं तो उनकी यह यात्रा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सिलसिले में थी। प्रधानमंत्री मोदी समिट का उद्घाटन करने आए थे तो गृहमंत्री शाह समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। मंच से प्रदेश में निवेश की बातें, वादे और करार हुए लेकिन मोदी और शाह की उपस्थिति और उनके क्रियाकलापों में राजनीतिक अर्थ भी तलाशे जा रहे हैं। राजनीतिक संदेशों को जानने की खोज नैपथ्य में जा कर पूरी होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार की रात भाजपा विधायक, सांसदों और पार्टी के पदाधिकारियों के साथ मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी के साथ भाजपा नेताओं की यह मुलाकात लगभग 3 घंटे चली। व्यक्तिगत अभिवादन के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में भाजपा नेताओं से सवाल-जवाब भी किए और उन्हें कुछ नसीहतें भी दीं। प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी के सांसदों और विधायकों को ‘अच्छा जनप्रतिनिधि’ बनने की सलाह दी। यानी गरूर त्याग कर ऐसा जनप्रतिनिधि बनने की सलाह दी जिनसे उनके क्षेत्र की जनता और कार्यकर्ताओं को कोई शिकायत न हो। उन्होंने कहा, 'केवल चुनाव के समय नहीं बल्कि हमेशा जनता के बीच रहें। नेता जनता के सेवक बनकर काम करें, मालिक बनकर नहीं।' साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी का इशारा उन शिकायतों से है जो बीजेपी कार्यकर्ताओं को ही अपने नेताओं से हैं। वे शिकायतें कि बीजेपी सांसद-विधायक अपनी की पार्टी के कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी नेताओं को सलाह तो दी लेकिन शीर्ष नेतृत्व मध्य प्रदेश में हुए गबन के खुलासों पर मौन है। बाकी सारे मामलों को छोड़ भी दे तो परिवहन घोटाला ही इनदिनों मध्य प्रदेश में सुशासन की पोल खोले हुए हैं। खुद केंद्र सरकार की एजेंसी ईडी और आयकर के अलावा प्रदेश के लोकायुक्त ने इस घोटाले को उजागर किया है। इस घोटाले में कद्दावर मंत्रियों और बड़े अफसरों के नाम आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के मध्य प्रदेश दौरे से पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा था कि यदि प्रदेश में उद्योगपतियों को आकर्षित करना चाहते हैं तो भ्रष्टाचार समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा था कि वे भ्रष्टाचार के बारे में बताने के लिए अन्य विधायकों के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुरोध करेंगे। यह मुलाकात तो नहीं हुई लेकिन बैठक में भ्रष्टाचार पर कोई संकेत भी नहीं हुआ। बीजेपी विधायकों, सांसदों और नेताओं को सोशल मीडिया फालोअर्स के मामले में आईना दिखाया गया लेकिन प्रदेश में लग रहे आर्थिक अनियमितताओं के मामले में शीर्ष नेताओं ने शब्दों में कुछ कहा नहीं है।
कोई समझ नहीं पा रहा क्या कह गए अमित शाह
जीआईएस 2025 के समापन पर आए गृहमंत्री अमित शाह के शब्दों ही नहीं उनकी बॉडी लेंग्वेज पर भी सभी की निगाहें लगी रहीं। समिट के मंच से गृहमंत्री अमित शाह ने जो कहा वह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का हौंसला बढ़ाने वाला है। दिल्ली वापसी के ठीक पहले अमित शाह के एक कॉल और उसके बाद एकांत में हुई चर्चाओं के भी अपने-अपने राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सार्वजनकि रूप से स्पष्ट कोई संकेत नहीं दिया लेकिन भोपाल के स्टेट हैंगर पर उन्होंने प्रदेश वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ चर्चा की। बताया गया कि इस बैठक में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय नहीं थे। वे समिट आयोजन स्थल से शाह के जाने के बाद इंदौर के लिए रवाना हो गए थे। लेकिन स्टेट हैंगर पर उन्हें न देख अमित शाह ने कैलाश विजयवर्गीय को बुलावाया। इंदौर जा रहे कैलाश विजयवर्गीय ने आधे रास्ते से लौटकर अमित शाह से मुलाकात की। दोनों ने एकांत में चर्चा की।
इस चर्चा के राजनीतिक संदेश पर कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि यह प्रदेश की राजनीति की दशा पर हुआ संवाद है। बीते दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली से नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की नाराजगी चर्चा में रही है। कैलाश विजयवर्गीय को अमित शाह का करीबी माना जाता है। जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने समिट में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पीछे खुद खड़े होने का संकेत दिया है, माना जा रहा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने कैलाश विजयवर्गीय के साथ चर्चा में भी इन्हीं बिंदुओं पर बात की है। कयास यह भी है कि बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष तथा वीडी शर्मा को बनाए रखने पर भी मंथन हुआ है। चर्चाएं चाहें जो हों, प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह के संदेशों का असर कुछ दिनों में प्रदेश बीजेपी के निर्णयों में दिखाई दे जाएगा।
सरकार की जल्दबादी, आसमान से गिरे खजूर में अटके
भोपाल यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर भेजने के मामले में मोहन सरकार राजनीतिक ही नहीं विधिक रूप से भी घिर गई है। पहले तो बीजेपी के विधायकों और नेताओं ने अपनी ही सरकार को घुटने टेकने कर मजबूर कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रक्रिया पर सवाल उठा दिए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि सरकार बताएं कचरे से पीथमपुर में कोई नुकसान नहीं होगा। सरकार ने 2 दिन में जवाब देने के लिए कहा है। कोर्ट साफ कर चुकी है कि यदि सरकार तथ्यों के साथ यह बता पाने में समर्थ हुई कि जहरीले कचरे को लेकर जताई जा रही आशंकाएं गलत हैं तो कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा। कोर्ट का सवाल है कि क्या अधिकारियों ने पीथमपुर के नागरिकों के लिए खतरे की आशंकाओं को दूर करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं?
सरकार बीते दो दशकों से पीथमपुर के इंसीनरेटर में यूका का कचरा जलाने के मंसूबे बांध रही है लेकिन उसकी मंशा और प्रक्रियाओं में ही झोल है। एक तरफ तो वह समूचे कचरे को जहरविहीन बताती है दूसरी वैज्ञानिक डाटा प्रस्तुत करने में हिचकिचाती है। हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना देखते हुए सरकार ने ताबड़तोड़ यूनियन कार्बाइड का कचरा कंटेनर में पीथमपुर रवाना कर दिया। इस कदम के पहले न तो अपनी पार्टी के विधायक और सांसद को विश्वास में लिया गया न जनता को। सरकार की जल्दबाजी के कारण पीथमपुर की करीब सवा लाख आबादी जहरीला कचरा अपने यहां जलाने से होने वाले नुकसान से डर गई है। वे सड़क पर उतर आए।
अब 27 फरवरी को सरकार सुप्रीम कोर्ट में बताएगी कि कचरा पीथमपुर में जलाने के खिलाफ दायर याचिकाओं में बताई गई आशंकाएं निर्मूल हैं। यह बताने के बाद भी जनता के मन से डर हटाना टेढ़ा काम होगा।
अवैध शराब बिक्री पर सरकार असहाय, विधायक चला रहे मुहिम
मध्यप्रदेश की नई शराब नीति बन गई है। नई नीति 1 अप्रैल से लागू होगी। इस नीति के तहत 19 धार्मिक शहरों और गांवों में शराब की दुकानें बंद होंगी। इन दुकानों को बंद करने से होने वाली हानि की भरपाई शराब महंगी कर की जाएगी। शराब महंगी होने पर अवैध शराब की बिक्री बढ़ना तय है ऐसे में सरकार ने पीओएस मशीन के बिना शराब बेचने पर जुर्माना लगाने का निर्णय किया है।
यह नीति कितनी कारगर होगी यह अपनी जगह लेकिन अवैध शराब बिक्री को लेकर सरकार असहाय नजर आ रही है। आलम यह है कि स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को जनता से मदद मांगनी पड़ी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल आबकारी ठेकेदारों को चेतावनी देते नजर आ रहे हैं। मंत्री ने कहा है कि, उनके विधानसभा क्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार नहीं होना चाहिए। ठेकेदारों ने अवैध गतिविधि जारी रखी तो दुकान बंद करवा दी जाएगी। मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में अवैध शराब कारोबार की कोई भी जानकारी हो तो कृपया मेरे व्हाटस अप पर साझा करें।
दूसरी तरफ सैलाना विधायक सिस्टम के खिलाफ मुहिम चलाकर अवैध शराब का परिवहन पकड़ रहे हैं। यह धरपकड़ ऐसी है कि अवैध शराब पकड़ने की कोशिश के दौरान वाहन चालक ने विधायक कमलेश्वर डोडियार की पिटाई कर दी। हालांकि, बाद में विधायक के समर्थकों ने शराब से भरा वाहन पकड़कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। विधायक का आरोप है कि डायरी सिस्टम के माध्यम से आदिवासी अंचल में शराब ठेकों से बड़ी मात्रा में अवैध शराब का परिवहन किया जा रहा है। इसके विरोध में अब सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार खुद ही छापेमारी कर रहे हैं। एक हफ्ते में चे चार बार ऐसी कार्रवाई कर चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शराब दुकान पर पत्थर फेंक कर अपना आक्रोश जताया था। अब मंत्री-विधायक की नाराजगी सतह पर है।