France: हिजाब को लेकर फ्रांस में फिर छिड़ा विवाद, बताया जा रहा आतंकवाद की निशानी

फ्रांस के स्कूलों और सरकारी अधिकारियों के लिए बैन है हिजाब पहनना, यूरोप की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी फ्रांस में

Updated: Sep 25, 2020, 03:28 PM IST

Photo Courtesy: The independent
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फ्रांस में एक बार फिर से हिजाब पहनने को लेकर विवाद छिड़ गया है। पिछले सप्ताह फ्रांस की सत्ताधारी पार्टी (LREM)की एक सदस्य एने क्रिस्टीन लैंग केवल इसलिए संसद से अचानक बाहर चली गईं क्योंकि संसद में हिजाब पहने एक छात्रा मौजूद थी। क्रिस्टीन ने कहा कि एक फेमिनिस्ट और सेक्युलर नेता होने के नाते उन्हें किसी का धार्मिक प्रतीक पहनकर संसद आना मंजूर नहीं, यह देश के सेक्युलरिज्म के खिलाफ है।

दरअसल, फ्रांस की संसद में कोरोना को रोकने के लिए बहस चल रही थी। उसी में एक छात्रा मरयम पोगेटॉक्स हिजाब पहनकर चली आई। 2018 में भी मरयम को हिजाब पहनने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

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फ्रांस के स्कूलों में और सरकारी कर्मचारियों के लिए हिजाब पहनना बैन है। देश में यह मुद्दा करीब एक दशक से छाया हुआ है। फ्रांस में एक शब्द प्रचलित है- लसाइट। इसका मतलब है सेक्युलरिज्म का कड़ाई से पालन। माना जाता है कि सभी धर्म समान हैं और सार्वजनिक जगहों पर उनसे जुड़े प्रतीकों का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए।

क्रिस्टीन ने भी इसी शब्द का जिक्र किया। लेकिन कई लोगों का मानना है कि क्रिस्टीन ने जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया दी। इसमें उनकी पार्टी के सदस्य भी शामिल हैं। उनकी ही पार्टी की एक सांसद फियानो लजार ने कहा कि क्रिस्टीन ने सेक्युलरिज्म का बचाव तो नहीं किया लेकिन एक महिला का अपमान जरूर किया।

लजार ने कहा कि कई महिलाएं केवल इसलिए हिजाब पहनती हैं क्योंकि बचपन से उन्हें ऐसा ही करना सिखाया गया। ऐसे में उनको डांटकर और डराकर सेक्युरिज्म और फेमिनिज्म का झंडा बुलंद करने की बात बेमानी है।

लेकिन दूसरी तरफ कई लोग ऐसे हैं जो क्रिस्टीन का समर्थन कर रहे हैं। कई लोग तो और आगे जाकर हिजाब पहनने को आतंकवाद की निशानी भी बताने लगे हैं। ऐसे ही एक दूसरी घटना में हिजाब पहने हुए एक मुस्लिम महिला छात्रों को कुकिंग टिप्स दे रही थी। फ्रांस की एक पत्रकार ज्यूडिथ वेनट्रॉब ने इस घटना का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि हिजाब पहने महिला बच्चों को आतंक की ट्रेनिंग दे रही है।

ज्यूडिथ बेनट्रॉब की तो पहले फ्रांस के नेताओं ने आलोचना की लेकिन फिर उन्हें कट्टरपंथियों से जान से मारने की धमकी मिलने लगी। तब सभी नेता उनके बचाव में आ गए। यहां तक फ्रांस के गृह मंत्री ने भी उनके समर्थन में ट्वीट किया। लेकिन किसी को उस महिला का ख्याल नहीं आया जो केवल हिजाब पहनकर बच्चों को कुकिंग टिप्स दे रही थी। ज्युडिथ के ट्वीट के बाद उस महिला को इतने हेट मेसेज मिले की उसे सोशल मीडिया छोड़कर जाना पड़ा।

फ्रांस की एक प्रमुख फेमिनिस्ट ने कहा कि पत्रकार को जान से मारने की धमकी मिलना तो गलत है लेकिन उस महिला की क्या गलती जो हंसी खुशी बस अपना काम कर रही थी। उन्होंने सवाल किया कि उस महिला को मिल रहीं धमकियों के लिए कौन जिम्मेदार है?

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पिछले साल भी एक ऐसा ही विवाद हुआ था, जिसमें एक धुर-दक्षिणपंथी नेता ने एक एक मुस्लिम महिला को हिजाब उतारने के लिए कहा था। उसने कहा था कि हिजाब पहनना आतंकवाद की निशानी है। तब फ्रांस के राष्ट्रपति ने उस नेता की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि मुस्लिम महिलाओं को इस नजरिए से देखना बंद किया जाना चाहिए।

फ्रांस में करीब 50 लाख मुस्लिम रहते हैं, देश की पूरी जनसंख्या का लगभग 10 प्रतिशत। यह किसी भी यूरोपीय देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी संख्या है। ऐसे में उन्हें हर दिन केवल पहनावे के लिए इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है। समय—समय पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किए हैं, लेकिन यह विवाद थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है।