प्रेस की आज़ादी नियंत्रित करने वाले शासकों में मोदी का भी नाम हुआ शामिल, सिकुलर और प्रेस्टिट्यूट्स हैं मोदी का पसंदीदा शिकार

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने प्रेस की आज़ादी को नियंत्रित करने वाले शासकों की एक सूची जारी की है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी का भी नाम शामिल किया गया है, संस्था ने बताया है कि मोदी की आलोचना करने वाली महिला पत्रकारों को अमूमन इंटरनेट पर रेप और जान से मारने की धमकियां मिलती रहती हैं

Updated: Jul 06, 2021, 01:40 PM IST

Photo Courtesy : The Print
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नई दिल्ली। प्रेस की आज़ादी नियंत्रित करने वाले शासकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शुमार किया गया है। अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने दुनिया भर के 37 ऐसे शासकों की सूची जारी की है,जो अपने तरीकों से प्रेस की आज़ादी को नियंत्रित करने का काम करते हैं। संस्था ने ऐसे शासकों को प्रीडेटर की संज्ञा दी है। संस्था ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रीडेटर रहे हैं।  

दुनिया भर के 37 शासकों में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा पाकिस्तान के पीएम इमरान खान, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना शामिल हैं। इनके साथ साथ रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, ब्राज़ील के राष्ट्रपति बोलसोनारो, सऊदी अरब के प्रिंस सलमान और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन का नाम भी शामिल है।  

द वायर ने रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि मोदी के पसंदीदा लक्ष्य सिकुलर और प्रेस्टीटूट्स हैं। यह शब्द क्रमशः भारत में धर्मनिरपेक्षता के विचार पर चलने वाले लोगों और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थान या पत्रकारों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी के समर्थक और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग इंटरनेट पर इस तरह की भाषा का उपयोग करते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मोदी की आलोचना करने वाली बरखा दत्त जैसी महिला पत्रकारों को बलात्कार और हत्या की धमकियां मिलती हैं। रिपोर्ट में मरहूम पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का भी कारण हिंदुत्ववादी विचारधारा को बताया गया है। 

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नामक  संस्था ने बताया है कि भले ही मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मीडिया पर कंट्रोल करना शुरू किया हो, लेकिन मीडिया की आज़ादी को नियंत्रित करने की शुरुआत मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए ही कर दी थी। संस्था ने बताया है कि मोदी ने इसे एक प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किया है।

संस्था के मुताबिक मोदी राष्ट्रीय लोकलुभावन वाली विचारधारा का  प्रचार प्रसार में विश्वास रखते हैं। इसके लिए वे मीडिया संस्थानों और उसमें कार्यरत मीडिया कर्मियों का उपयोग करते हैं। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर के मुताबिक मोदी ने मीडिया को अपने नियंत्रण में करने के लिए अरबपति लोगों से मित्रता बढ़ाई, क्योंकि ज़्यादातर मीडिया संस्थानों का मालिकाना हक इन्हीं अरबपतियों के पास था।  

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक की आज़ादी के मामले में 180 देशों में से भारत 142 वें पायदान पर है।