यूरोप में झुलसा देने वाली गर्मी का कहर, तीन साल में 1.8 लाख लोगों की गर्मी से मौत

यूरोप में गर्मी का कहर लगातार बढ़ रहा है। ISGlobal की एक रिसर्च के अनुसार, 2022 से 2024 की तीन गर्मियों में 1.81 लाख से अधिक लोगों की मौत गर्मी से जुड़ी जटिलताओं से हुई, जिसमें 2024 में अकेले 62,700 मौतें दर्ज की गईं। मौतों में सबसे ज्यादा असर बुज़ुर्गों और महिलाओं पर पड़ा।

Publish: Sep 23, 2025, 05:44 PM IST

धरती पर जैसे-जैसे लोग और विज्ञान विकसित होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे दुनिया और प्रकृति भी बदलती जा रही है। कभी जहां यूरोप की पहचान उसकी ठंडी हवाओं और संतुलित मौसम से होती थी, वहीं महाद्वीप अब आग के दरिया से गुज़र रहा है। बीते कुछ सालों में सूरज वहां ऐसा कहर बरपाया है कि हजारों जिंदगियां बुझ गईं। साल 2024 का ही डेटा लें तो सिर्फ इसी एक साल में 62,700 से ज्यादा लोगों ने गर्मी के कारण दम तोड़ दिया। सबसे ज्यादा शिकार बने बुज़ुर्ग और महिलाएं।

मौत के आंकड़े और चौंकाने वाला अध्ययन
यह डरावना सच नेचर मेडिसिन में छपी एक रिसर्च से सामने आया है। बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (ISGlobal) के वैज्ञानिकों ने 32 देशों से रोजाना के मृत्यु रिकॉर्ड जुटाए और उनका विश्लेषण किया। नतीजा साफ था, 2022 से 2024 की सिर्फ तीन गर्मियों में ही 1.81 लाख से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं।

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दक्षिणी यूरोप पर सबसे गहरी चोट
यूरोपीय संघ की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के मुताबिक, 2024 की गर्मी अब तक की सबसे खतरनाक गर्मी रही। आंकड़े बताते हैं कि मौतों का सबसे बड़ा हिस्सा दक्षिणी यूरोप से आया। इटली, जहां बुज़ुर्गों की आबादी सबसे बड़ी है और तापमान हर साल पिछले रिकॉर्ड को तोड़ रहा है, वहां हालात सबसे बुरे रहे।

2025 की गर्मी ने फिर चेताया
हालांकि, यह अध्ययन 2025 की गर्मियों तक नहीं पहुंचा, लेकिन हालात फिर भी चिंताजनक हैं। इटालियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन (SIMEU) ने बताया कि इस साल भी जब तापमान अपने चरम पर था तबन कई इलाकों के अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की संख्या 20% तक बढ़ गई थी। संस्था के प्रमुख एलेसेंड्रो रिकार्डी ने कहा, “कमजोर और बीमार लोग सबसे पहले प्रभावित हुए और अस्पतालों पर अचानक दबाव बढ़ गया, बिल्कुल वैसे ही जैसे फ्लू की लहर के समय होता है।”

सवाल अभी बाकी है
यूरोप के लिए गर्मी अब सिर्फ मौसम का नाम नहीं रही। यह धीरे-धीरे जानलेवा आपदा में बदल चुकी है। यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या आने वाले समय में यूरोप इस गरमी की इस मार से बचने की तैयारी कर पाएगा?