Supreme Court : Lockdown में बाल तस्‍करी में वृद्धि पर सरकार से मांगा जवाब

Child Trafficking : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो सप्‍ताह में मांगा जवाब, शोध करें कि क्‍यों हो रही है बाल तस्‍करी

Publish: Jun 09, 2020, 07:22 AM IST

Photo courtesy : humanian.org
Photo courtesy : humanian.org

कोरोना के संकट काल में भी बच्चों की तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है। लॉकडाउन के दौरान बच्चों की तस्करी में वृद्धि देखी गई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की बढ़ती तस्करी के ऊपर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो हफ्तों के भीतर कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल कोर्ट में बचपन बचाओ आंदोलन की तरफ से बच्चों की बढ़ती तस्करी को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई हो रही थी। दायर की गई याचिका की सुनवाई खुद मुख्य न्यायधीश जस्टिस एसए बोबडे कर रहे थे। मुख्य न्यायधीश ने इस मामले पर अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।

बाल मज़दूरी के ज़िम्मेदार हम ही हैं

कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि बच्चों की तस्करी व्‍यवस्था की नाकामी है। हम ही बच्चों की तस्करी के लिए एक बाज़ार खड़ा करते हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार और याचिकाकर्ता दोनों को ही जल्द जल्द से इसका हल निकालने के लिए एक व्यापक नीति बनाने की बात कही।

ठेकेदारों का रजिस्ट्रेशन हो

सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की हो रही तस्करी पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा है कि ठेकेदारों का रजिस्ट्रेशन होना ज़रूरी है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश ने कहा कि ठेकेदार बच्चों को सस्ते दाम पर काम पर ज़बरदस्ती लगा देते हैं। ऐसे में इन ठेकदारों पर नजर रखने के लिए इनका रजिस्ट्रेशन करवाना ज़रूरी है। ऐसे में सरकार को इस मसले पर नज़र रखने में आसानी होगी कि आखिर ठेकेदार किसको काम पर लगा रहे हैं।

ज़रूरत पड़ी तो कमेटी गठित होगी

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश बोबडे ने कहा कि सरकार इस मसले के उपर रिसर्च करे कि आखिर बच्चों कि तस्करी क्यों हो रही है। इसके साथ रिसर्च कर सरकार यह भी बताए की बच्चों की तस्करी होने से कैसे रोकी जा सकती है। कोर्ट ने अपनी चिंता जाहिर करते समय और सरकार को दिशनिर्देश देने के दौरान यह भी कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी कोर्ट इस मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी का भी गठन करेगा। कोर्ट ने सरकार से दो हफ्तों के भीतर इस पर एक गहन रिसर्च और रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।ज्ञात हो कि कोर्ट में याचिका 'बचपन बचाओ आंदोलन' की ओर से दायर की गई थी। बचपन बचाओ आंदोलन नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की एक गैर सरकारी संस्था है।