जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमारे थे, हैं और रहेंगे, आप POK तुरंत खाली करें, UN में पाकिस्तान को भारत का जवाब

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की पहली महिला सचिव स्नेहा दूबे ने कहा, आतंकियों को पनाह देना, मदद करना और समर्थन करना पाकिस्तान के इतिहास और नीतियों में शुमार है

Updated: Sep 25, 2021, 07:49 AM IST

संयुक्त राष्ट्र। अमेरिका दौरे के तीसरे और अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे। इसके पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार तड़के UNGA को संबोधित किया। इमरान खान इस दौरान कश्मीर राग अलापते रहे। हालांकि, भारत की पहली महिला सचिव स्नेहा दूबे ने इमरान को मुंहतोड़ जवाब दिया। स्नेह दूबे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमारे थे, हमारे हैं और हमारे रहेंगे। इनमें पाकिस्तानी कब्जे वाले हिस्से भी शामिल हैं। पाकिस्तान को तुरंत इन्हें खाली करना चाहिए।

भारतीय डिप्लोमेट स्नेहा दूबे ने इमरान का भाषण खत्म होने के बाद जवाब देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तानी नेता ने झूठ और दुष्प्रचार के लिए यूएन के अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग किया है। ताकि दुनिया के देशों का ध्यान पाकिस्तान की खराब हालत से हटाया जा सके। जहां आतंकी बेखौफ होकर खुलेआम घूमते हैं। लेकिन आम आदमी खासकर अल्पसंख्यकों की हालत दयनीय है। आज भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को आतंकवाद की घटनाओं सही साबित करने की कोशिशें की। आधुनिक दुनिया में आतंकवाद का ऐसा बचाव स्वीकार्य नहीं है।'

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भारतीय डिप्लोमेट ने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश जानते हैं कि पाकिस्तान का इतिहास आतंकियों को समर्थन, पनाह और संरक्षण-समर्थन देने का रहा है। पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो पूरे विश्व में आतंकवादियों को ट्रेनिंग, फंडिंग औऱ हथियार देने के लिए जाना जाता है। आतंकवाद का समर्थन करना उनके देश की प्रायोजित नीति रही है। यूएन सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा प्रतिबंधित तमाम आतंकी संगठन पाकिस्तान में पनाह पा रहे हैं। 

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दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का एक रिकॉर्डेड भाषण चलाया गया था। इसमें वे करीब 13 बार कश्मीर का जिक्र करते हैं और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के जनाजे को लेकर झूठ फैलाने की कोशिश करते हैं। इमरान ने कहा कि पाकिस्तान सीमा पर शांति चाहता है। हालांकि उन्होंने कहा कि साउथ एशिया में स्थायी शांति तभी संभव है, जब जम्मू-कश्मीर का विवाद खत्म होगा। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी भारत पर है कि वो पाकिस्तान के साथ सार्थक बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार करे।