जनता राहत मांग रही, शिव ‘राज’ में शराब पर छूट मिली

corona pandemic में प्रदेश की जनता खुली आंखों से देख रही है शिवराज सरकार की प्राथमिकता : कमलनाथ

Publish: May 25, 2020, 07:32 AM IST

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बिजली के बढ़े दाम, किसानों के समस्याओं और मजदूरों के समस्याओं समेत अन्य स्थानीय मुद्दों पर शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने लगातार एक के बाद एक 8 ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने प्रदेश सरकार की दर्जनों विफलताओं को गिनाए।

कमल नाथ ने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश का आमजन इस महामारी में पानी व बिजली बिल में छूट माँग रहा है, किसान रियायत माँग रहा है, उसकी उपज का वाजिब दाम माँग रहा है, ग़रीब व मज़दूर राहत पैकेज माँग रहा है, प्रदेश के उद्योग वास्तविक खपत पर बिजली बिल की माँग कर लॉकडाउन की अवधि में फ़िक्स चार्ज से लेकर विभिन्न अन्य चार्जों में छूट की माँग कर रहे है, कर्मचारी महंगाई भत्ता माँग रहा है, एरियर माँग रहा है, पालक लॉकडाउन की अवधि में स्कूल फ़ीस में छूट की माँग कर रहे है, लेकिन तत्परता से फैसला लॉकडाउन में बंद रही शराब की दुकानों को वार्षिक शुल्क में छूट का लिया गया। शिवराज सरकार की प्राथमिकता प्रदेश की जनता खुली आँखो से देख रही है।

उन्होंने आगे कहा की प्रदेश भर से शिकायत मिल रही है कि समर्थन मूल्य पर चना बेचने जा रहे किसानो को जमकर परेशान किया जा रहा है। कहीं चने को अमानक बताकर, कहीं तिवड़ा मिला हुआ बताकर ख़रीदी से इंकार किया जा रहा है। किसान मजबूर होकर अपना चना सस्ते में व्यापारियो को बेच रहा है। हमने सरकार से पूर्व में भी माँग की थी कि किसानो की इस समस्या का निदान किया जावे और तिवड़ा मिले चने को भी ख़रीदा जावे लेकिन सरकार इस मामले में उदासीन बनी हुई है और जानबूझकर किसानो को परेशान कर उनकी उपज को बाहर व्यापारियों को सस्ता बेचने पर उन्हें मजबूर किया जा रहा है।

कमलनाथ में अगले ट्वीट में गेहूं के किसानों का मुद्दा उठाते हुए लिखा है कि प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं ख़रीदी के विभिन्न केंद्रो पर अव्यवस्थाओं से, बारदान की कमी होने से, परिवहन ना होने से, तुलाई की व्यवस्था नहीं होने से किसान भाई परेशान हो रहे है। उन्हें चार-चार दिन तक लाइनों में लगना पड़ रहा है। कोई ज़िम्मेदार उनकी सुनने वाला नहीं है।

 

उन्होंने आगे कहा, 'इसके कारण किसान अपने गेहूँ को व्यापारियों को सस्ते दाम पर बेचने को मजबूर हो रहा है। किसान घाटे में और व्यापारी फ़ायदे में, भाजपा सरकार आते ही यह खेल फिर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री और मंत्री सिर्फ़ बैठकों में और उपचुनाव जीतने की रणनीति में लगे हुए है।किसी को उपार्जन केन्द्र जाकर किसानो की परेशानी देखने व सुनने का समय नहीं।'