बड़वानी: जल जीवन बचाओ सम्मलेन में पेश किया गया नदी विधेयक, 10 राज्यों के पर्यावरणविद हुए शामिल

बड़वानी में नदी बचाओ, जलजीवन बचाओ सम्मेलन, 10 राज्यों के पर्यावरणविद हुए शामिल, देश की समस्त नदियों के संरक्षण, सुरक्षा और पुनर्जीवन के लिए पेश किया गया नदी विधेयक

Updated: Sep 16, 2023, 02:19 PM IST

बड़वानी। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में नदी बचाओ, जल जीवन बचाओ सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन में 10 राज्यों के पर्यावरणविद और सिविल सोसायटी के लोग शामिल हो रहे हैं। इस सम्मेलन में नदियों के संरक्षण हेतु नदी विधेयक पेश किया गया। जिसमें देश की समस्त नदियों के संरक्षण, सुरक्षा और पुनर्जीवन का अधिनियम तैयार किया गया है।

बड़वानी शहर में पुराने कलेक्ट्रेट के सामने आयोजित इस सम्मेलन बड़ी संख्या में नर्मदा घाटीवासी महिला-पुरुष शामिल हुए हैं। भारी बारिश के बावजूद भी ग्रामीण नदियों को बचाने हेतु एकजुट हुए हैं। कार्यक्रम में नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर, पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता अमृता राय सहित विभिन्न राज्यों से आए पर्यावरणविदों ने देश-प्रदेश की प्रमुख नदियों, उपनदियों के क्षरण, संरक्षण, बांधों, प्रभावितों विषयों पर अपने विचार रखें। ​​​​

NBA की मेधा पाटेकर ने कहा कि आज नर्मदा बचाने की बड़ी चुनौती हमारे सामने है। नर्मदा पर बन रहे बांधों से उसकी शुद्धता, निर्मलता और अविरल बहाव प्रभावित हो रहा है। बरगी डैम से सरदार सरोवर बांध तक जिन विस्थापितों का पुनर्वास बाकी हैं। हमने अहिंसक आंदोलन से देशभर के समविचारी साथियों के समर्थन से बहुत कुछ पाया हैं। आज उसकी अधिक जरूरत हैं।

कार्यक्रम के दौरान नदी विधेयक पेश किया गया जिसमें देश की समस्त नदियों के संरक्षण, सुरक्षा और पुनर्जीवन का अधिनियम तैयार किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत की नदियाँ जिनकी संख्या करीबन 200 है, विविध प्रकार के अतिक्रमण, पर्यावरणीय और सामाजिक आघात, आदि से बुरी तरह प्रभावित है। नदी की पहचान उसके बहते हुए पानी से ही होती है। नदी अविरल और निर्मल न रहने से उसकी प्रवृत्ति, उससे जुड़ी संस्कृति और घाटीवासी जनता का स्वास्थ्य आदि पर अपरिवर्तनीय असर होगा, जो नामंजूर है।