Bharat Biotech: हमारे टीके के कारण नहीं हुई भोपाल के वैक्सीन वॉलंटियर दीपक मरावी की मौत

भारत बायोटेक की वैक्सीन के ट्रायल के दौरान टीका लगाए जाने के 9 दिन बाद ही दीपक मरावी ने दम तोड़ दिया, लेकिन कंपनी दावा कर रही है कि इस मौत का उसके टीके से कोई लेना-देना नहीं है

Updated: Jan 10, 2021, 01:30 AM IST

Photo Courtesy : The Wire
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भोपाल। कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने भोपाल के मज़दूर दीपक मरावी की ट्रायल के दौरान टीका लगने के बाद हुई मौत से पल्ला झाड़ लिया है। कंपनी ने दावा किया है कि दीपक की मौत का उसकी वैक्सीन के ट्रायल से कोई लेना-देना नहीं है। भारत बायोटेक वही कंपनी है, जिसकी बनाई कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिए जाने का कांग्रेस और कुछ वैज्ञानिकों ने भी विरोध किया था। इसी वैक्सीन के ट्रायल के दौरान दीपक को टीके की पहली डोज़ दी गई थी, जिसके नौ दिन बाद उसने दम तोड़ दिया। दीपक के परिजनों का आरोप है कि टीका लगाए जाने के बाद से ही उसकी सेहत लगातार बिगड़ती चली गई और आखिरकार उसकी मौत हो गई। 

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दीपक की मौत 21 दिसंबर को ही हो गई थी, लेकिन यह मसला मीडिया की नज़र में अब जाकर आया। इस पर विवाद बढ़ने के बाद कंपनी ने इतने दिनों बाद अपनी तरफ से सफाई देने वाला बयान जारी किया है। इस बयान में भारत बायोटेक ने दावा किया है कि दीपक की मौत का उसकी वैक्सीन के परीक्षण से कोई संबंध नहीं है। कंपनी के मुताबिक दीपक की मौत ज़हर और दिल का दौरा पड़ने की वजह से होने की आशंका है। भारत बायोटेक की तरफ से जारी बयान के मुताबिक दीपक की मौत के कारणों के बारे में यह खुलासा गांधी मेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में हुआ है।

भारत बायोटेक ने बयान में माना है कि दीपक मरावी की मौत उसके ट्रायल के दौरान वैक्सीन की पहली डोज़ दिए जाने के नौ दिन बाद हुई। लेकिन कंपनी के मुताबिक ब्लाइंड ट्रायल होने की वजह से वो ये नहीं बता सकती कि दीपक को इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन दी गई थी या प्लेसेबो यानी बिना वैक्सीन का सादा इंजेक्शन। बयान के मुताबिक मृतक के बेटे ने पीपल्स मेडिकल कॉलेज को 21 दिसंबर को बताया था कि दीपक मरावी की मृत्यु हो गई है।

कंपनी ने यह भी कहा है कि टीकाकरण से पहले दीपक मरावी की सेहत टीकाकरण के लिए ज़रूरी सभी मानकों के हिसाब से ठीक थी। कंपनी के मुताबिक टीकाकरण के बाद भी दीपक के स्वास्थ्य के बारे में लगातार फीडबैक लिया गया, जिसमें उन्हें किसी तरह की कोई तकलीफ होने की बात सामने नहीं आई। कंपनी के मुताबिक दीपक की मौत के बारे में की गई हर तरह जांच से यही साफ होता है कि इसके लिए उनकी वैक्सीन (Covaxin) जिम्मेदार नहीं है। कंपनी ने यह भी कहा है कि इस मामले की जांच में वे भोपाल पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेंगे।

हालांकि कंपनी के दावों से उलट दीपक मरावी की पत्नी वैजयंती का कहना है कि वैक्सीन लगाए जाने के कुछ दिनों बाद से ही उनकी सेहत बिगड़ने लगी थी। यहां तक कि उन्होंने खाना-पीना बंद कर दिया और उनसे चला भी नहीं जा रहा था। जबकि कंपनी कह रही है कि वैक्सीन लगाने के बाद उन्होंने दीपक की सेहत की लगातार निगरानी की, जिसमें वे हमेशा स्वस्थ पाए गए थे। 

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इससे पहले मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स में यह आरोप भी लगाया जा चुका है कि भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ित काफी लोगों को कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में शामिल किया गया, लेकिन उनमें से ज़्यादातर लोगों यह जानकारी नहीं दी गई थी कि उन्हें किसी परीक्षण के तहत इंजेक्शन लगाया जा रहा है। टीका लगाने वाले एक अन्य व्यक्ति जितेंद्र नरवरिया ने हाल ही में एक हिंदी न्यूज़ चैनल से कहा था कि टीका लगाने के बाद से उनकी तबीयत लगातार खराब चल रही है। अब दीपक की मौत ने वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर से सवाल को खड़े कर ही दिए हैं।