कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में शामिल मज़दूर की मौत पर बरसे दिग्विजय सिंह, पूछा, आख़िर ग़रीबों पर ही क्यों हो रहे परीक्षण

वैक्सीन लगाने के 9 दिन बाद दम तोड़ने वाले दीपक मरावी के घर पहुंचे दिग्विजय सिंह, परीक्षण के दौरान सेहत की निगरानी न किए जाने पर जताई हैरानी, पीड़ित परिवार को हर संभव मदद करने का भरोसा भी दिलाया

Updated: Jan 09, 2021, 11:30 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के दौरान भोपाल के रहने वाले दीपक मरावी की मौत के बाद पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। दिहाड़ी मज़दूर का काम करने वाले दीपक की दर्दनाक मौत की खबर सामने आने के बाद उनके परिजनों से मिलने पहुंचे कांग्रेस नेता ने पूछा कि आखिर कोरोना के टीके का परीक्षण गरीबों पर ही क्यों किया जा रहा है? और परीक्षण के दौरान जिन्हें टीका लगाया जा रहा है, उनकी सेहत की कोई मॉनिटरिंग क्यों नहीं की जा रही? अगर परीक्षण के बाद कोई निगरानी ही नहीं रखनी थी तो फिर परीक्षण किया ही क्यों गया? दिग्विजय सिंह ने कहा कि दुख और तकलीफ की इस घड़ी में वे पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी हरसंभव मदद करेंगे।

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पीड़ित परिवार से मुलाक़ात के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इस बारे में पत्रकारों से बात भी की। इस दौरान उन्होंने शिवराज सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के उस बयान की भी कड़ी आलोचना की, जिसमें उन्होंने भारत बायोटेक की वैक्सीन पर सवाल उठाने वाले लोगों को टुकड़े-टुकड़े गैंग सदस्य बताया था। दिग्विजय सिंह ने कहा कि भारत बॉयोटेक के टीके कोवैक्सीन के परीक्षण के दौरान ही दीपक मरावी की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने इस पूरे मामले को उजागर करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता को टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बता डाला, जबकि आज उसी वैक्सीन के परीक्षण ने एक व्यक्ति की जान ले ली है।

टीका लगने से ही हुई है मेरे पति की मौत : मृतक की पत्नी

भोपाल के गैस पीड़ित क्षेत्र में रहने वाले दीपक मरावी की वैक्सीन लगने के कुछ दिन बाद हुई मौत की खबर सामने आने के बाद दिग्विजय सिंह पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे तो मृतक की पत्नी उनके सामने बिलख पड़ीं। दीपक की पत्नी ने कहा कि उन्हें बिना बताए ही उनके पति को कोरोना का टीका लगा दिया गया, जिसने आखिरकार उनकी जान ले ली। दीपक मरावी की पत्नी वैजयंती ने राज्यसभा सांसद को बताया कि उनके पति को कोई भी बीमारी नही थी, टीका लगने से ही उनकी मौत हुई है। दीपक की पत्नी का आरोप है कि उनके पति के मृत्यु के बाद प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली।

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मृतक के बच्चे का स्वयं इलाज कराएंगे दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने मृतक के परिजनों से कहा कि वे इस मुश्किल समय में उनके परिवार की पूरी मदद करेंगे। दिग्विजय सिंह को जब पता चला कि मृतक दीपक के छोटे बेटे पवन के दिल में छेद है, तो उन्होंने निजी तौर पर उसका इलाज कराने की ज़िम्मेदारी भी ली। 


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मुख्यमंत्री समेत सारे मंत्री सबसे पहले वैक्सीन लगवाएं : सलूजा

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने भी कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले दीपक मरावी की मौत के मामले को गंभीरता से लेकर उसकी जांच कराने की मांग की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जनता में वैक्सीन के प्रति भरोसा पैदा करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर सारे मंत्रियों को सबसे पहले वैक्सीन लगाने की घोषणा करनी चाहिए।  


दरअसल 21 दिसंबर को भोपाल के टीला जमालपुरा इलाके में रहने वाले दीपक मरावी की मौत हो गई थी। उससे नौ दिन पहले यानी 12 दिसंबर को उन्हें कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के तहत टीका दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दीपक मरावी को भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन लगाई गई थी। दीपक के परिजनों का कहना है कि उनकी सेहत टीका लगाने के बाद से ही बिगड़ गई थी। दीपक मरावी ने खाना पीना सब छोड़ दिया था। उनसे चला तक नहीं जा रहा था। काफी दिनों तक तबीयत नासाज़ रहने के बाद 21 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि दीपक मरावी के शरीर में ज़हर होने की पुष्टि भी हुई है। मरावी की मौत होने के बाद वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, शशि थरूर, जयराम रमेश और आनंद शर्मा ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी पर पहले भी सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेताओं ने उस वक्त ही कहा था कि भारत बायोटेक की वैक्सीन के तीसरे फेज़ का ट्रायल पूरा होने से पहले ही उसे इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देना ठीक नहीं है। इससे लोगों की ज़िंदगी खतरे में पड़ सकती है। कांग्रेस नेताओं के अलावा वैक्सीन एक्सपर्ट प्रोफेसर गगनदीप कांग समेत देश के कई वैज्ञानिक भी कोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी पर सवाल उठा चुके हैं।