उज्ज्वला योजना का ढोल पीटने वाले शिवराज गरीब के घर चूल्हे पर बैठे, विपक्ष ने किया तीखा प्रहार

चुनाव के कारण मुख्यमंत्री आवास का छप्पन भोग छोड़ आदिवासियों के घर चूल्हे की रोटी खाने को मजबूर हुए सीएम, कांग्रेस बोली- उज्ज्वला योजना की पोल खोलकर पीएम मोदी को आइना दिखा रहे हैं

Updated: Oct 27, 2021, 06:02 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में उपचुनाव का प्रचार आज शाम से थम गया है। लोकतंत्र के इस पर्व के चलते चुनावी क्षेत्रों की जनता को वर्षों बाद अपने नेताओं का दीदार हुआ और कई लुभावने वादे भी सुनने को मिले। इस पूरे चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं के कई स्वरूप देखने को मिले। कोई अपनी अमर्यादित भाषा से सुर्खियां बटोरता रहा तो कोई गरीब आदिवासी जनता के बीच नाचते-गाते और खाते हुए नजर आया। इन सब के बीच सर्वाधिक चर्चा का विषय सीएम शिवराज की वह तस्वीर है जिसमें वे आदिवासी घर में मिट्टी के चूल्हे पर बनी रोटी खाते दिख रहे हैं। 

सीएम शिवराज की यह तस्वीर रैगांव विधानसभा क्षेत्र के भटिया ग्राम पंचायत की है। यहां छुलहरी गांव में सीएम शिवराज एक आदिवासी महिला, छोटी कोल के घर चूल्हे के पास बैठे हुए हैं। कोल जनपद सदस्य हैं बावजूद इसके उनके घर तक गैस कनेक्शन नहीं पहुंचा है। फिर भी उन्होंने उदारता दिखाते हुए सीएम को खुला निमंत्रण दे दिया है कि जब खाने का मन हो पधार जाइए। सीएम शिवराज ने वल्लभ भवन का सुख छोड़कर उनके घर खाने जाने को पूजा करार दिया लेकिन गरीब आदिवासियों के प्रति सरकार की उदासीनता से कहीं बड़ी महिला की उदारता दिखी, जिसने बिना शिकायत चूल्हे पर खाना बनाकर खिला दिया।  

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सीएम शिवराज का यह लुभावना भोजन अभियान तब बैकफायर कर गया जब विपक्ष ने उज्ज्वला योजना की पोल खोलकर रख दी। केंद्र सरकार ने  बीते महीने ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जबलपुर से उज्ज्वला 2 की शुरूआत की थी। तब अमित शाह ने दावा किया था कि मोदी सरकार के आने के बाद देश की 9 करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए गए। दूसरी कड़ी में देश की एक करोड़ और ग्रामीण महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य है। जिसमें अकेले मध्य प्रदेश से 17 लाख महिलाएं इसकी लाभार्थी होंगी। अमित शाह ने तब कहा था कि यह कदम धुएं के दंश से महिलाओं को मुक्ति दिलाने का एक क्रांतिकारी कदम है। यही नहीं तब यह भी दावा किया गया था कि भाजपा के शासनकाल में जनजातियों और ग्रामीण जनता का विशेष ध्यान रखा गया है।

इसी मंच से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दावा किया कि प्रदेश में 140 लाख उपभोक्ताओं को उज्ज्वला योजना से जोड़ा जा चुका है। उनका लक्ष्य इसे 150 लाख तक पहुंचाने का है। गौरतलब है कि प्रदेश में आज भी लगभग 27 लाख उपभोक्ताओं के पास गैस कनेक्शन नहीं है, रैगांव की छोटी कोल भी उनमें से एक हैं। प्रदेश में ऐसे वंचित लोगों की कुल आबादी के 15 फीसदी बतायी जा रही है।

असल में, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत देशभर में मुफ्त सिलिंडर तो बांटे गए लेकिन गैस का रेट तीन गुना बढ़ गया। इस कारण उज्ज्वला लाभार्थी दोबारा गैस भराने में सक्षम नहीं हैं। भिंड में पिछले हफ्ते ऐसा ही दृश्य देखने को मिला, जहां गांव वालों ने दिवाली पूर्व साफ सफाई के बाद सिलिंडर को कबाड़ के भाव बेच दिया।  

चुनावी माहौल में आदिवासियों से सहानुभूति जताते हुए सीएम चौहान ने यह भी कह दिया कि वो खास मकसद से आए हैं। ऑनस्पॉट फैसले करनेवाले शिवराज ने लगे हाथ यह घोषणा भी कर दी कि 'जमीनें हथियाने वाले रसूखदार सावधान हो जाएं। मैं किसी को गरीबों से उनकी जमीन, उनका घर छीनने नहीं दूंगा'। आदिवासी इलाकों में रसूखदार लोगों के द्वारा आदिवासियों के घर-जमीन पर कब्जा कर उन्हें खदेड़ देने का अनेक वाकया सामने आ चुका है। सीएम ने आदिवासियों से वादा किया है कि मेरे होते कोई भूमाफिया ऐसा नहीं कर पाएगा। 

ऐसे में अब सवाल यह भी उठ रहा है कि शिवराज "मेरे होते" वाला कॉन्फिडेंस आदिवासियों को तब दे रहे हैं जब बीते 17 वर्षों में 15 महीने छोड़कर लगातार वे ही मुख्यमंत्री रहे। खुद उनकी ही सरकार में दीन-दुखियों का हाल जानने के लिए उन्हें सत्रह साल लग गए। यही नहीं, अब तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर पन्ना इलाके में आदिवासियों की जमीन कब्जा करनेवालों को संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं। लेकिन सीएम पूर्णरूप से भाजपा के प्रति चुनावी समर्पण भाव में है।  
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रैगांव के स्थानीय लोग बताते हैं कि सीएम शिवराज पूर्व निर्धारित घर में भोजन के लिए गए थे। यदि वे गांव के रैंडम किसी घर में बिन बताए चले जाते तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि उनके लिए भोजन तक उपलब्ध नहीं हो पाता। क्योंकि गांव के लोग गरीबी में एक वक्त ही खाना बना पाते हैं और शाम को दिन के बचे खाने के साथ पानी पीकर सोने को मजबूर हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसके मुताबिक मध्य प्रदेश में कुपोषण दर अफ्रीका के अति पिछड़े देश सूडान से भी ज्यादा है। कुपोषण के कारण हर वर्ष यहां हजारों बच्चे मर जाते हैं।